भारत (India) ने सीमा पार आतंकवाद (Cross-Border Terrorism) के मुद्दे पर पाकिस्तान (Pakistan) को खरी-खरी सुनाई है. साथ ही उसे चेतावनी देते हुए कहा है कि हमारी सहनशीलता को कमजोरी न समझा जाए.
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नई दिल्ली: भारत (India) ने सीमा पार आतंकवाद (Cross-Border Terrorism) के मुद्दे पर पाकिस्तान (Pakistan) को खरी-खरी सुनाई है. साथ ही उसे चेतावनी देते हुए कहा है कि हमारी सहनशीलता को कमजोरी न समझा जाए. भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मांग भी की है.
संसद अध्यक्षों के 5वें विश्व सम्मेलन (5WCSP) में बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहिए ताकि उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का खामियाजा चुकाना पड़े. बिरला संसद ने इस सम्मेलन के लिए भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. सम्मेलन का आयोजन 19 और 20 अगस्त 2020 को अंतर-संसदीय संघ (IPU) और ऑस्ट्रिया की संसद द्वारा संयुक्त राष्ट्र (UN) के सहयोग से किया गया.
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने वर्चुअल रूप से इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में गुरुवार को भाग लिया और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की जमकर क्लास लगाई. आतंकवाद से मुकाबला और हिंसक अतिवाद : पीड़ितों के नजरिए' विषय पर सम्मेलन में पाकिस्तान के नेशनल असेंबली स्पीकर की टिप्पणी का जवाब देते हुए बिरला ने यह स्पष्ट किया कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा.
इस संबंध में जारी के बयान के मुताबिक, सम्मेलन में भारत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद में आतंकी ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) को शहीद बताया था. संयुक्त राष्ट्र की विश्लेषणात्मक समर्थन प्रतिबंधों की निगरानी करने वाली टीम ने पाकिस्तान का उल्लेख आतंकवाद के प्रमुख निर्यातक के रूप में किया है, जिसके 6000 से अधिक नागरिक आतंकवाद में लिप्त हैं.
भारत ने कश्मीर के मुद्दे पर भी पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा. पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद समाप्त करना चाहिए और हमारी सहनशीलता को कमजोरी के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने आगे कहा कि कहा, ‘आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहिए. पाकिस्तानी पीएम ने अपनी धरती पर लगभग 40,000 आतंकवादियों के होने की बात स्वीकार की थी. 1965, 1971, 1999 (कारगिल), मुंबई और संसद हमला, उरी, पुलवामा आदि पर हमले पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद को दर्शाते हैं. उसने हाफिज सईद, मसूद अजहर और एहसानुल्लाह अहसान के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की. इससे पहा चलता है कि पाकिस्तान आतंकियों का खात्मा नहीं करना चाहता. लिहाजा उसे अलग-थलग किया जाए, ताकि उसे अहसास हो सके कि आतंक को पोषित करने की क्या सजा है.
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