हिमाचल चुनाव: वंशवाद के मोह से नहीं उबर पाई कांग्रेस, वीरभद्र के आगे टेके घुटने
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हिमाचल चुनाव: वंशवाद के मोह से नहीं उबर पाई कांग्रेस, वीरभद्र के आगे टेके घुटने

कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी में परिवारवाद हावी नहीं है, यह जतलाने की भरपूर कोशिश की और दूसरी सूची ऐन वक्त पर जारी की. दरअसल आलाकमान ऐसा संदेश देना चाहता है कि टिकट का मापदंड पिता का बड़ा रुतबा नहीं बल्कि जिताऊपन व जनाधार ही होगा. 

वीरभद्र सिंह (फाइल फोटो)

शिमला: कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में नौ नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नौ उम्मीदवारों की दूसरी सूची रविवार को जारी कर दी है. कांग्रेस ने 18 अक्‍टूबर को 59 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी. दूसरी सूची में शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. वहीं मंडी सीट से मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी चम्पा सिंह को पार्टी ने टिकट दिया है. विक्रमादित्य ने टिकट के लिए दिल्ली में डेरा डाल दिया था. 

  1. कांग्रेस ने प्रत्‍याशियों की दूसरी लिस्‍ट भी जारी की
  2. कई दिग्‍गजों के बेटे-बेटियों को मिला टिकट
  3. नौ नवंबर को राज्‍य में होने हैं चुनाव

दिग्‍गजों के दांव
सूची सामने आते ही जाहिर हो गया कि कांग्रेस ने वीरभद्र के आगे घुटने टेक दिए क्योंकि वीरभद्र पहले ही घोषित कर चुके थे कि शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से उनके बेटे चुनाव लड़ेंगे. अपने बेटे को राजनीति में लाने के लिए मुख्यमंत्री सोलन जिले के आर्की विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. पार्टी ने मंडी विधानसभा सीट से राज्य के मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी चम्पा सिंह को टिकट दिया है. हालांकि टिकट फाइनल न होने के बावजूद कौल सिंह की बेटी चंपा ने मंडी से पर्चा दाखिल कर दिया था. जिला परिषद मंडी की अध्यक्ष हैं. तीन दफा जिला परिषद सदस्य के रूप में चुनाव जीता है. कौल सिंह ठाकुर को दरांग विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. 

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दूसरी सूची में कांग्रेस ने केवल सिंह पठानिया को शाहपुर से और आशीष बुटैल को पालमपुर से उम्मीदवार बनाया है जहां से वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटैल विधायक हैं और इस बार वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. आशीष बुटैल अध्यक्ष के पुत्र हैं. 

कांग्रेस ने ठियोग सीट से दीपक राठौर को मैदान में उतारा है जहां से पहले राज्य की मंत्री विद्या स्टोक्स प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. मनाली से हरी चंद शर्मा को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है जबकि सुरिंदर ठाकुर कुल्लू से कांग्रेस उम्मीदवार होंगे. विवेक शर्मा को कुटलहर से जबकि लखविंदर राणा को नालागढ़ से उम्मीदवार बनाया गया है. पार्टी ने अन्नी से अपना उम्मीदवार बदला है. इस जगह से बंसीलाल के स्थान पर पारस राम चुनाव लड़ेंगे जिनके नाम की घोषणा पहली सूची में की गई थी. 

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कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी में परिवारवाद हावी नहीं है, यह जतलाने की भरपूर कोशिश की और दूसरी सूची ऐन वक्त पर जारी की. दरअसल आलाकमान ऐसा संदेश देना चाहता है कि टिकट का मापदंड पिता का बड़ा रुतबा नहीं बल्कि जिताऊपन व जनाधार ही होगा. हालांकि, वंशवाद और परिवाद का आरोप झेल रही कांग्रेस के लिए यह कदम नुकसानदायक भी साबित हो सकता है. बीजेपी इस मुद्दे को जोरशोर से उछालकर कांग्रेस को हाशिये पर डाल सकती है.

अंदरूनी कलह 
चंद बड़े नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को टिकट देकर कांग्रेस ने अन्य दावेदारों को नाराज कर दिया है. कांग्रेस अंदरूनी कलह से भी जूझ रही है. नालागढ़ सीट से लखविंदर राणा को नालागढ़ से उम्मीदवार बनाया गया है. लखविंदर को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का करीबी माना जाता है. यहां से सीएम वीरभद्र सिंह के करीबी माने जाने वाले बावा हरदीप सिंह को मायूसी हाथ लगी है.   

गौरतलब है कि 68 सदस्यीय हिमाचल विधानसभा के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 23 अक्‍टूबर है. नामांकनों की जांच 24 अक्टूबर को होगी तथा 26 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. नौ नवंबर को मतदान होगा. चुनाव परिणाम की घोषणा 18 दिसंबर को होगी.

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