जानिये वो नदियां जिनमें स्नान से धन बरसता है
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जानिये वो नदियां जिनमें स्नान से धन बरसता है

रूपये पैसे किसे नहीं चाहिये। आप भी चाहते हैं कि सारा ज़माना साथ दे या न दे, लेकिन लक्ष्मी माता का साथ सदा बना रहे। वैसे भी कलियुग में सारे रिश्ते नाते तभी काम आते हैं जब आपके पास धन संपत्ति हो। मगर धन संपत्ति हासिल करने के लिये कितना पसीना बहाना पड़ता है ये तो आप भी जानते हैं। लेकिन 12 महीनों में कार्तिक मास ही सिर्फ ऐसा महीना है जिसमें स्नान करने से ही धन संपत्ति मिल जाती है। इसके लिये आपको उन नदियों में स्नान करना है जो धन बरसाने के लिये मशहूर हैं। स्कंद पुराण के कार्तिक खंड में इन धन बरसाने वाली नदियों के नाम विस्तार से दिये गये हैं। 

फाइल फोटो

दिल्ली: रूपये पैसे किसे नहीं चाहिये। आप भी चाहते हैं कि सारा ज़माना साथ दे या न दे, लेकिन लक्ष्मी माता का साथ सदा बना रहे। वैसे भी कलियुग में सारे रिश्ते नाते तभी काम आते हैं जब आपके पास धन संपत्ति हो। मगर धन संपत्ति हासिल करने के लिये कितना पसीना बहाना पड़ता है ये तो आप भी जानते हैं। लेकिन 12 महीनों में कार्तिक मास ही सिर्फ ऐसा महीना है जिसमें स्नान करने से ही धन संपत्ति मिल जाती है। इसके लिये आपको उन नदियों में स्नान करना है जो धन बरसाने के लिये मशहूर हैं। स्कंद पुराण के कार्तिक खंड में इन धन बरसाने वाली नदियों के नाम विस्तार से दिये गये हैं। 
धनवर्षा कैसे करती हैं नदियां?
कहा जाता है कि कार्तिक में स्नान के लिये देवता तक तरसते हैं। इसीलिये कार्तिक लगते ही 33 करोड़ देवी देवता धरती पर उतर आते हैं। इस दौरान सभी नदियों का जल गंगा समान हो जाता है। गंगा लक्ष्मी का ही स्वरूप है। जहां जल है वहीं धन है। नदियों की घाटियों के किनारे ही सारी मानवीय सभ्यतायें पनपी हैं। इसीलिये अगर आप कार्तिक में धन बरसाने वाली इन नदियों में विधिवत स्नान करते हैं तो जीवन में संपन्नता आने में देर नहीं लगेगी। धन बरसाने वाली नदियों के नाम इस तरह हैं-
कार्तिक में धन दिलाने वाली नदियां 
-सिंध नदी 

ये उत्तरी भारत की तीन बड़ी नदियों में से एक हैं। इसका उद्गम बृहद् हिमालय में कैलाश से 62.5 मील उत्तर में सेंगेखबब के स्रोतों में है। 
-कृष्णा नदी
पश्चिमी घाट के पर्वत महाबालेश्वर से निकलती है। इसकी लम्बाई प्रायः 1290 किलोमीटर है। यह दक्षिण-पूर्व में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है।
-वेणी नदी
सतारा (महाराष्ट्र) से पांच मील की दूरी पर पूर्व कृष्णा और वेणी के संगम पर 'माहुली' नामक पुण्य तीर्थ बसा है। श्रीमद्भागवत में वेणी नदी का विवरण मिलता है।
-यमुना नदी
यमुनोत्री नाम की जगह से निकलने वाली ये नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यमुना का उद्गम स्थान हिमालय के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ ऊँचाई 6200 मीटर से 7 से 8 मील    उत्तर-पश्चिम का कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा या कालिंदी कहा जाता है।
-सरस्वती नदी
सरस्वती पौराणिक नदी है जिसका वर्णन ऋग्वेद (2 41 16-18) में मिलता है। यह नदी हमेशा जल से भरी रहती थी और इसके किनारे अन्न की प्रचुर उत्पत्ति होती थी। मौजूदा समय में  सरस्वती नदी लुप्त है लेकिन त्रिवेणी में आज भी मान्यता है कि यहां गंगा,यमुना और सरस्वती का संगम है।
-गोदावरी नदी
गोदावरी अत्यंत पुण्यदायिनी नदी है जिसका विवरण महाभारत वनपर्व, ब्रह्मपुराण के 133वें अध्याय, श्रीमद्भागवत और विष्णु पुराण जैसे शास्त्रों में मिलता है।
-विपासा नदी
विपाश पंजाब की व्यास नदी का पौराणिक नाम है। वशिष्ठ ऋषि पुत्र शोक से पीड़ित होकर आत्महत्या करने इसमें कूद गये थे। लेकिन नदी ने उनको वापस किनारे की ओर फेंक दिया था।    इसीलिये इसका नाम 'विपाशा' अर्थात 'पाशमुक्तकारिणी' पड़ा।
-नर्मदा नदी
 नर्मदा विंध्याचल की मैकाल पहाड़ी शृंखला में अमरकंटक से निकलती है। स्कंद पुराण के रेवा खंड में नर्मदा का ज़िक्र है। कालिदास के‘मेघदूतम्’में नर्मदा को रेवा कहा गया है जिसका अर्थ   पहाड़ी चट्टानों से कूदने वाली नदी है।
-तमसा नदी
 वाल्मीकि आश्रम, तमसा नदी के किनारे ही था, जहाँ निर्वासन के बाद सीता जी ने समय बिताया था। अयोध्या से जाते समय, लक्ष्मण जी के साथ सीता जी ने तमसा नदी पार की थी। 
-कावेरी नदी
 कावेरी नदी तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंट कर फिर एक हो जाती है, जिससे तीन द्वीप बने हैं। इन्हीं द्वीपों पर आदिरंगम, शिवसमुद्रम और श्रीरंगम नाम से श्री विष्णु भगवान के भव्य  मंदिर हैं।
-सरयू नदी
सरयू का वर्णन रामचरित मानस और रामायण के अलावा ऋग्वेद में भी मिलता है। तीर्थराज प्रयाग जब लोगों का पाप धुलकर काले हो जाते हैं तो सरयू में स्नान करके फिर से अपना रूप पाते  हैं।

इसके अलावा क्षिप्रा , चर्मण्वती (चंबल), झेलम, वेदिका, शोभभद्र, बेतवा, अपराजिता, गण्डकी, गोमती, पूर्णा, ब्रह्मपुत्रा, मानसरोवर, वाग्मती, सतलुज में कार्तिक स्नान से धन संपत्ति की कामना   पूरी होती है। वैसे तो आप कार्तिक में कहीं भी स्नान करें, आपको मिलने वाला पुण्य अक्षय रहेगा। लेकिन स्कंदपुराण में उन नदियों के नाम दिये गये हैं, जहां विधिवत स्नान से धन बरसता  है। इन नदियों में स्नान की महिमा अपार है। लेकिन ज़रूरी नहीं कि आप नदी या तालाब में ही स्नान करें। आप अपने घर में भी कार्तिक स्नान शुरु कर सकते हैं। लेकिन अगर आप धन  संपत्ति पाना चाहते हैं तो कार्तिक में इन नदियों में ज़रूर स्नान करें। लेकिन स्कंद पुराण में लिखा है कि कार्तिक में जहां कहीं भी तालाब या जलाशय हो, वहां स्नान करना चाहिये। कार्तिक में  गर्म के बजाय ठंडे जल से स्नान करने का ज्यादा फल मिलता है। 
किस स्थान पर स्नान का कितना फल?
-तालाब से सौ गुना पुण्य बाहरी कुयें के जल में स्नान से मिलता है।
-उससे भी ज्यादा फल पोखरे या बावड़ी के जल में स्नान से मिलता है।
-उससे दस गुना फल झरनों में और उससे भी ज्यादा फल नदी स्नान से मिलता है।
-दो या तीन नदियों के संगम में स्नान के पुण्य की सीमा नहीं है।

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