प्रेग्नेंसी के 7वें महीने में हाई कोर्ट ने महिला को दी Abortion की अनुमति, जानें कारण
Advertisement
trendingNow1825643

प्रेग्नेंसी के 7वें महीने में हाई कोर्ट ने महिला को दी Abortion की अनुमति, जानें कारण

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार को एक महिला की याचिका को मंजूरी दे दी है, जिसमें गंभीर जन्म दोष से पीड़ित 28 हफ्ते के गर्भ को खत्म करने की अनुमति मांगी गई थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi Hight Court) ने सोमवार को एक महिला को 28 सप्ताह के भ्रूण के चिकित्सीय गर्भपात की इजाजत दे दी. महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दी थी और गंभीर जन्म दोष से पीड़ित गर्भ को खत्म करने की अनुमति मांगी थी. यह अजन्मा बच्चा अविकसित मस्तिष्क वाला और अधूरे स्कल्प (खोपड़ी) का था. यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम 1971 में गर्भ को 20 हफ्ते के बाद हटाने पर रोक है.

  1. कोर्ट ने 28 हफ्ते के गर्भ को खत्म करने की अनुमति दी
  2. महिला ने बताया कि भ्रूण एनसेफली से पीड़ित था
  3. बच्चा अविकसित मस्तिष्क और अधूरे स्कल्प का था
  4.  

इस गंभीर बीमारी से पीड़ित था होने वाला बच्चा

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने 7 जनवरी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) से कहा था कि वह महिला के गर्भ के हटाने की फिजीबिलिटी पर रिपोर्ट पेश करे. इस मामले में महिला ने अदालत को बताया था कि 27 हफ्ते 5 दिनों के गर्भ की अल्ट्रा-सोनोग्राफी में पता चला था कि भ्रूण एनसेफली से पीड़ित था जो उसके जीवन को अक्षम बनाता है.

लाइव टीवी

ये भी पढ़ें- शहद का ज्यादा इस्तेमाल सेहत के लिए खतरा, ये हो सकते हैं नुकसान

एडवांस टेक्नॉलॉजी के जरिए पूरी तरह सुरक्षित

डॉक्टरों ने कहा था कि एडवांस टेक्नॉलॉजी के जरिए यह महिला के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है कि वह अपनी गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय भ्रूण का गर्भपात करा सकती है. महिला ने दावा किया, '20 हफ्ते तक समयसीमा कठोर, भेदभावपूर्ण है और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करती है.'

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news