Two+Two: यह वार्ता उस समय हुई जब इजरायल युद्ध जारी है, कनाडा और कतर का मामला चल रहा है. राजधानी नई दिल्ली में आयोजित इस वार्ता में कई अहम विषयों पर चर्चा हुई है. इस वार्ता के बाद विदेश और रक्षा सचिवों ने प्रेस ब्रीफिंग दी है.
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India US Relation: भारत-अमेरिका के बीच नई दिल्ली एक हाई लेवल मीटिंग हुई है. इसे 2+2 वार्ता कहा गया है. इसमें दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री शामिल थे. वार्ता में शामिल होने के लिए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत पहुंचे थे. इनके साथ अमेरिका से प्रतिनिधि दल भी मौजूद रहा. इन दोनों नेताओं की भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता हुई है. दोनों देशों के बीच यह पांचवी 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता रही है. वार्ता के बाद विदेश सचिव और रक्षा सचिव की प्रेस कॉन्फ़्रेंस हुई. बताया गया कि इस वार्ता में डिफेंस के साथ ही टेक्नोलॉजी, इन्फॉर्मेशन, इंडस्ट्रियल एंगेजमेंट, सप्लाई चेन को आसान बनाने जैसे विषयों पर भी बातचीत हुई और इनके लिए रोडमैप पर भी चर्चा हुई. इसके अलावा भी कई मुद्दे शामिल रहे.
दरअसल, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच यह पाँचवीं 2+2 मीटिंग थी. भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध बहुत मज़बूत हैं जून में पीएम मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे और सितंबर में राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत आए थे. आज की चर्चा में रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने हिस्सा लिया इस दौरान विपक्षीय संबंधों पर विस्तार से चर्चा की. प्रेस ब्रीफिंग में बताया गया कि भारत और अमेरिका ने रक्षा उत्पादन, अहम खनिजों और उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर अपनी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए शुक्रवार को व्यापक वार्ता की, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष के कारण पैदा हो रही स्थिति और हिंद-प्रशांत में चीन के सैन्य शक्ति प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया गया.
भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता रूस-हमास युद्ध और पश्चिम एशिया में हमास एवं इजराइल के बीच बढ़ रहे संघर्ष के कारण बढ़ती भूराजनीतिक उथल-पुथल के बीच हुई. उन्होंने कहा कि चीन की आचार संहिता, सारे मुद्दे दोनों पक्षो के बीच में वार्तालाप हुआ, चीन को लेकर बात हुई थी. इजरायल के सवाल पर उन्होंने कहा कि मिडिल ईस्ट के हालात पर भी चर्चा हुई. दोनों पक्षों ने अपनी अपनी राय रखी. हमारा रूख साफ़ है जो चर्चा के दौरान भी आया कि Two States Solution बातचीत और शांति के साथ होना चाहिए. भारत इज़रायल पर आतंकी हमले की निंदा करता है. आतंकवाद के ख़िलाफ भारत की ज़ीरो टॉलरेंस नीति है. दूसरी तरफ़ भारत ने मानवीय सहायता भी भेजी है.
सवाल- चीन विवाद पर भी चर्चा हुई है ? जवाब- चीन की आचार संहिता क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में दोनों पक्षों बीच विस्तृत रूप से वार्ता हुई. चीन को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हुई सवाल- भारत- कनाडा विवाद पर भी चर्चा हुई है ? क्या इस पर कोई चर्चा हुई ? क्या ये चर्चा में आया ? जवाब- कनाडा के मुद्दे पर हमारे सभी पार्टनर से साथ चर्चा अलग अलग समय पर होती रहती है. हमारी चिंता सुरक्षा को लेकर है. आप लगातार पन्नू के वीडियो देख रहे होंगे, जो भारतीयों की सुरक्षा से संबंधित होते हैं. सुरक्षा संबंधित मुद्दे हम लगातार उठाते रहते हैं. भारत ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर अपनी गंभीर चिंताओं से शुक्रवार को अमेरिका को अवगत कराया। भारत ने 'टू प्लस टू' विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक में अपनी चिंताओं को रेखांकित किया। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘हमने अपनी चिंताओं को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है
वहीं बातचीत के अंत में जयशंकर ने इस वार्ता को ‘‘ठोस’’ बताया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘हमारे एजेंडे में हमारी रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बात की गई. इसमें हमारे रक्षा संबंधों को मजबूत करने, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ना, भविष्य में साजो-सामान संबंधी सहयोग और लोगों के आपसी संबंधों पर चर्चा की गई.’’ उन्होंने कहा,‘‘हिंद-प्रशांत, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और यूक्रेन संघर्ष पर भी दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया. बहुपक्षीय क्षेत्र में हमारे सहयोग और इसमें ‘ग्लोबल साउथ’ को शामिल करने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई.’’ ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है.
जयशंकर ने कहा कि यह बातचीत एक भविष्योन्मुखी साझेदारी और एक साझा वैश्विक एजेंडा बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का अवसर होगी. ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच मजबूत साझेदारी है और दोनों पक्ष भविष्य पर प्रभाव डालने वाले मामलों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं और विशेष रूप से नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता एवं स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं. रक्षा क्षेत्र में हमारा सहयोग इस कार्य का अहम स्तंभ है.
ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के जरिए हमारी साझेदारी को मजबूत करने समेत कई कदम उठाकर एक मुक्त एवं खुले, समृद्ध, सुरक्षित और लचीले हिंद-प्रशांत को बढ़ावा दे रहे हैं.’’ जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष अहम प्रौद्योगिकियों, असैन्य बाह्य अंतरिक्ष क्षेत्र और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं तथा स्थापित क्षेत्रों में अपने सहयेाग को बढ़ा रहे हैं.’’ उन्होंने जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा और जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के भारत आने का भी उल्लेख किया.
जयशंकर ने कहा, ‘‘इस वर्ष का मुख्य आकर्षण जून में प्रधानमंत्री (मोदी) की अमेरिका की राजकीय यात्रा थी, जिसने वास्तव में हमारे संबंधों में एक नया अध्याय खोला है. राष्ट्रपति बाइडन की सितंबर में दिल्ली यात्रा ने सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हमारे संबंधों में बहुत योगदान दिया.’’ जयशंकर ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन का उपयोगी परिणाम सुनिश्चित करने में राष्ट्रपति बाइडन का योगदान अहम है. उन्होंने कहा, ‘‘आज की बातचीत हमारे नेताओं के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का अवसर देगी, यह ऐसे समय में दूरदर्शी साझेदारी बनाने में मदद करेगी, जब हम साझा वैश्विक एजेंडा बना रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हमने पहले किया है, हम ‘टू प्लस टू’ में रणनीतिक एवं रक्षा संबंधों, प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला सहयोग और लोगों के आपसी संबंधों का व्यापक अवलोकन करेंगे.’’ जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब हम द्विपक्षीय एजेंडे के सभी पहलुओं में तेजी से आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं. हमारा व्यापार आज 200 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है, दोनों दिशाओं में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) बढ़ रहा है.’’ सिंह ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक झुकाव को लेकर रुचि बढ़ी है और ‘‘रक्षा हमारे संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है’’. उन्होंने कहा, ‘‘कई उभरती भूराजनीतिक चुनौतियों के बावजूद हमें अहम एवं दीर्घकालिक मामलों पर अपना ध्यान केंद्रित रखने की आवश्यकता है. एक मुक्त, स्वतंत्र एवं नियम आधारित हिंद प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए हमारी साझेदारी अहम है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम क्षमता निर्माण के लिए रक्षा के क्षेत्र में अमेरिका के साथ मिलकर काम करने और ऐसी स्थायी साझेदारी के लिए उत्सुक हैं, जो उभरती चुनौतियों का समाधान कर सके.’’ अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा कि तत्काल चुनौतियों के मद्देनजर यह पहले से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश विचारों का आदान-प्रदान करें, साझा लक्ष्य तलाशें और ‘‘हमारे लोगों के लिए काम करें.’’ ऑस्टिन ने कहा, ‘‘हमने पिछले वर्ष हमारी अहम रक्षा साझेदारी के निर्माण में प्रभावशाली प्रगति की है और इससे हमें शांति और स्थिरता में और भी अधिक योगदान देने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने औद्योगिक आधारों को एकीकृत कर रहे हैं, मिलकर काम करने की अपनी प्रणाली को मजबूत कर रहे हैं और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को साझा कर रहे हैं. हमारे सहयोग का दायरा बहुत व्यापक है. यह समुद्र तल से अंतरिक्ष तक फैला हुआ है. ऑस्टिन ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ‘‘लगातार मजबूत होते संबंध इस साझेदारी के भविष्य और अधिक सुरक्षित दुनिया की दिशा में हमारे साझा प्रयासों को लेकर पूरी उम्मीद जगाते हैं. एजेंसी इनपुट