गुजरात चुनाव: हार्दिक का असर रहा फीका, पाटीदारों ने बीजेपी पर ही जताया भरोसा
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गुजरात चुनाव: हार्दिक का असर रहा फीका, पाटीदारों ने बीजेपी पर ही जताया भरोसा

गुजरात में दो चरणों में 182 सीटों पर हुए चुनाव में 68.41 फीसदी मतदान हुआ. 2012 के विधानसभा चुनाव में 71.32 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.

पाटीदार आंदोलन से उभरे नेता हार्दिक पटेल. (फाइल फोटो)

अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में पाटीदार आंदोलन से राजनीति के केंद्र में आए हार्दिक पटेल का असर भारतीय जनता पार्टी के सामने फेल होता नजर आ रहा है क्योंकि शुरुआत में पीछे चल रही भाजपा अब तेजी से बहुमत की ओर बढ़ती दिख रही है. रुझानों में भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़कर बहुमत हासिल कर लिया है, ऐसे में निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि 2012 की तरह इस बार भी पाटीदार समुदाय ने भाजपा पर अपना भरोसा जताया है, हालांकि इस बार पाटीदार बहुल क्षेत्रों में पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले वोटिंग का प्रतिशत कम था और यह माना जा रहा था कि भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल इस बार युवातुर्क नेता बनतक उभरे थे.

  1. गुजरात में दो चरणों में 182 सीटों पर हुए चुनाव में 68.41 फीसदी मतदान हुआ.
  2. 2012 के विधानसभा चुनाव में 71.32 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. 
  3. वर्ष 2012 में भाजपा ने 115 सीट जीती थीं. कांग्रेस को 61 सीटों पर जीत मिली थी.

गुजरात में कुल 83 ऐसी सीटें हैं जहां पाटीदारों का असर है. 2012 के विधानसभा चुनाव में 83 में से 59 सीटों (करीब 71%) पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपना कब्जा जमाया था, जबकि कांग्रेस के खाते में महज 22 सीट ही आई थी. वहीं अन्य के हिस्से में 2 सीट थे. इस बार चुनाव में हार्दिक पटेल कांग्रेस का साथ दे रहे हैं ऐसे में पाटीदार वोटों पर सबकी निगाहें होंगी. पाटीदार समुदाय आमतौर पर पाटीदार उम्मीदवार को मत देते हैं. यही वजह रही कि भाजपा ने गुजरात कैबिनेट में 44 पाटीदारों को जगह दी थी. हार्दिक पटेल के नेतृत्व में शुरू हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में लाठीचार्ज हुआ था, जिसके बाद भाजपा और पाटीदारों के बीच खाई पैदा हो गई थी. 

आखिर क्या है पाटीदारों की मांग: 
1. गुजरात में आरक्षण, 2. आंदोलन के दौरान जिन पाटीदारों की जान गई, उनके परिवार के एक शख्स को सरकारी नौकरी, 3. पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई

सरकार की कार्रवाई:
1. गुजरात सरकार ने पाटीदारों के खिलाफ सारे केस वापस ले लिए, 2. गैर आरक्षण जाति आयोग बनाने का वादा किया. हालांकि पाटीदार इससे संतुष्ट हुए.

कांग्रेस का पलटवार:
पाटीदार मतदाताओं को साथ लाने के लिए राहुल गांधी ने हार्दिक पटेल को अपने पाले में मिला लिया. कांग्रेस से गठबंधन के दौरान हार्दिक पटेल ने कहा था कि कांग्रेस ने आरक्षण पर हमारी नीति को मंजूर कर लिया है. वहीं कांग्रेस ने भी सत्ता में आने पर पाटीदारों के लिए आरक्षण बिल पास करने का वादा किया है.

अगर पाटीदारों की वोटिंग में गिरावट आई?
एक अनुमान के मुताबिक पिछले 19 साल से 20% पाटीदार मतदाता गुजरात में भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं, लेकिन इस बार पाटीदार आंदोलन और हार्दिक पटेल जैसी वजहों से इसका असर पड़ना साफ है. 

गुजरात चुनाव में पाटीदारों का समीकरण:
बोटाड में पाटीदार मत 20.02%, 2012 में 79.26% वोटिंग, 2017 में 67.56% वोटिंग, वोटिंग में -11.69% की कमी
कमरेज में पाटीदार मत 60.84%, 2012 में 72.21% वोटिंग, 2017 में 64.72% वोटिंग, वोटिंग में -7.48% की कमी
वाराच्छा रोड में पाटीदार मत 60.62%, 2012 में 68.7% वोटिंग, 2017 में 62.95% वोटिंग, वोटिंग में -5.75% 
मेहसाणा में पाटीदार मत 28.27%, 2012 में 75.56% वोटिंग, 2017 में 69.99% वोटिंग, वोटिंग में -5.57%
विसनगर में पाटीदार मत 32.93%, 2012 में 75.15% वोटिंग, 2017 में 73.68% वोटिंग, वोटिंग में -1.46%
बापूनगर में पाटीदार मत 20%, 2012 में 67.56% वोटिंग, 2017 में 64.31% वोटिंग, वोटिंग में -3.25%
निकोल में पाटीदार मत 26%, 2012 में 67.78% वोटिंग, 2017 में 66.87% वोटिंग, वोटिंग में -0.91%

गुजरात में दो चरणों में 182 सीटों पर हुए चुनाव में औसतन 68.41 फीसदी मतदान हुआ. इस बार मतदान में 2012 के विधानसभा चुनावों की तुलना में 2.91 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. पिछले विधानसभा चुनाव में 71.32 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. वर्ष 2012 में भाजपा ने 115 सीट जीती थीं. कांग्रेस को 61 सीटों पर जीत मिली थी.

पहले चरण का मतदान
गुजरात में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए बीते 9 दिसंबर को सौराष्ट्र, कच्छ और दक्षिण गुजरात के 19 जिलों के 89 सीटों पर 66.75 प्रतिशत मतदान हुआ था. इन सीटों पर कुल 977 उम्मीदवार अपनी चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. इस फेज में 2.12 करोड़ मतदाताओं में से 1.41 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. आदिवासी बहुल नर्मदा जिले में सर्वाधिक 79.15 फीसदी मतदान हुआ, जबकि सौराष्ट्र क्षेत्र की देवभूमि-द्वारका सीट पर सबसे कम 59.39 फीसदी मतदान हुआ. आयोग ने बताया कि जहां 12 जिलों में 70 फीसदी से कम मतदान हुआ, वहीं सात जिलों में 70 फीसदी मतदान हुआ.

पहले चरण के मतदान से पहले मोदी ने करीब 15 रैलियों को संबोधित किया, वहीं गांधी ने सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में सात दिन से ज्यादा गुजारते हुए कई रैलियों को संबोधित किया. मुख्य चुनावी रणनीतिकार भाजपा प्रमुख अमित शाह ने भी रैलियों को संबोधित करते हुए खासतौर पर कांग्रेस और उसके नेताओं पर निशाना साधा.

भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों - अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी प्रचार के लिए उतारा. कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम, ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा सचिन पायलट जैसे महत्वपूर्ण नेताओं ने मतदाताओं के सामने अपनी पार्टी का पक्ष रखा.

दूसरे चरण का मतदान
गुजरात विधानसभा चुनाव के तहत दूसरे और अंतिम दौर में बीते 14 दिसंबर को उत्तरी और मध्य गुजरात में 14 जिलों के 93 सीटों पर 69.99 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जिसमें कुल 851 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस चरण में 2.22 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. भाजपा के खिलाफ जाति आधारित समीकरण बैठाने की जुगत में कांग्रेस ने हार्दिक पटेल, ठाकोर और मेवानी का सहारा लिया है जो पाटीदारों, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों की ओर से युवा तुर्क बनकर उभरे हैं. इस चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले की परीक्षा माना जा रहा है. गुजरात विधानसभा चुनाव मोदी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न हैं और राहुल के लिए अग्निपरीक्षा हैं. 

चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में मोदी ने तीखा हमला बोला था और पालनपुर में एक रैली के दौरान आरोप लगाया था कि पाकिस्तान गुजरात चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने दावा किया था कि मणिशंकर अय्यर द्वारा उन्हें ‘नीच’ कहे जाने के एक दिन पहले कुछ पाकिस्तानी अधिकारियों और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच मुलाकात हुई. हालांकि, मनमोहन सिंह ने मोदी से कहा कि उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.

22 वर्षों से गुजरात में भाजपा का राज
गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं. वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 121 और कांग्रेस को 45 सीटें मिली थीं. वर्ष 1995 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था, लेकिन उस वक्त बीजेपी के दो बड़े नेताओं शंकर सिंह वघेला और केशू भाई पटेल के मतभेदों की वजह से सरकार नहीं चल पाई. 

और 1998 में विधानसभा चुनाव हुए जिनमें बीजेपी को 117 सीटें मिली और कांग्रेस को 53 सीटें मिलीं. यानी कांग्रेस की सीटों में इज़ाफ़ा हुआ और बीजेपी की सीटों में कमी आई. हालांकि सरकार बीजेपी की ही बनी और केशू भाई पटेल मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन वर्ष 2001 में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने केशू भाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बना दिया. 

इसके बाद वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 127 और कांग्रेस को 51 सीटें मिलीं. ये अब तक हुए चुनावों में बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन था. वर्ष 2002 के बाद 2007 में विधानसभा चुनाव हुए. 

वर्ष 2007 में बीजेपी को 117 और कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं. आप देख सकते हैं कि वर्ष 2002 के मुकाबले वर्ष 2007 में बीजेपी की 10 सीटें घट गईं और कांग्रेस की 8 सीटें बढ़ गईं.

इसके बाद वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव हुए. इन चुनावों में भी सरकार बीजेपी की ही बनी. लेकिन इस बार भी बीजेपी की सीटें कम हुईं और कांग्रेस की सीटें बढ़ गईं. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें मिलीं. यानी बीजेपी की 2 सीटें घट गईं और कांग्रेस की 2 सीटें बढ़ गईं.

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