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लखनऊ: पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है. सीटों के लिहाज से सबसे बड़े सूबे यूपी (UP) में यूं तो राजनीतिक दलों की तैयारियां महीनों पहले शुरू हो गई थीं. लेकिन तारीख फाइनल होने के बाद अब मतदान से पहले दूसरी सियासी पार्टियों में सेंध लगने और लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है. देश की सियासत का रास्ता तय करने के लिए 'उत्तर प्रदेश' (Uttar Pradesh) वो सीढ़ी है, जो दिल्ली की सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाती है. इसीलिए सभी दल सत्ता के इस सेमीफाइनल में जी जान से जुटे हैं.
सुविधा की राजनीति कहें या आया राम गया राम वाला जुमला. समाजवादी पार्टी (SP) सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी पांच साल के पॉलिटिकल वनवास के बाद सत्ता में वापसी के लिए उस हर समीकरण पर मंथन कर रहे हैं जहां से उन्हें फायदा होता दिख रहा है. कुछ ऐसी ही कवायद के तहत राहुल-प्रियंका के बेहद करीबी कांग्रेस नेता इमरान मसूद (Imran Masood) जल्द ही सपा की साइकिल पर सवार हो सकते हैं.
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सूबे के सहारनपुर जिले से ताल्लुख रखने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव इमरान मसूद (Imran Masood) अपने बयानों के चलते काफी दिनों से चर्चा में हैं. अब तो उन्होंने अपने एक बयान से ये बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि वो कांग्रेस से सारे रिश्ते-नाते तोड़, सपा में घर वापसी कर सकते हैं.
इमरान ने अपने दिए एक बयान में कहा है कि मौजूदा राजनीतिक हालात बताते हैं कि यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी लड़ाई है, मैं सोमवार को अपने समर्थकों के साथ बैठक करूंगा फिर अखिलेश जी से समय मांगूंगा. इस बयान के बाद तय हो गया है कि वो बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए 2022 में साइकिल का दामन थामेंगे.
Uttar Pradesh: AICC Secretary Imran Masood says he is going to join Samajwadi Party
"Current political circumstances indicate that there is a direct fight between BJP & Samajwadi Party in UP... I will hold a meeting with my supporters tomorrow & then seek time from Akhilesh Ji." pic.twitter.com/dElKXfKZyI
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 9, 2022
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इमरान मसूद सहारनपुर में सबसे बड़े जनाधार वाले नेता माने जाते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और वेस्ट यूपी के सियासी दिग्गज रहे मरहूम काजी रशीद मसूद की राजनीतिक विरासत को उनके भतीजे पूर्व विधायक और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव इमरान मसूद संभाल रहे हैं. मुस्लिम मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता है. साल 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव हुआ में इमरान मसूद ने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री जगदीश राणा के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और उन्हें हराया था.
दरअसल, पश्चिमी यूपी में 20 फीसदी के करीब जाट और 30 से 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. यहां के 26 जिलों में 136 विधानसभा सीटे हैं. इस वोट बैंक के साथ आने से करीब 50 से ज्यादा सीटों पर जीत लगभग तय हो जाती है. 2017 की बात करें तो BJP को 136 में से 109 सीट पर जीत मिली थी. पश्चिम के इस गढ़ को फतह करने के लिए सपा पहले RLD से गठबंधन कर चुकी है बस सीटों पर बात बननी तय रह गई है. ऐसे में इमरान मसूद का एक बार फिर सपा में आना, बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
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