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नई दिल्ली: ब्रिटेन (UK) में पेट्रोल, डीजल और गैस की किल्लत को लेकर हाहाकार मचा है. देश के करीब 90 फीसदी पेट्रोल पंप में तेल (Fuel) खत्म हो चुका है. गैस स्टेशनों पर लगे सिलेंडर भी खाली पड़े हैं. ऐसे में क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत में ऐसा हो जाए तो क्या होगा? दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में फिलहाल डरने की कोई जरूरत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में पर्याप्त तेल रिजर्व का भंडार मौजूद है.
कभी आधी से ज्यादा दुनिया में राज करने वाले अंग्रेज आज दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं. कई इलाकों में पीने के पानी का संकट (Drinking Water Crisis) नजर आया. दरअसल तेल संकट की वजह से ब्रिटेन में खाने-पीने की सामानों की सप्लाई बाधित हुई वहीं देश की कानून व्यवस्था भी बिगड़ चुकी है. लोग अपनी गाड़ियों का टैंक फुल कराने के लिए पेट्रोल पंप पर लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं. जिस पंप पर पेट्रोल नहीं है वहां अराजकता देखने को मिल रही है.
एक अनुमान के मुताबिक भारत में फिलहाल 74 दिनों का तेल भंडार (Fuel Reserve) मौजूद है. आबादी के हिसाब से ब्रिटेन (UK) और भारत (India) की तुलना करेंगे तो ये तथ्य जानकर कोई भी हैरान रह जाएगा. हालांकि ब्रिटिश एक्सपर्ट्स के मुताबिक फिलहाल देश का तेल संकट फौरन दूर होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. वहीं भारत में आए दिन होने वाले आंदोलनों, चक्का जाम और 'भारत बंद' जैसे आयोजनों के बावजूद तेल की किल्लत नहीं होती तो इसका क्रेडिट देश की सरकार के कुशल प्रबंधन को भी दिया जा सकता है.
भारत ब्रिटेन
जनसंख्या 135 करोड़ 6.71 करोड़
पेट्रोल पंप 78,309 8,380
तेल रिजर्व 74 दिन का रिजर्व भारी किल्लत
पेट्रोल-डीजल के संकट का असर सीधे तौर पर आम आदमी के साथ-साथ उद्योगों और अर्थव्यवस्था पर भी होता है. पेट्रोल पंपों पर लगी भीड़ के साथ देश की ट्रांसपोर्ट सेवा बाधित है. ग्रोसरी आइटम्स की सप्लाई रुकी तो खाने-पीने के सामानों का टोटा हो गया. इस तरह सामान्य जनजीवन प्रभावित होने के साथ तेल उत्पादन में कटौती का फैसला होने से इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था (Economy) बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
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भारत में आपने इससे पहले पेट्रोल पंप पर लोगों की कतारें तब लगती थीं. जब देश में डीजल-पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी होने की खबर आती थी. लेकिन उस दौर में भी देश के लोगों को भरोसा होता था कि दाम भले ही कुछ रुपये प्रति लीटर बढ़ जाएं लेकिन उन्हें जब भी जरूरत पड़ेगी तो शहर के किसी भी पेट्रोल पंप से तेल मिल जाएगा.
यूरोप की राजनीतिक समझ रखने वालों के मुताबिक ऐसे हालातों की एक बड़ी वजह ब्रेग्जिट (Brexit) का साइड इफेक्ट भी है. दरअसल ब्रेग्जिट के बाद भारी संख्या में ड्राइवर अपने-अपने देश यानी दूसरे यूरोपीय देश लौट गए. ऐसे में ड्राइवरों की बड़े पैमाने पर कमी हुई. वहीं एक और वजह देश में भारी दादाद में बुजुर्ग हो चुके ड्राइवरों का रिटायर होना बताया जा रहा है. नए ड्राइवरों की भर्ती का काम भी उस अनुपात में नहीं हुआ जिसकी अपेक्षा की गई थी.
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नेचुरल गैस की कीमत बढ़ी तो इसका एक असर ये भी हुआ कि पेट्रोल-डीजल की मांग अचानक बढ़ने से पैदा हुए हालातों से ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन सरकार निपट नहीं पाई. ब्रिटेन की बड़ी तेल कंपनी बीपी ने ये बयान दिया की ड्राइवरों की कमी की वजह से वो तेल उत्पादन घटाएंगे. इसके बाद ये माना गया कि बाकी तेल कंपनियां भी प्रोडक्शन घटाएगी और इससे एक साथ उत्पादन में कमी आ गई. पेट्रोल-डीजल की कमी की खबरें आने पर लोगों ने इसकी कालाबजारी करनी शुरू कर दी जिससे पेट्रोलियम पदार्थों की किल्लत और बढ़ गई.