स्कूल पर जाने के लिए रोजाना 70KM सफर, चाय की दुकान पर भी किया काम; फिर ऐसे बने IAS अफसर
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स्कूल पर जाने के लिए रोजाना 70KM सफर, चाय की दुकान पर भी किया काम; फिर ऐसे बने IAS अफसर

IAS Officer Himanshu Gupta Success Story: उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने गरीबी के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) पास की और आईएएस अफसर (IAS Officer) बने.

हिमांशु गुप्ता को साल 2019 में सफलता मिली. (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: जब छोटी जगहों के बच्चे बड़े सपने देखते हैं तो उन्हें साकार करना आसान नहीं होता. एक सफल जिंदगी के लिए उन्हें ज्यादा कोशिश करनी होती है, क्योंकि सफलता पाने के लिए उनके पास जरूरी संसाधन भी नहीं होते. उत्तर प्रदेश के रहने वाले हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) की कहानी भी ऐसी है, जिन्होंने गरीबी के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) पास की और आईएएस अफसर (IAS Officer) बने.

  1. बरेली के छोटे से गांव के रहने वाले हैं हिमांशु गुप्ता
  2. पिता के साथ टी-स्टॉल पर बेचते थे चाय
  3. स्कूल जाने के लिए रोजाना 70 किलोमीटर सफर

छोटे से गांव के रहने वाले हैं हिमांशु गुप्ता

यूपी में बरेली के एक छोटे से गांव सिरॉली के रहने वाले हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) भी जब टीवी पर बड़े और सफल लोगों की जीवनशैली देखते थे, तो उससे बहुत आकर्षित होते थे. वो भी चाहते थे कि एक दिन वो खुद ऐसी जिंदगी का हिस्सा बन पाएं. पर सच्चाई की जमीन बहुत सख्त होती है, इस पर गिरकर बड़े-बड़े सपने टूट जाते हैं.

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पिता के साथ टी-स्टॉल पर बेचते थे चाय

सारी मुश्किलों के बावजूद, दिहाड़ी कमाने वाले के इस बेटे ने अपने सपनों को टूटने नहीं दिया, बल्कि उन्हें बहुत प्यार से बुना. आखिरकार अपने पिता के साथ टी-स्टॉल पर चाय बेचने वाले हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) बन ही गए.

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बेहद गरीबी में बीता हिमांशु का बचपन

हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) का बचपन आम बच्चों जैसा नहीं था और उन्होंने बेहद गरीबी में दिन काटे. उनके पिता पहले दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे, उसके बाद उन्होंने चाय का ठेला लगाना शुरू कर दिया. हिमांशु भी स्कूल के बाद इस काम में अपने पिता की मदद करते थे. चाय बांटने के दौरान जब वे कुछ लोगों को देखते थे कि वे पैसे नहीं गिन पा रहे हैं तो सोचते थे कि शिक्षा जीवन में कितनी जरूरी है. उसी समय उन्होंने तय किया कि एजुकेशन को टूल बनाकर ही वे अपनी जिंदगी बदलेंगे.

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स्कूल जाने के लिए रोजाना 70 किलोमीटर सफर

हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) के बचपन की कठिनाइयों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनका स्कूल घर से 35 किलोमीटर दूर था. वे रोज 70 किलोमीटर का सफर तय करते थे, वो भी केवल बेसिक एजुकेशन पाने के लिए. इसके बाद वे पिताजी को चाय के स्टॉल में मदद करते थे. ऐसे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उनको पढ़ाई के लिए कितना वक्त मिलता था, लेकिन हिमांशु दिमाग के तेज थे, वे चीजें जल्दी सीखते थे और उन्हें पढ़ाई में दूसरे स्टूडेंट्स की तुलना में कम समय लगता था. ऐसे ही हिमांशु ने क्लास 12 तक की शिक्षा ली. हिमांशु के पिता ने बाद में जनरल स्टोर की दुकान खोल ली, जो आज भी है. 

12वीं के बाद पहली बार पहुंचे मेट्रो सिटी

हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने 12वीं के बाद पहली बार किसी मेट्रो सिटी में कदम रखा. पुराने दिनों को याद करते हुए हिमांशु बताते हैं कि क्लास 12 के बाद जब वे दिल्ली के हिंदू कॉलेज पहुंचे तो वह पहला मौका था जब उन्होंने किसी मेट्रो सिटी में कदम रखा था. अपने पिता के फोन में इंडिया के अच्छे इंस्टीट्यूट खोजते वक्त उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के बारे में पढ़ा. किस्मत से उनके अंक अच्छे थे और उन्हें एडमिशन मिल गया.

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खुद की पढ़ाई के लिए किए कई काम

दिल्ली आने के बाद से आगे की पढ़ाई करने तक पैसों की समस्या हल करने के लिए हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने पढ़ाई के साथ ही बहुत से और काम किए. उन्होंने ट्यूशन पढ़ाए, पेड ब्लॉग्स लिखे और जहां-जहां संभव हुआ स्कॉलरशिप्स हासिल कीं. ऐसे उनकी शिक्षा पूरी हुई.

तीन बार पास की यूजीसी नेट की परीक्षा

ग्रेजुएशन के बाद हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने एमएससी की और हिमांशु की काबिलियत का पता यहीं से चलता है कि उन्होंने इस दौरान पूरे तीन बार यूजीसी नेट की परीक्षा पास की. यही नहीं गेट परीक्षा में भी सिंग्ल डिजिट रैंक लाए और अपने कॉलेज में टॉप भी किया.

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विदेश जाकर पीएचडी करने का था मौका

इस सबसे हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया और उन्हें लगने लगा कि वे इससे भी बड़ा कुछ हासिल करने की क्षमता रखते हैं. इस बीच उनके पास विदेश जाकर पीएचडी करने के मौके भी आए पर उन्होंने अपने देश और खासतौर पर अपने पैरेंट्स के पास रहना चुना, जिन्होंने इतनी मेहनत से उन्हें पढ़ाया था. यही वो मौका भी था जब हिमांशु ने बड़ी गंभीरता से सिविल सर्विसेस के बारे में सोचना शुरू किया.

पहली बार यूपीएससी परीक्षा में बुरी तरह हुए फेल

हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी की. उनके कोचिंग न कर पाने के दो कारण थे. एक तो पैसा और दूसरा हमेशा सेल्फ स्टडी करने के कारण केवल सेल्फ स्टडी पर ही भरोसा. जी-जान से तैयारी करके हिमांशु ने परीक्षा दी पर पहले प्रयास में वो बुरी तरह फेल हो गए. उनके लिए यह स्थिति इसलिए भी बहुत खराब थी, क्योंकि उन्हें अपने और परिवार के लिए पैसों की बहुत जरूरत थी. हिमांशु ने जेआरएफ लिया और एमफिल करने लगे. इस फैसले से पैसे तो आ गए पर सिविल सर्विस और रिसर्च के बीच वक्त मैनेज करना बड़ा मुश्किल था.

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साल 2019 में मिली हिमांशु को सफलता

साल 2019 मार्च में हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने इधर अपनी थीसेस पूरा किया और एक महीने बाद अप्रैल 2019 में उनका सिविल सर्विसेस का रिजल्ट आ गया. हिमांशु चयनित हो गए. साल 2018 की परीक्षा जिसका रिजल्ट 2019 में आया, इसमें उनकी 304 रैंक आई. हिमांशु और उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.

'फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसी जगह से हैं'

अपने अनुभव से हिमांशु कहते हैं कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप छोटी जगह से हैं, छोटे स्कूल से पढ़े हैं या आपके मां-बाप की माली हालत क्या है. अगर आपके सपने बड़े हैं तो आप जिंदगी में कहीं भी पहुंच सकते हैं. आपकी जॉब आपको एक से दूसरे करियर में ले जाएगी पर आपके सपने आपको कहीं भी ले जा सकते हैं. इसलिए सपने देखें, मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें, क्योंकि सपने वाकई सच होते हैं.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी आईएएनएस)

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