भारतीय सेना ने अब तक 180000 से ज्यादा सैनिक शांति अभियानों में भेजे हैं. इनकी इस प्रसिद्धि के पीछे भारतीय सेना के कड़े अनुशासन के साथ-साथ खास ट्रेनिंग भी है.
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नई दिल्लीः भारतीय सेना की बहादुरी का लोहा पूरी दुनिया मानती है लेकिन इसके मानवीय चेहरे को भी पूरी दुनिया में सराहा जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेनाओं में भारतीय सैनिक सबसे ज्यादा होते हैं और मुश्किल से मुश्किल हालात में उन्हीं को तैनात किया जाता है. भारतीय सेना ने अब तक 180000 से ज्यादा सैनिक शांति अभियानों में भेजे हैं. इनकी इस प्रसिद्धि के पीछे भारतीय सेना के कड़े अनुशासन के साथ-साथ खास ट्रेनिंग भी है.
खानपुर में जारी ग्रेनेडियर रेजिमेंट की ट्रेनिंग
बता दें कि कहीं विदेश में शांति सैनिक के रूप में तैनात होने से पहले इन्हें ट्रेनिंग की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इस ट्रेनिंग को समझने के लिए आपको दिल्ली के खानपुर कैंप में जाना होगा, जहां तैनाती से ठीक पहले 3-4 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है. खानपुर में इस समय ग्रेनेडियर रेजिमेंट की एक बटालियन की ट्रेनिंग चल रही है जिसे दक्षिण सूडान में तैनात किया जाना है. इस बटालियन ने उत्तरी सिक्किम में चीनी सीमा पर बेहद मुश्किल हालात में अपनी तैनाती पूरी कर ली है और अब ये सूडान जाने के लिए तैयार है. वहां इस बटालियन को कबीलों के निर्मम आपसी संघर्ष को शांत रखना है और नागरिकों के जान-माल को सुरक्षित रखना है.
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सूडान में होगी गृहयुद्ध की ट्रेनिंग
बटालियन को एक साल पहले जब सूडान जाने के लिए चुना गया था तब से ही सैनिकों की ट्रेनिंग की शुरुआत हो गई थी. इस दौरान उन्हें सूडान के बारे में जानकारी दी गई और हालात के बारे में समझाया गया. सैनिकों को ये बताया गया कि सूडान में उन्हें शांति सेना के तौर पर काम करना है न कि किसी आक्रामक सेना की तरह. अब इन्हें तीन महीने तक सूडान में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार किया जा रहा है. इन्हें सूडान में गृहयुद्ध में तबाह गांवों की पेट्रोलिंग करनी है, नागरिकों में सुरक्षा का अहसास कराना है और उन्हें दूसरे कबीले के हमलों से बचाना है. सूडान की संस्कृति और लोगों के बारे में बेसिक जानकारी भी इस ट्रेनिंग का हिस्सा है. यहीं उन्हें वहां बोली जाने वाली भाषा की भी जानकारी दी जानी है.
ट्रेनिंग में सैनिकों को सिखाया जाता है अनुशासन
बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल डी ज्योतिष ने बताया कि भारतीय सैनिकों की ट्रेनिंग और उनका अनुशासन शांति सेना के बीच उन्हें अलग जगह दिलाता है. सैनिकों को ये समझाया जाता है कि उन्हें आम लोगों के साथ बहुत नरमी से पेश आना है और उन्हें हर हाल में सुरक्षित रखना है. सैनिकों को उन स्थितियों के लिए भी तैयार किया जाता है जब हिंसक भीड़ किसी दूसरे कबीले के लोगों की हत्या करने पर उतारू हो. अक्सर ऐसी स्थितियों में लोग शांति सेना के कैंप में पनाह लेते हैं ताकि उनकी जान बच सके. ऐसे में शांति सेना की जिम्मेदारी होती है बिना किसी ज्यादा खूनखराबे के उनकी जान भी बचा ली जाए और हमलावरों को खदेड़ भी दिया जाए.
संयुक्त राष्ट्र के हर मिशन में होती है शांति सेना की मांग
डीजी(एसडी) मेजर जनरल एमके कटारिया ने कहा कि भारतीय शांति सेना की संयुक्त राष्ट्र के हर मिशन में बहुत ज्यादा मांग होती है. भारतीय सैनिकों की ख्याति बहादुर लेकिन शांत सैनिकों के तौर पर है. भारत आज़ादी के बाद से ही शांति सेना में अपने सैनिक भेज रहा है और भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाले देशों में शामिल है. इस समय भारतीय सैनिक कुल पांच जगहों पर संयुक्त राष्ट्र के झंडे के नीचे तैनात हैं. इनमें कांगो, सूडान, लेबनान, फिलीस्तीन और सीरिया शामिल हैं. इन जगहों पर तैनात भारतीय सैनिकों की तादाद लगभग 5500 है, जहां उनकी तैनाती एक साल के लिए की जाती है.