Gyanvapi Case: राम मंदिर आंदोलन की तरह आगे बढ़ रहा ज्ञानवापी का मामला! अब संत समाज ने उठाई ये मांगें
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Gyanvapi Case: राम मंदिर आंदोलन की तरह आगे बढ़ रहा ज्ञानवापी का मामला! अब संत समाज ने उठाई ये मांगें

Gyanvapi Case: काशी के ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi) मामले में अब संत समाज भी एकजुट हो गया है. वाराणसी में शुक्रवार को हुई बैठक में संत समाज में ज्ञानवापी मसले पर कई अहम प्रस्ताव पास किए. 

Gyanvapi Case: राम मंदिर आंदोलन की तरह आगे बढ़ रहा ज्ञानवापी का मामला! अब संत समाज ने उठाई ये मांगें

Gyanvapi Case: काशी के ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi) में शिवलिंग मिलने के बाद अब संत समाज भी एकजुट हो गया है. काशी धर्म परिषद (Kashi Dharma Parishad) ने शुक्रवार को लंबी बैठक करके कई प्रस्ताव पास किए. संतों (Sant Samaj) ने कहा कि हिंदू समाज को स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के पूजा और दर्शन की तत्काल अनुमति मिलनी चाहिए. पूजा करना हिन्दुओं का मौलिक अधिकार है. इसे किसी भी हाल में भंग नहीं किया जा सकता. 

काशी को पवित्र शहर घोषित करने की मांग

संतों (Sant Samaj) ने कहा कि अयोध्या-मथुरा की तरह काशी में पवित्रता का सिद्धांत लागू हो और शहर में चल रही मांस-मछली और शराब की दुकानें बंद की जाएं. संत-महात्माओं ने ज्ञानवापी परिसर के ऊपरी तल पर चल रही नमाज को तुरंत बंद करवाने की मांग भी उठाई. संतों ने कहा कि हिन्दू अपनी पवित्र काशी के पवित्रतम ज्योतिर्लिंग की पूजा की मांग कर रहा है.

'1991 के वर्शिप एक्ट को खत्म किया जाए'

संत समाज (Sant Samaj) ने मांग की कि एकतरफा तौर पर बनाए गए 1991 के कानून को खत्म कर हिन्दुओं के धार्मिक अधिकार को संरक्षित किया जाए. साथ ही ज्ञानवापी परिसर की परिधि निर्धारित हो, जिससे हिन्दुओं के पवित्र धर्मस्थलों की पवित्रता बनी रहे. सभा में मौजूद संतों ने एकसुर में कहा कि हिन्दू जनमानस अब जाग चुका है. हम किसी का अपमान नहीं करते हैं लेकिन हमारे देवी देवताओं का कोई अपमान करेगा तो उसे छोड़ेंगे भी नहीं. उन्होंने कहा कि संत समाज की सरलता ही उनकी पहचान है. जब अत्याचार होता है तो हम शांतिपूर्वक उसका रास्ता भी खोज लेते हैं.

'हम अपने इष्टदेव का अपमान नहीं सह सकते'

बैठक की अध्यक्षता कर रहे काशी धर्म परिषद  (Kashi Dharma Parishad) के अध्यक्ष महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि हिन्दू सनातन धर्म पर बहुत जुल्म ढहाए गए और बर्बरतापूर्वक मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं. इतना बड़ा अपमान किया कि शिवलिंग के पास वजू करते रहे. अपने इष्टदेव का अपमान हम नहीं सह सकते. उन्होंने कहा कि मस्जिद के इमाम पर इस बात के लिए एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए कि उसके रहते शिवलिंग में छेद कैसे हो गया. 

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'किसी भी धर्म के खिलाफ टिप्पणी सहन नहीं करेंगे'

उन्होंने कहा कि  इतिहास के साक्ष्यों के आधार पर मुसलमानों को अब हिन्दुओं के पवित्रतम स्थान को उन्हें वापस कर देना चाहिए. जिससे देश में सौहार्द्र और भाईचारा बना रहे. उन्होंने कहा कि औरंगजेब की अदालत में तो न्याय नहीं मिल पाया, लेकिन अब न्याय की उम्मीद है. सभा में यह भी प्रस्ताव पास किया गया कि संत समाज किसी भी धर्म या महापुरुष के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों का समर्थन नहीं करेगा और ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करेगा. 

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