अब तक दूर-दूर से किसान आंदोलन (Farmers Protest) के फेवर में बयान और ट्वीट जारी कर रही कांग्रेस (Congress) ने अब इसका हिस्सा बनने का फैसला किया है. कांग्रेस का दावा है कि इस आंदोलन में शामिल होने का न्योता उसे खुद किसानों ने दिया था, जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया है.
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नई दिल्ली: काफी दिनों से बाहर रहकर किसान आंदोलन (Farmers Protest) को समर्थन दे रही कांग्रेस (Congress) ने अब इसमें शामिल होने का फैसला किया है. कांग्रेस ने घोषणा की है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ 15 जनवरी को देश भर में राज्यपाल भवनों का घेराव किया जाएगा. साथ ही कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालयों से रैली भी निकाली जाएगी.
कांग्रेस (Congress) के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने किसानों से उनके आंदोलन (Farmers Protest) में शामिल होने के लिए न्योता मिलने का दावा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया है. पिछले डेढ़ महीने से चल रहे आंदोलन में अब तक 60 से ज्यादा अन्नदाता दम तोड़ चुके हैं. लेकिन पीएम मोदी के पास शहीद किसानों के लिए सांत्वना के शब्द तक नहीं हैं.
सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने आरोप लगाया, 'उनकी मौत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है. ये लड़ाई किसानों की खुद्दारी और मोदी सरकार की जिद के बीच है . देश के 73 साल में पहली बार ऐसी सरकार है, जो जनता की नहीं सुनना चाहती. वह किसानों की समस्या का निदान करने के बजाय उन्हें कोर्ट भेजने पर तुली है. नीतिगत फैसलों के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है. यदि वह जनता की इच्छा पूरी नहीं कर सकती तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए.'
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अपनी अंतरात्मा में झांके सुप्रीम कोर्ट- केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस (Congress) नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा, 'कांग्रेस 15 जनवरी को हर प्रदेश हेडक्वार्टर में किसान अधिकार दिवस मनाएगी और हर जिले में मार्च निकालेगी. जिस तरह कांग्रेस ने ईस्ट इंडिया कंपनी को देश से बाहर निकाला, वैसे ही अब मोदी सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. किसानों ने कोर्ट जाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट को भी अपनी अंतरात्मा में झांकना जरूरी है. क्या कारण है कि किसानों कोर्ट जाना मंजूर नहीं किया है.'
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