कैग ने इन हवाईअड्डों में विमानों में ईंधन भरने, राडार और आयुध रखरखाव उपकरणों की कमी गिनाई हैं.
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नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने एक अहम रिपोर्ट में सीमा क्षेत्र के नजदीक हवाईअड्डों में वायुसेना की तैयारियों में खामियों की तरफ इशारा किया है. कैग ने इन हवाईअड्डों में विमानों में ईंधन भरने, राडार और आयुध रखरखाव उपकरणों की कमी गिनाई हैं.
कैग ने कहा है कि इन हवाईअड्डों में कई तरह की खामियां हैं. विभिन्न उपकरणों की कमी और कमजोर ढांचागत सुविधाओं के चलते किसी भी संभावित चुनौती से निपटने में वायुसेना की तैयारी प्रभावित होगी.
संसद में मंगलवार को पेश कैग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 2011 में इन हवाईअड्डों में सुविधाओं को बेहतर करने का फैसला किया था. यह फैसला हवाईक्षेत्रों में ढांचागत सुविधाओं के आधुनिकीकरण योजना के तहत किया गया था लेकिन इनमें से ज्यादातर में कुछ नहीं बदला है.
कैग ने रिपोर्ट में कहा है खासतौर से युद्ध छिड़ने की स्थिति में हवाईअड्डों को हवाई संचालन के लिए पूरी तरह से तैयार रखना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. कैग की लेखा-परीक्षा में पाया गया है कि वायुसेना के हवाईअड्डों में सहायक सुविधायें अपर्याप्त रही हैं जिसका उसकी तैयारी पर असर पड़ता है.
पिनाका रॉकेट का उत्पादन विनिर्माण के दस साल बाद भी स्थिर नहीं हुआ
वहीं कैग ने कहा है कि स्वदेशी पिनाका रॉकेट पिछले साल जुलाई तक प्रयोग में नहीं लाया जा सका और कुछ खामियां की वजह से सेना को उसकी आपूर्ति रोक दी गई.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने आज संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि उत्पादन के दस साल बाद भी पिनाका का उत्पादन पूरी तरह स्थिर नहीं हो पाया। पिनाका सेना के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अस्त्र अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) द्वारा विकसित मल्टी बैरल लॉचिंग प्रणाली है। इसकी मारक क्षमता 38 किलोमीटर है।
आयुध कारखाने ने 2007-08 में पिनाका रॉकेट का उत्पादन शुरु किया था। कैग रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2011, अक्तूबर, 2011, अप्रैल 2014, मार्च 2015, दिसंबर 2015 में सत्यापन परीक्षण के दौरान पिनाका बहुत ही कम दूरी तरह पहुंच पाया था।
(इनपुट - भाषा)