Health Issues: कहीं आपको भी तो नहीं ये 'लाइलाज' बीमारी? भारत में भी कई लोग हो चुके हैं पीड़ित
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Health Issues: कहीं आपको भी तो नहीं ये 'लाइलाज' बीमारी? भारत में भी कई लोग हो चुके हैं पीड़ित

Victims In India: आज कल की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत से लोग तनाव (Stress) की समस्या से जूझ रहे हैं. आज हम आपको बताते हैं कि आखिर तनाव से संबंधित बीमारी (Illness) का इलाज इतना मुश्किल क्यों है?

Health Issues: कहीं आपको भी तो नहीं ये 'लाइलाज' बीमारी? भारत में भी कई लोग हो चुके हैं पीड़ित

Stress Related Illness: कम से कम तीन दशकों के दौरान रिसर्चर्स (Researchers) ने इस बात के सबूत इकट्ठा किए हैं कि पहले से चला आ रहा तनाव शारीरिक स्थिरता को बरकरार रखने की प्रक्रिया में घुसपैठ के उद्देश्य से शरीर पर दबाव डालता है. इसे 'एलोस्टैटिक लोड' यानी शारीरिक रूप से कमजोर (Weak) करने की प्रक्रिया कहा जाता है. 'एलोस्टैटिक लोड' लोगों को विभिन्न प्रकार की हृदय, पाचनतंत्र, प्रतिरक्षा तंत्र और मानसिक समस्याओं आदि के प्रति संवेदनशील बनाता है. 

तनाव स्वास्थ्य को करता है प्रभावित

यह दिखाने के लिए साक्ष्य सामने आ रहे हैं कि मनोसामाजिक (Psychosocial) और आर्थिक तनाव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं. लेकिन हमारे चिकित्सकों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों (Health Care Systems) के पास इन सामाजिक व आर्थिक कारकों का विश्लेषण करके हमारे इलाज या बचाव के लिए आवश्यक उपकरण और विधियां नहीं हैं. इसे एक व्यक्तिगत उदाहरण के जरिए समझने की कोशिश करते हैं. बातचीत के दौरान एक महिला ने बताया कि हाल ही में उसने अपने डॉक्टर (Doctor) से बात कर रहस्यमय दर्द के बारे में बताया. ऐसे में यदि कोई विशिष्ट संक्रमण या चोट लगी होती या रक्त गतिविधि अपूर्ण होती, तो गहन जांच और उससे मिली जानकारी बहुत उपयोगी होती. 

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बहुत से लोग करते हैं तनाव का अनुभव

महिला ने आगे कहा कि लेकिन ये ऐसे लक्षण थे जो धीरे-धीरे पनपने शुरू हुए थे और कोविड (Covid) व काम से संबंधित तनाव के कारण लगातार बढ़ रहे थे. अपने डॉक्टर को जब यह बता रही थी कि मेरा दर्द कैसे, कहां और कब शुरू हुआ, तब मुझे अपनी बिगड़ती हालत पर तरस आया. शायद इसे ही मानसिक तनाव (Mental Stress) कहा जा सकता है. बहुत से लोग इस अनुभव से गुजरते हैं. जो लोग इस दर्द का सामना करते हैं, उनके बारे में गलत धारणा और उनसे दूरी बनाने की जड़ें बहुत गहरी हैं. ये धारणाएं लैंगिक और नस्लीय आधार पर भी हो सकती हैं. 

आवश्यक उपकरण नहीं हैं

यह ज्ञात है कि तनाव और सामाजिक व आर्थिक विषमताएं (Inequalities) लोगों को बीमार बनाती हैं, लेकिन चिकित्सकों के पास बीमारी के उन कारणों को ठीक करने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं हैं. दवाइयां (Medicine) देने के बाद ज्यादा से ज्यादा वे मनोचिकित्सा की पेशकश कर सकते हैं. लेकिन मनोचिकित्सा कराना और खर्च उठाना अधिकांश लोगों के बस की बात नहीं है. हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली भी स्वास्थ्य के मनोसामाजिक निर्धारकों से निपटने में सक्षम नहीं है, जो परिस्थितियों और संस्कृति से पैदा हुए होते हैं. इसलिए उन्हें क्लीनिकल देखभाल के ​​​​दृष्टिकोण से अधिक दूसरी चीजों की आवश्यकता होती है. 

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लाइलाज है ये बीमारी?

उदाहरण के लिए, नस्लीय और जातीय अल्पसंख्यकों (Minorities) के लिए दर्द निवारक दवाइयों के नुस्खे पर रिसर्च से पता चलता है कि अश्वेत रोगियों के दर्द का इलाज किया ही नहीं जाता. यह उन लोगों द्वारा बताए गए लक्षणों में विश्वास की कमी को दर्शाता है जो पहले से ही सामाजिक-आर्थिक असमानता से पीड़ित हो सकते हैं. साल 2020 में जॉयस इचक्वान (Joyce Ichquan) की मौत इसका एक उदाहरण है. इस मामले में क्यूबेक अस्पताल द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और मर्ज का इलाज (Treatment) न किए जाने से स्वास्थ्य असमानता की समस्या को अनदेखा करने की परंपरा उजागर हो गई. कुल मिलाकर रिसर्च में यह पता चलता है कि चिकित्सकों के प्रशिक्षण में कमी और खर्च उठाने में अक्षमता तनाव से संबंधित बीमारी के इलाज को मुश्किल बना देती है. 

(इनपुट - भाषा)

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