Emergency एक बीता हुआ मुद्दा, इसे अब दफना देना चाहिए; शिवसेना मुखपत्र Saamana ने दी राहुल गांधी को सलाह
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Emergency एक बीता हुआ मुद्दा, इसे अब दफना देना चाहिए; शिवसेना मुखपत्र Saamana ने दी राहुल गांधी को सलाह

शिवसेना ने राहुल गांधी के आपातकाल (Emergency) पर माफी मांगे जाने की आलोचना की है. शिवसेना के मुखपत्र सामना (Saamana) में छपे लेख के मुताबिक अब यह मुद्दा अतीत का विषय बन गया है, इसलिए इसे अब जमीन में दफना देना चाहिए.

शिवसेना नेता संजय राउत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: शिवसेना के मुखपत्र सामना (Saamana) में लिखे लेख में आपातकाल को बीता हुआ मुद्दा बताया गया है. लेख में कहा गया है कि राहुल गांधी को इमरजेंसी (Emergency) के फैसले पर माफी मांगकर इस मुद्दे को दोबारा नहीं उखाड़ना चाहिए. यह लेख सामना के कार्यकारी संपादक और राज्य सभा सदस्य संजय राउत (Sanjay Raut) ने लिखा है. 

  1. 'आपातकाल की तकलीफों पर इंदिरा ने व्यक्त किया था खेद' 
  2. 'आपातकाल के फैसले पर अड़िग रही इंदिरा गांधी'
  3. 'बंद-घेराव वालों ने विकट कर दी थी स्थिति'

'आपातकाल की तकलीफों पर इंदिरा ने व्यक्त किया था खेद' 

सामना (Saamana) के मुताबिक, आपातकाल  (Emergency) में निरपराध लोगों को तकलीफें हुईं. परिवार नियोजन मुहिम में लोगों को जुल्म सहना पड़ा. अखबारों पर सेंसरशिप लगाई गई. चुनाव में हार जाने के बाद इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने खेद प्रकट किया. उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस बात को कबूल किया और कहा कि फिर कभी आपातकाल लागू नहीं होगा. 

'आपातकाल के फैसले पर अडिग रही इंदिरा गांधी'

संजय राउत (Sanjay Raut) ने लिखा कि यह सब करने के बावजूद इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने कभी इस बात पर पश्चाताप नहीं किया कि आपातकाल  (Emergency) लगाकर उन्होंने गलती की. इसके बजाय वे इस बात पर अडिग थी कि 'देश को अराजकता से बचाने के लिए उस समय आपातकाल लागू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं' बचा था. 

बंद-घेराव वालों ने विकट कर दी थी स्थिति'

सामना (Saamana) के अनुसार इंदिरा गांधी ने कहा था कि आपातकाल  (Emergency) मतलब पटरी से उतरा हुआ लोकतंत्र था. निराशा की पराकाष्ठा होने पर जब अराजकता बढ़ने लगी और बड़ा खतरा पैदा हो गया तो आपातकाल की घोषणा हुई. उस समय हड़ताल, बंद, घेराव, ये सब उफान पर थे. आम लोगों की स्थिति इन ‘बंद’ वालों ने विकट कर दी थी. राजनीतिक हत्या और विस्फोट किए जा रहे थे. ये सब राष्ट्र पर संकट ही थे. 

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'इंदिरा के भरोसे पर लोगों ने 3 साल बाद सौंपी सत्ता'

सामना में छपे लेख के मुताबिक, इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के पीछे प्रचंड बहुमत होने के बावजूद देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने लगी थी. इसी से आपातकाल के भस्मासुर का उदय हुआ. जब इंदिरा गांधी ने कहा कि दोबारा से आपातकाल नहीं होगा तो जनता में उनके प्रति भरोसा पैदा हुआ और केवल 3 साल के बाद वे दोबारा से सत्ता में वापस आ गई. इतना सब बीतने के बाद राहुल गांधी ने अब फिर से अपनी दादी के फैसले पर माफी मांगी है. अब यह मुद्दा गुजरा हुआ विषय हो गया है, इसलिए इसे जमीन के नीचे गाड़ देना चाहिए. 

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राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह दिया था बयान 

बताते चलें कि कांग्रेस नेता वायनाड से सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पिछले सप्ताह कार्नेल यूनिवर्सिटी के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भाग लिया था. इस कार्यक्रम में उनके साथ सैम पित्रोदा, प्रोफेसर कौशिक बसु भी थे. इस कार्यक्रम में राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि देश में इमरजेंसी लगाना गलत था. अभी की स्थितियों और उस वक्त के हालात में काफी बड़ा फर्क था. कांग्रेस पार्टी ने कभी भी भारत के संवैधानिक ढांचे को हथियाने की कोशिश नहीं की. पार्टी का डिजाइन इसकी अनुमति नहीं देता है. अगर हम चाहें भी तो ऐसा नहीं कर सकते हैं.

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