इस एयरक्राफ्ट ने आगरा, हिंडन, रांची, जामनगर, चंडीगढ़, भोपाल और सूरत जैसे दूर-दूर स्थित शहरों के बीच एक हवाई पुल बना दिया है. इसके अलावा ग्लोबमास्टर सिंगापुर, बैंकॉक, दुबई और जर्मनी से भी ऑक्सीजन के टैंकर और कंटेनर ला रहा है.
- नई दिल्ली: जिस सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट ने पिछले साल लद्दाख में रातों-रात हजारों सैनिकों और टैंक सहित दूसरे सैनिक साजोसामान एलएसी पर पहुंचा कर चीन को चौंका दिया था, वही ग्लोबमास्टर इस समय दिन-रात ऑक्सीजन प्लांट्स और टैंकर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाकर लाखों लोगों की जान बचा रहा है. इस एयरक्राफ्ट ने आगरा, हिंडन, रांची, जामनगर, चंडीगढ़, भोपाल और सूरत जैसे दूर-दूर स्थित शहरों के बीच एक हवाई पुल बना दिया है. इसके अलावा ग्लोबमास्टर सिंगापुर, बैंकॉक, दुबई और जर्मनी से भी ऑक्सीजन के टैंकर और कंटेनर ला रहा है.
कोरोना मरीजों को पहुंचा रहा 'सांस'
- बुधवार को वायुसेना के इस एयरक्राफ्ट ने बैंकॉक से तीन ऑक्सीजन टैंकर लेकर जामनगर के लिए उड़ान भरी. अब तक एक ऑक्सीजन टैंकर को चंडीगढ़ से रांची पहुंचाया जा रहा है और एक टैंकर को आगरा से रांची पहुंचाया जा चुका है. ऑक्सीजन से भरे एक टैंकर को भोपाल से सूरत और दूसरे को इंदौर से रायपुर आज रात तक पहुंचा दिया जाएगा.
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- हिंडन से एक ऑक्सीजन टैंकर को रांची पहुंचाया जा चुका है और भोपाल से एक टैंकर रात तक रांची पहुंच जाएगा. दो टैंकर जोधपुर से जामनगर पहुंचाए जा चुके हैं और दो इंदौर से आज रात तक जोधपुर पहुंच जाएंगे. इसी तरह ग्वालियर से दो ऑक्सीजन टैंकरों को आज रात तक रांची पहुंचा दिया जाएगा. इससे पहले ग्लोबमास्टर ने जर्मनी से 23 ऑक्सीजन प्लांट्स को देश लाकर अस्पतालों की बहुत मदद की थी.
2013 में अमेरिका से भारत आया
- सी-17 ग्लोबमास्टर को भारतीय वायुसेना ने अमेरिका से 2010 में खरीदा था जो 2013 में भारतीय वायुसेना को मिलने शुरू हो गए थे. इस समय भारतीय वायुसेना के पास कुल 11 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट हैं और इनका बेस दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस हैं.
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ग्लोबमास्टर की खासियत
- इन एयरक्राफ्ट्स को वायुसेना की नंबर 81 स्क्वाड्रन उड़ाती है और इस स्क्वाड्रन का नाम स्काईलॉर्ड्स यानी आसमान के मालिक है, जोकि इसपर एकदम सटीक बैठता है. इस एयरक्राफ्ट के जरिए एक बार में 77 टन से ज्यादा यानी 77,590 किलो ग्राम सामान ले जाया जा सकता है. इस भारी-भरकम एयरक्राफ्ट को चलाने के लिए केवल 3 कर्मचारियों की जरूरत होती है. इनमें दो पायलट और एक लोडमास्टर होता है. इसके फर्श पर बने विशेष फ्रेम की मदद से केवल एक लोडमास्टर पूरे एयरक्राफ्ट को लोड और अनलोड कर सकता है. यह 800 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है और एक बार में साढ़े चार हजार किमी तक जा सकता है. इतने बड़े एयरक्राफ्ट को केवल 1 किमी लंबे रनवे पर उतारा जा सकता है.