शहरों में फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक के अधिक सेवन की वजह से शरीर का मेटाबॉलिजम बिगड़ जाता है. जिसके चलते लोग आसानी से डायबिटीज की बीमारी की गिरफ्त में आ जाते हैं.
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नई दिल्ली: डायबिटीज की बीमारी धीरे-धीरे हर घर में दस्तक देती जा रही है. आलम यह है कि कभी उम्र दराज लोगों को होने वाली इस बीमारी ने अब नौवजवानों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. देखने में यह भी आया है कि जैसे-जैसे डायबिटीज की बीमारी लोगों के बीच कॉमन होती जा रही, वैसे-वैसे लोग इस बीमारी को लेकर लापरवाह नजरिया रखने लगे हैं. डायबिटीज को लेकर लोगों का यही लापरवाह नजरिया उनके लिए घातक बनता जा रहा है.
जी हां, आपको मालूम न हो तो, हम आपको बता दें कि डायबिटीज की बीमारी शरीर में साइलेंट किलर की तरह काम करती है. समय रहते डायबिटीज की रोकधाम के लिए कदम नहीं उठाए गए तो धीरे-धीरे यह बीमारी आपके सभी अंगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर देती है. आप तक डायबिटीज से जुड़ी हर बात को जानने के लिए हमने इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. सीएम बत्रा से खास बातचीत की. पढिये एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. सीएम बत्रा से बातचीत के प्रमुख अंश:
प्रश्न: डायबिटीज की बीमारी क्या है और यह किन कारणों से होती है?
डॉ.बत्रा: हमारे शरीर का एक अंग पैंक्रियाज (पाचन ग्रंथि) भी है. पैंक्रियाज में इंसुलिन नामक एक हार्मोन का निर्माण होता है. इंसुलिन नामक यह हार्मोन हमारे भोजन से न केवल शुगर का निर्माण करता है, बल्कि खून में ग्लूकोज के स्तर को सामान्य रखने में भी मदद करता है. इंसुलिन द्वारा निर्मित सुगर से ही हमारे खून की सेल्स को एनर्जी मिलती है. पैंक्रियाज में इंसुलिन का स्राव कम होने की वजह से खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है. इसी स्थिति को हम डायबिटीज कहते हैं. इंसुलिन के स्राव में आई कमी की वजह से भोजन से मिलने वाली ऊर्जा धीरे-धीरे कम होने लगती है. नतीजतन, इसका नकारात्मक असर हमारे शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ना शुरू हो जाता है.
प्रश्न: डायबिटीज अब तक एक खास उम्र वर्ग की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन धीरे धीरे इस बीमारी ने हर उम्र वर्ग के लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है, इसकी मूल वजह क्या है?
डॉ.बत्रा: यह सच है कि डायबिटीज की बीमारी ने अपना दायरा तेजी से बढ़ाया है. अभी तक यह बीमारी 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों में पाई जाती थी, लेकिन अब यह बीमारी 8 और 9 साल के बच्चों में भी पाई जा रही है. आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि सभी उम्र वर्गों में पाई जाने वाली डायबिटीज की बीमारी एक जैसी नहीं है. हर आयु वर्ग में डायबिटीज के कारण अलग-अलग हैं. इसमें से कुछ की डायबिटीज समय और एहतियात के साथ खत्म हो जाती है, वहीं कुछ के लिए हमें दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है. डायबिटीज के मरीजों को यह जानना बेहद जरूरी है कि उन्हें किसTYPE (प्रकार) की डायबिटीज है, उसी के अनुरूप उन्हें दवाओं के सेवन और परहेज करना चाहिए.
प्रश्न: आपने बताया कि हर उम्र वर्ग में डायबिटीज के प्रकार अलग-अलग हैं. हम आपसे जानना चाहेंगे कि डायबिटीज कितने प्रकार की होती है और उनकी मुख्य वजह क्या हैं?
डॉ.बत्रा: डायबिटीज के मुख्य तौर पर चार टाइप होते हैं. TYPE-1 की डायबिटीज बच्चों में पाई जाती है. TYPE-2 की डायबिटीज वयस्कों में और TYPE-3 की डाइबिटीज गर्भवती महिलाओं में पाई जाती है. TYPE-4 की डायबिटीज कुछ दवाओं की वजह से होती है. इसको, सेकेंडरी डायबिटीज भी कहा जाता है. TYPE-1 की डायबिटीज एंसुलिन की कमी की वजह से होती है. TYPE-1 की डायबिटीज ज्यादातर छोटे बच्चों में पाई जाती है. वहीं TYPE-2 की डायबिटीज अनुवांशिक है. जिन लोगों के माता और पिता को डायबिटीज की बीमारी है, उनमें TYPE-2 की डायबिटीज होने की संभावना करीब 50 फीसदी होती है.
वहीं, जिनके माता या पिता में किसी एक को डायबिटीज की बीमारी है, उनमें डायबिटीज होने की संभावना करीब 25 फीसदी होती है. TYPE-2 की बीमारी का एक कारण मोटापा भी है. TYPE-3 की बीमारी गर्भवती महिलाओं को हार्मोन असंतुलन की वजह से होती है. TYPE-4 की डायबिटीज कुछ दवाओं के सेवन से होती है. दरअसल, कुछ दवाओं का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का प्रॉसेस रुक जाता है. जिसके चलते, TYPE-4 की डायबिटीज लोगों को हो जाती है.
प्रश्न: ऐसे कौन से लक्षण हैं, जिनकी मदद से यह पहचान की जा सके कि हम डायबिटीज की बीमारी की तरफ बढ़ रहे हैं.
डॉ.बत्रा: बार-बार पेशाब आना, पेशान में जलन होना, पेशाब में इंफेक्शन होना, आँखों की रोशनी कम होना, ज्यादा प्यास लगना, कमजोरी महसूस होना, जख्म देर से भरना, त्वचा रोग, कमजोरी आना, वजन तेजी से कम या ज्यादा होना, चक्कर आना डायबिटीज की बीमारी के प्रमुख लक्षण है. इन लक्षणों के सामने आते ही हमें ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट कराना चाहिए. ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट में फास्टिंग के दौरान आपका ग्लूकोज लेबल 126 है तो आप डायबिटिक हैं. यदि आपका ग्लूकोज लेबर 100 से 125 है तो आप प्री-डायबिटिक हैं. वहीं, 75 ग्राम ग्लूकोज लेने के दो घंटे के बाद आपका ग्लूकोज लेबर 140 है तो आप डायबिटिक नहीं हैं. यदि ग्लूकोज लेबर 141 से 199 है तो आप प्री-डायबिटिक हैं. वहीं आपका ग्लूकोज लेबर 200 से ज्यादा है तो आप डायबिटिक हैं. बेहतर होगा कि यदि आपके माता पिता में किसी को भी डायबिटीज है तो 25 वर्ष की उम्र के बाद हर साल आप एक बार ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट जरूर कराएं.
प्रश्न: क्या डायबिटीज की बीमारी के लिए हमारी जीवन शैली भी जिम्मेदार है?
डॉ.बत्रा: डायबिटीज की बीमारी में हमारी खराब जीवन शैली का सबसे अहम भूमिका अदा करती है. इन दिनों डायबिटीज होने का सबसे बड़ा कारण बॉडी मूवमेंट बिल्कुल न के बराबर होना है. आप देखेंगे कि गांवों में जहां हर 100 में 4 व्यक्तियों में डायबिटीज की बीमारी पाई जा रही है, वहीं बड़े शहरों ने हर 100 में 14 वां शख्स डायबिटीज की बीमारी से पीडि़त है. दरअसल, गांवों में लोग पूरे दिन लोग शारीरिक श्रम करते हैं. वहीं शहरों में चंद कदम की दूरी तय करने के लिए आदमी अपनी कार का इस्तेमाल कर रहा है. वहीं, शहरों में फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक के अधिक सेवन की वजह से शरीर का मेटाबॉलिजम बिगड़ जाता है. जिसके चलते लोग आसानी से डायबिटीज की बीमारी की गिरफ्त में आ जाते हैं. वहीं डायबिटीज की बीमारी के लिए मोटापा भी बहुत बड़ा कारण है. शारीरिक श्रम कम होने की वजह से ज्यादातर लोग मोटापे का शिकार हो जाते हैं, जिसके चलते उनमें डायबिटीज की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.
प्रश्न: डायबिटीज की बीमारी से बचने के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
डॉ.बत्रा: आप डायबिटीज की बीमारी से बचने के लिए आपको अपना शारीरिक श्रम बढ़ाना होगा. आप कोशिश करें कि जिनता पैदल चल सकते हैं, उससे अधिक पैदल चलने की कोशिश करें. लिफ्ट या स्क्लेटर की जगह सीढि़यों का इस्तेमाल करें. रोजाना व्यायाम करें. फास्ट फूड से जितना हो, उतना बचने की कोशिश करें. फाइबर युक्त भोजन करें. अधिक मीठा खाने से परहेज करें. इसके अलावा, दवाएं हमेशा डॉक्टर की सलाह पर खाएं. दरअसल, कई दवाएं ऐसी होती है, जिनके चलते शरीर में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है. इस तरह की दवाइयों को बिना सलाह के खाने से आप डायबिटीज का शिकार बन सकते हैं.
प्रश्न: डायबिटीज के मरीजों के खानपान को लेकर आपकी क्या सलाह है.
डॉ.बत्रा: डायबिटीज के मरीजों के लिए फायबर युक्त भोजन सबसे अधिक लाभकारी होता है. यदि आप प्री-डायबिटिक या डायबिटिक हैं तो आप आम, अंगूर सहित अधिक मिठास वाले फलों को खाने से परहेज करें. डायबिटीज के मरीजों के लिए जामुन सबसे अधिक लाभदायक है. इसके अलावा, संतरा, मौसमी, पपीता, नासपाती को आप एक दिन के अंतराल पर खा सकते हैं. इसके अलावा सेब, अनार, चीकू और अनन्नास भी अल्टरनेट डेज में खा सकते हैं. वहीं खाने में आपको घी, मक्खन, चॉकलेट, डिब्बा बंद जूस और कोल्ड ड्रिंक से परहेज करना चाहिए. खाने में आप हरी सब्जी, दाल, राजमा, सोयाबीन खा सकते हैं. यह सभी चीजें डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी होती हैं.