हिंदी दिवस: तेजी से आगे बढ़ रही है मातृभाषा, डिजिटल इंडिया ने दी रफ्तार
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हिंदी दिवस: तेजी से आगे बढ़ रही है मातृभाषा, डिजिटल इंडिया ने दी रफ्तार

हिंदी को आगे बढ़ाने का श्रेय तमाम बड़ी विदेशी कंपनियां को जाता है जो इस भाषा को बढ़ावा दे रही हैं. 

(फोटो साभार- स्क्रीन ग्रैब)

नई दिल्ली: देश की मातृभाषा हिंदी लोगों के बीच सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषा है. पिछले कुछ समय में हिंदी ने लोगों के बीच अपनी खास पहचान बना ली है. हिंदी को आगे बढ़ाने का श्रेय तमाम बड़ी विदेशी कंपनियां को जाता है जो इस भाषा को बढ़ावा दे रही हैं. हाल में आए आकंड़ों के मुताबिक 43.63% लोग देश में हिंदी भाषा बोलते हैं, जबकि 2001 में यह आंकड़ा 41.3% था. साल 2001 में लगभग 42 करोड़ लोग हिंदी बोलते थे. तकरीबन 10 साल बाद 2011 में ये आकंड़ा 52 करोड़ के पार हो गया. हाल ही में जारी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2011 के बीच हिंदी बोलने वाले 10 करोड़ लोग बढ़ गए है. 

कुछ सालों में डिटिजल पर होगा हिंदी का राज 
दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में डिजिटल माध्यम में हिंदी समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है. 2021 में हिंदी में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले अंग्रेजी में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से अधिक हो जाएंगे. गूगल के अनुसार हिंदी में सामग्री पढ़ने वाले हर वर्ष 94% बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में 17% प्रतिवर्ष है. अमेजन इंडिया ने हाल ही में अपना एप हिंदी में लॉन्च किया है. ओएलएक्स, क्विकर जैसे प्लेटफॉर्म पहले ही हिंदी में उपलब्ध हैं. स्नैपडील भी अब हिंदी में आ चुका है. 

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बढ़ी है हिंदी पढ़ने वालों की संख्या 
2021 तक 8.1 करोड़ लोग डिजिटल पेमेंट के लिए हिंदी का उपयोग करने लगेंगे, जबकि 2016 में यह संख्या 2.2 करोड़ थी. सरकारी कामकाज के लिए 2016 तक 2.4 करोड़ लोग हिंदी का इस्तेमाल करते थे जो 2021 में 9.4 करोड़ हो जाएंगे. गूगल-केपीएमजी रिसर्च, सेंसस इंडिया, आईआरएस सर्वे के अनुसार देश में हिंदी अखबार पढ़ने वालों की संख्या 17.6 करोड़ है. 2014 में यह 12.1 करोड़ थी, यानी हिंदी अखबार पढ़ने वालों की संख्या 45% बढ़ी है. 

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मंत्रालयों में उपेक्षित होती राजभाषा 
मंत्री और अधिकारी ही नहीं करते हिंदी का प्रयोग हाल ही में राजभाषा विभाग के सचिव ने कहा है कि मंत्रियों और विभागों की ओर से मिलने वाले पत्रों में सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत ही हिंदी में होते हैं. हालांकि अधिकांश मंत्री दावा करते हैं कि वे 50 से 60 प्रतिशत पत्र-व्यवहार हिंदी में करते हैं. 

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