अंतरिक्ष विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह भारत के लिए कुछ मायने में बेहद महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है. हाई रिज्योलूशन कैमरों की वजह से इस सेटेलाइट के जरिए भारतीय धरती और महासागरों की सतत निगरानी में आसानी होगी.’
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बेंगलुरु: अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है. इस सिलसिले में 28 मार्च को नए मिशन की तैयारी है. भारत की जमीन और समुद्री सीमाओं की निगरानी के लिए एक खास सैटेलाइट के लॉन्च की तैयारी हो चुकी है. ये अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट (Earth Observation Satellite) रियल टाइम तस्वीरे भी मुहैया करायेगा. इसकी मदद से प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी भी संभव हो सकेगी.
सैट-1 आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केन्द्र से जीएसएलवी-एफ 10 (GSLV-F10) के जरिये प्रक्षेपित किया जायेगा. इसरो (ISRO) के अधिकारी के मुताबिक, ‘हम 28 मार्च को इस जियो इमेजिंग उपग्रह को प्रक्षेपित करना चाहते हैं, हालांकि यह मौसम की स्थितियों पर निर्भर करेगा.’ ये सेटेलाइट 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
जीएसएलवी-एफ 10 के जरिये जीसैट-1 का प्रक्षेपण तकनीकी कारणों के चलते स्थगित हुआ था. इसका लॉन्च बीते साल पांच मार्च को होना था. अंतरिक्ष विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह भारत के लिए कुछ मायने में महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है. हाई रिज्योलूशन कैमरों की वजह से इस उपग्रह से भारतीय जमीन और महासागरों की सतत निगरानी में आसानी होगी.’ इसरो ने कहा कि जीसैट-1 का वजन 2,268 किलोग्राम है और यह एक अत्याधुनिक पर्यवेक्षण उपग्रह है.
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गौरतलब है कि इस निगरानी सेटेलाइट के लॉन्च के बाद देश की सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत होगी. अंतरिक्ष में भारत की 'तीसरी आंख' की वजह से देश के दुश्मनों की हर हलचल पर हमारे फौजियों की नजर रहेगी. सरहद की निगरानी के काम में भी आसानी होगी. ये सेटेलाइट सीमाओं की वास्तविक समय यानी रियल टाइम तस्वीरों को मुहैया कराएगा.
इसरो ने 28 फरवरी को अपनी कमर्शियल यूनिट ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड’ (NSIL) के पहले डेडिकेटेड मिशन के तहत रविवार को ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों का पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 के जरिए यहां श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया था. इन 18 उपग्रहों में से पांच उपग्रह छात्रों द्वारा निर्मित थे.
अंतरिक्ष विभाग में सचिव और इसरो के अध्यक्ष के सिवन (K Siwan) ने जानकारी देते हुए कहा था कि जिन तकनीकी मुद्दों की वजह से जीसैट-1 मिशन स्थगित कर दिया था, उसका समाधान हो गया है. कोविड-19 (Covid-19) के कारण लगाये लॉकडाउन की वजह से सामान्य कामकाज प्रभावित होने से इसके प्रक्षेपण में और देरी हुई थी.
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