‘हनुमनथप्पा ने शांतिपूर्ण पोस्टिंग की बजाय अपनी 13 साल की कुल सेवा में से 10 साल सियाचिन जैसे संघर्ष वाले क्षेत्रों को चुना’
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‘हनुमनथप्पा ने शांतिपूर्ण पोस्टिंग की बजाय अपनी 13 साल की कुल सेवा में से 10 साल सियाचिन जैसे संघर्ष वाले क्षेत्रों को चुना’

लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। उन्होंने शांति वाले क्षेत्रों को चुनने के बजाय कठिन क्षेत्रों को चुना और संघर्ष के क्षेत्रों में 10 साल तक लड़े। गौरतलब है कि सियाचिन ग्लेशियर में 6 दिन तक बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद हनुमनथप्पा को चमत्कारिक तरीके से जीवित पाया गया था।

‘हनुमनथप्पा ने शांतिपूर्ण पोस्टिंग की बजाय अपनी 13 साल की कुल सेवा में से 10 साल सियाचिन जैसे संघर्ष वाले क्षेत्रों को चुना’

जम्मू : लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। उन्होंने शांति वाले क्षेत्रों को चुनने के बजाय कठिन क्षेत्रों को चुना और संघर्ष के क्षेत्रों में 10 साल तक लड़े। गौरतलब है कि सियाचिन ग्लेशियर में 6 दिन तक बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद हनुमनथप्पा को चमत्कारिक तरीके से जीवित पाया गया था।

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बहादुर सैनिक ने उच्च स्तर का पहल प्रदर्शित किया और अपनी 13 साल की कुल सेवा में से 10 साल कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में सेवा दी है। हनुमनथप्पा को सोमवार को जिंदा पाया गया था। वह छह दिन तक 25 फुट बर्फ के नीचे दबे रहे जब पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा के करीब 19 हजार 600 फुट की उंचाई पर हिमस्खलन ने उनकी चौकी को अपनी जद में लिया। उस उंचाई पर तापमान शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस कम था।

अधिकारी ने कहा, 33 वर्षीय सेवारत सैनिक 25 अक्टूबर 2002 को मद्रास रेजीमेंट की 19 वीं बटालियन में शामिल हुए थे और बेहद प्रेरित और शारीरिक रूप से तंदरूस्त है-उसने शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को चुना। 

अधिकारी ने कहा, सैनिक ने महोर (जम्मू कश्मीर) में 2003 से 2006 के बीच काम किया, जहां वह आतंकवाद निरोधी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्होंने एकबार फिर 2008 से 2010 के बीच स्वेच्छा से 54 वीं राष्ट्रीय राइफल्स में सेवा देने की बात कही, जहां उन्होंने आतंकवाद से लड़ने में अदम्य साहस और वीरता दिखाई। हनुमनथप्पा 2010 से 2012 के बीच पूर्वोत्तर में स्वेच्छा से सेवा दी, जहां वह नेशनल डेमोक्रेटिक फंट्र ऑफ बोडोलैंड और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के खिलाफ सफल अभियानों में सक्रियता से हिस्सा लिया।

अधिकारी ने बताया कि वह अगस्त 2015 से सियाचिन ग्लेशियर के बेहद उंचाई वाले क्षेत्रों में सेवा दे रहे थे और दिसंबर 2015 से 19600 फुट की उंचाई पर सर्वाधिक उंची चौकियों में से एक पर अपनी तैनाती को चुना। वहां तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे और 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक हवा चल रही है। अधिकारी ने कहा, व्यक्ति के तौर पर हनुमनथप्पा हमेशा मुस्कराते रहने वाले व्यक्ति हैं। उनका अपने साथियों और कनिष्ठों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध है।

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