Politics news: केंद्रीय गृह मंत्री ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के सख्त रवैये के कारण तृणमूल कांग्रेस के कई नेता सलाखों के पीछे जा चुके हैं. शाह ने कहा कि ये सिर्फ 'दीदी की दादागिरी' के कारण है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इतने सारे नेता वर्तमान में सलाखों के पीछे हैं. उन्हाेंने कहा कि ममता अपने भतीजे (अभिषेक बनर्जी) को अगले मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देख पाएंगी.
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Amit Shah Speech: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के सूरी में जनसभा को संबोधित करते हुए शुक्रवार काे गृह मंत्री अमित शाह ने कहे कि अगर भाजपा अगले साल होने वाले आम चुनावों में पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 35 सीटें जीतने में सफल रहती है, तो राज्य में तृणमूल कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल (2026 तक) से पहले ही गिर जाएगी. अगर पश्चिम बंगाल के लोग 2024 में भाजपा को 35 सीटें देते हैं, तो उन्हें 2026 तक भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा. ममता बनर्जी की सरकार इससे पहले ही गिर जाएगी. यहां की जनती काे ये कर दिखाना है.
हालांकि, उन्हाेंने अपने भाषण के दौरान पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए आगामी चुनावों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा, जो 2023 में ही निर्धारित है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि उनके भाषण से स्पष्ट है कि अन्य राज्यों की तरह ही, भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल के लिए भी टोन सेट कर दिया है.
जमकर बरसे कांग्रेस पर
भाषण के दौरान अमित शाह ने तृणमूल कांग्रेस और राज्य सरकार के खिलाफ दो बिंदुओं पर हमला बाेला. घोटालों की घटनाएं, विशेष रूप से भर्तियों में और हाल ही में राज्य में रामनवमी के जुलूसों पर हुई झड़प. केंद्रीय गृह मंत्री ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के सख्त रवैये के कारण तृणमूल कांग्रेस के कई नेता सलाखों के पीछे जा चुके हैं. शाह ने कहा कि ये सिर्फ 'दीदी की दादागिरी' के कारण है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इतने सारे नेता वर्तमान में सलाखों के पीछे हैं. उन्हाेंने कहा कि ममता अपने भतीजे (अभिषेक बनर्जी) को अगले मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देख पाएंगी. भाजपा का कोई व्यक्ति पश्चिम बंगाल का अगला मुख्यमंत्री होगा.
राम नवमी की झड़पें ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति का परिणाम हैं
रामनवमी के जुलूसों को लेकर हावड़ा और हुगली जिलों में हुई झड़पों पर टिप्पणी करते हुए शाह ने कहा कि ये झड़पें तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति का परिणाम हैं. अगर नरेंद्र मोदी 2024 में तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में लौटते हैं, तो देश में कहीं भी कोई भी रामनवमी के जुलूस को रोकने की हिम्मत नहीं करेगा.
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