भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे तनाव को कम करने की कोशिशें तेज हो गई हैं, इसी कड़ी में आज भारत-चीन सीमा मामलों (India-China Border Affairs) की परामर्श एवं समन्वय समिति(Working Mechanism for Consultation and Coordination -WMCC) की बैठक हो रही है.
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नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे तनाव को कम करने की कोशिशें तेज हो गई हैं, इसी कड़ी में आज भारत-चीन सीमा मामलों (India-China Border Affairs) की परामर्श एवं समन्वय समिति (Working Mechanism for Consultation and Coordination -WMCC) की बैठक हो रही है. इस बैठक में पूर्वी लद्दाख के एलएसी (LAC) से चीनी सैनिकों को पीछे हटने और सैन्य बलों के बीच तनाव को कम करने पर बातचीत होगी. इस बीच खबर है कि चीन ने लिपुलेख के पास अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है. जो भारत के लिए चिंताजनक बात है.
डब्ल्यूएमसीसी की 17वीं बैठक पिछले महीने ही हुई थी, जिसमें दोनों देशों के सैनिकों को आमने-सामने की तैनाती से हटाने पर सहमति बनी थी. इस बैठक में एलएसी से दोनों देशों की सेनाओं को पीछे किया जाना था और शांति बहाल करते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाया जाना था.
डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में दोनों देशों के सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं और बातचीत की अगुवाई करते हैं हालांकि पिछली बातचीत में सहमति देने के बाद भी चीन ने फिंगर एरिया (Finger Areas), देपसांग (Depsang) और गोगरा से अपने सैनिकों को नहीं हटाया है. फिंगर एरिया में पिछले 3 महीनों से चीनी सैनिक डटे हुए हैं और इस बीच चीनी सैनिकों ने स्थाई निर्माण भी कर लिए हैं, जिसमें बंकर बनाना भी शामिल है.
भारत ने कहा है कि चीन को एलएसी से सैनिकों के जमावड़े को हटाना होगा, और इलाके में शांति स्थापित तभी हो सकती है, जब पूर्वी लद्दाख के एलएसी से चीनी सेना पीछे हटे और डि-एस्केलेशन की प्रक्रिया पूरी हो.
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इस बीच खबरें आ रही हैं कि चीन ने लिपुलेख के पास अपनी सेना की तैनाती कर दी है. आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लिपुलेख से सिर्फ 10 किमी दूर पाला में चीन ने 150 लाइट कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड ( 150 Light Combined Arms Brigade) को तैनात कर दिया है.
लिपुलेख वो इलाका है, जिसे लेकर हाल ही में भारत और नेपाल में तनाव पैदा हो गया था. ये भारत-नेपाल-तिब्बत के बीच ट्राई-जंक्शन के तौर पर काम करता है. जो उत्तराखंड के कालापानी घाटी के ऊपरी हिस्से में पड़ता है. हैरानी की बात है कि चीनी सैनिकों की तैनाती के बारे में भारतीय अधिकारियों को दो सप्ताह पहले ही खबर लगी है. (IANS Input)