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नई दिल्ली: कहते हैं कि अगर दिल में चाहत हो तो हम कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं और ऐसा ही महाराष्ट्र के धुले जिले के रहने वाले राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) ने कर दिखाया. डॉक्टर राजेंद्र ने बेहद संघर्ष के बाद भी अपनी पढ़ाई पूरी की और आईएएस अफसर (IAS Officer) बने. उनके जीवन की कहानी प्रेरणादायक ही नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए मिसाल है, जो सुविधाएं नहीं होने की वजह से सिविल सर्विस (UPSC Civil Service Exam) में जाने का फैसला बदल देते हैं.
राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) ने जन्म से पहले ही अपने पिता को खो दिया था. जब वह गर्भ में थे तभी उनके पिता गुजर गए और वह अपने पिता की फोटो तक नहीं देख पाए, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि एक वक्त का खाना भी बमुश्किल जुट पाता था.
दैनिक भास्कर से बात करते हुए राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) ने बताया कि उनका परिवार गन्ने के खरपतवार से बनी छोटी सी झोपड़ी में रहता था. पिता के निधन के बाद राजेंद्र की मां कमलाबहन मजदूरी करती थीं, लेकिन सिर्फ 10 रुपये मिलते थे और इससे जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थी. इसके बाद उनकी मां ने देसी शराब बेचनी शुरू कर दी.
राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) बताते हैं, 'मैं तब 2-3 साल था. भूख लगने पर रोता तो शराब पीने बैठे लोगों को परेशानी होती थी. कुछ लोग तो चुप कराने के लिए मेरे मुंह में शराब की एक-दो बूंद डाल देते थे और मैं चुप हो जाता था. इसके बाद दादी भी दूध की जगह एक-दो चम्मच शराब पिला देती थी और मैं भूखा होते हुए भी चुपचाप सो जाता. कुछ दिनों में आदत पड़ गई. इतना ही नहीं र्दी-खांसी होने पर भी दवा की जगह दारू मिलती थी.'
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राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) ने बताया, 'जब मैं चौथी क्लास में था तो घर के बाहर चबूतरे पर बैठकर पढ़ाई करता था, लेकिन शराब पीने आने वाले लोग कोई न कोई काम बोल देते थे. काम के बदले लोग कुछ पैसे देते थे, उसी से किताबें खरीदता था.'
राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) ने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और 10वीं में 95 प्रतिशत अंक हासिल किए. इसके बाद 12वीं में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और 90 प्रतिशत नंबर लेकर आए. 12वीं के बाद उन्होंने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी और सफलता हासिल कर ओपन मेरिट के तहत मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया. साल 2011 में राजेंद्र कॉलेज में बेस्ट स्टूडेंट चुने गए.
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जब राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) एमबीबीएस के अंतिम साल में थे तब उन्होंने यूपीएससी एग्जाम का फॉर्म भरा. राजेंद्र ने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर ली और आईएएस अफसर बन गए. राजेंद्र बताते हैं कि यूपीएससी एग्जाम में बैठने का फैसला काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि उस समय वह एमबीबीएस एग्जाम की भी तैयारी कर रहे थे.
राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) बताते हैं कि उनकी मां को पहले कुछ पता नहीं चला. जब गांव के लोग, अफसर, नेता बधाई देने आने लगे तब उन्हें पता चला कि उनका बेटा कलेक्टर की परीक्षा में पास हो गया है. इसके बाद वह सिर्फ रोती रहीं.
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राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) ने कहा, 'एक दिन शराब पीने घर आने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि पढ़-लिखकर क्या करेगा? अपनी मां से कहना कि लड़का भी शराब ही बेचेगा. ये बात मैंने अपनी मां को बताई. इसके बाद उन्होंने संकल्प किया कि बेटे को डॉक्टर या कलेक्टर ही बनाऊंगी. मैं इतना जरूर मानता हूं कि आज मैं जो कुछ भी हूं, मां के विश्वास की बदौलत ही हूं.'
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