चारा घोटाला : लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना
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चारा घोटाला : लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना

देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई और 5 लाख का जुर्माना लगाया गया. उनके अलावा अन्‍य दोषी फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद, बेक जूलियस, सुनील कुमार, सुशील कुमार, सुधीर कुमार और राजाराम को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई, जबकि उन पर पांच लाख का जुर्माना लगाया गया.

चारा घोटाले में देवघर ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को तीन साल की सजा सुनाई गई. (फाइल फोटो)

रांची : चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना लगाया गया. अब लालू यादव को जमानत के लिए अब हाईकोर्ट में अपील करनी होगी. इस फैसले के बाद लालू यादव के वकील ने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे. उनके अलावा अन्‍य दोषी फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद, बेक जूलियस, सुनील कुमार, सुशील कुमार, सुधीर कुमार और राजाराम को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई, जबकि उन पर पांच लाख का जुर्माना लगाया गया. 

  1. वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये जज ने सुनाई सजा.
  2. लालू पर 5 लाख का जुर्माना भी.
  3. CBI केंद्र के इशारों पर काम कर रही है- तेजस्‍वी

वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये हाजिर हुए दोषी
फैसले से पहले सभी दोषी वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये अदालती कार्रवाई में शामिल हुए. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये अपना फैसला सुनाएंगे. सजा सुनाए जाने से पहले जज शिवपाल सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा, 'इन दोषियों के लिए एक खुली जेल बेहतर होगी, क्‍योंकि उन्‍हें गाय पालन का अनुभव भी है'.

हम किसी साजिश से डरने वाले नहीं हैं- तेजस्‍वी
लालू यादव की सजा पर फैसले से पहले तेजस्वी यादव ने कहा कि 'लालू यादव जी को केंद्र सरकार ने एक साजिश के तहत फंसाया है. सीबीआई केंद्र के इशारों पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि लालू जी फंसाने आरजेडी टूटने वाली नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हम किसी साजिश से डरने वाले नहीं हैं. तेजस्वी ने कहा कि लालू कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचारधारा का नाम है'.

इससे पहले शनिवार को दोषियों की सजा के बिन्दु पर अदालत में बहस पूरी हो गई थी और अदालत ने सजा सुनाने के लिए शनिवार दो बजे का समय निर्धारित किया था. अदालत में शुक्रवार को दोपहर दो बजे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद एवं उनकी पार्टी के दूसरे नेता आरके राणा की पेशी जेल से ही वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराने के निर्देश दिए थे. इसके बाद न्यायाधीश ई-कोर्ट पहुंचे और वहां ई-लिंक के माध्यम से लालू यादव एवं आरके राणा की अदालत में पेशी कराई गई थी. अदालत ने सजा के बिंदु पर लालू के वकीलों की बहस सुनी, जिसमें उन्होंने उनकी लगभग 70 वर्ष की उम्र होने और बीमार होने की बार-बार दुहाई दी. अदालत ने एक-एक कर बाद में अन्य शेष सात अभियुक्तों की भी सजा के बिन्दु पर उनकी उपस्थिति में बहस सुनी. ये सभी अदालत में हाजिर हुए. लालू के वकील चितरंजन प्रसाद ने बताया कि अदालत ने सजा के बिन्दु पर सभी की बहस सुनने के बाद इस मामले में आदेश के लिए शनिवार दोपहर दो बजे का समय निर्धारित किया था.

शुक्रवार को पूरी हुई लालू की सजा पर बहस
इस मामले में जहां पांच आरोपियों बेक जूलियस, गोपीनाथ, ज्योति कुमार, जगदीश शर्मा एवं कृष्ण कुमार प्रसाद की सजा के बिन्दु पर उनके वकीलों ने गुरुवार को बहस पूरी कर ली थी, वहीं वर्णक्रम अनुसार लालू प्रसाद की बारी शुक्रवार को सातवें नंबर पर आई. अदालत ने लालू प्रसाद, आरके राणा के अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद, पूर्व सरकारी अधिकारी सुबीर भट्टाचार्य एवं चारा आपूर्तिकर्ताओं त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, सुशील कुमार सिन्हा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, संजय अग्रवाल एवं सुनील गांधी के वकीलों की बहस सजा के बिन्दु पर सुनी.

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इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे
वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे, जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर 1997 को मुकदमा दर्ज किया था और लगभग 21 साल बाद इस मामले में गत 23 दिसंबर को फैसला आया. सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के इस मामले में 23 दिसंबर को लालू प्रसाद समेत तीन नेताओं, तीन आईएएस अधिकारियों के अलावा पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, पशु चिकित्साधिकारी सुबीर भट्टाचार्य तथा आठ चारा आपूर्तिकर्ताओं सुशील कुमार झा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय कुमार अग्रवाल, ज्योति कुमार झा, सुनील गांधी तथा त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को अदालत ने दोषी करार देकर जेल भेज दिया था. 

चाईबासा कोषागार मामले में हो चुकी है सजा
इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू प्रसाद, जगदीश शर्मा, राणा, पूर्व मुख्यमंत्री डा .जगन्नाथ मिश्रा समेत इनमें से देवघर कोषागार अवैध निकासी मामले में अनेक आरोपियों को सजा हो चुकी है और वे उच्च न्यायालय से जमानत प्राप्त कर रिहा हुए हैं. देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये के फर्जीवाड़े के मामले से जुड़े इस मुकदमे में 23 दिसंबर को सीबीआई के विशेष न्यायाधीष शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र एवं साधना सिंह को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया था. इससे पूर्व जब यह मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा तो न्यायालय ने निचली अदालत को इसकी सुनवाई नौ माह में पूरी करने के निर्देश दिए थे. इस मुकदमे में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आरके राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद एवं 29 अन्य आरोपी थे. कुल 38 आरोपियों में से सुनवाई के दौरान जहां 11 की मौत हो गई, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गए तथा दो ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई थी. शिवपाल सिंह की अदालत ने इस मामले में सभी पक्षों के गवाहों के बयान दर्ज करने और बहस के बाद अपना फैसला 13 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था.

आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज हुआ था मामला
सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि देवघर कोषागार से फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से धन निकालने के इस मामले में लालू प्रसाद एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई ने आपराधिक साजिश, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477ए, 201, 511 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था. सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में गबन की धारा 409 में दस वर्ष तक की और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.

चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्तूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने तथा चार वर्ष कैद की सजा सुनाई गई थी. चारा घोटाले में लालू के खिलाफ यह दूसरा ऐसा मामला है, जिसमें अब कल सजा सुनाए जाने की संभावना है. इसके अलावा उनके खिलाफ रांची में डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी से जुड़ा मामला, दुमका कोषागार से तीन करोड़, 97 लाख रुपये निकासी एवं चाईबासा कोषागार से अवैध रूप से 36 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित मुकदमे अभी चल रहे हैं, जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है.

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