Young Champions of the Earth 2020: विद्युत मोहन की कंपनी ‘टेकाचार’ किसानों से धान की भूसी, पराली और नारियल के छिलके लेकर उन्हें चारकोल में बदलती है और किसानों को अपशिष्ट जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करती है. मोहन ने अब तक 4500 किसानों के साथ मिलकर काम किया है.
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नई दिल्ली: भारतीयों की काबिलियत का दुनिया ने एक बार फिर लोहा माना है. संयुक्त राष्ट्र (UN) की पर्यावरण एजेंसी द्वारा दिए जाने वाले 'यंग चैम्पियंस ऑफ द अर्थ' (Young Champions of the Earth 2020) पुरस्कार के विजेताओं में एक भारतीय का नाम भी शामिल है. 29 वर्षीय विद्युत मोहन (Vidyut Mohan) के प्रयासों की सराहना करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ‘यंग माइंड’ जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए जिन इनोवेटिव विचारों के साथ आगे आ रहे हैं, उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.
ऐसे किया किसानों को प्रेरित
संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण एजेंसी नए विचारों के जरिए पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के समाधान की दिशा में काम करने वालों को यह पुरस्कार (Young Champions of the Earth) प्रदान करती है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme-UNEP) ने एक बयान में बताया कि ‘टेकाचार’ (Takachar) कंपनी के सह संस्थापक और पेशे से इंजीनियर विद्युत मोहन (Vidyut Mohan) ने अपने सामाजिक उद्यम के जरिए किसानों को अपनी फसल का अपशिष्ट नहीं जलाने के लिए समझाया. इतना ही नहीं उन्होंने इन अपशिष्टों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें अतिरक्त आमदनी के उपाए भी बताए.
Antonio Guterres ने की तारीफ
विजेताओं में चुने जाने पर खुशी व्यक्त करते हुए विद्युत मोहन ने कहा, ‘मैं हमेशा से ऊर्जा तक पहुंच और गरीब समुदायों के लिए आमदनी के अवसर मुहैया कराने के विषय पर काम करना चाहता था’. वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने कहा कि महामारी के दौरान समाज की परेशानियां बढ़ी हैं, अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है. ऐसे में हमें प्रकृति को हुए नुकसान के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे. ‘यंग चैम्पियंस ऑफ द अर्थ’ लोगों को प्रेरित करने और इस दिशा में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
अब तक 30,000 टन अपशिष्ट का निपटारा
UNEP की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन (Inger Andersen) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता को हुए नुकसान के सार्थक समाधान के लिए युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. विद्युत मोहन की कंपनी ‘टेकाचार’ किसानों से धान की भूसी, पराली और नारियल के छिलके लेकर उन्हें चारकोल में बदलती है और किसानों को अपशिष्ट जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करती है. 2018 में कंपनी की शुरुआत के बाद से मोहन और कंपनी के सह संस्थापक केविन कुंग ने लगभग 4500 किसानों के साथ मिलकर काम किया और अब तक 30,000 टन अपशिष्ट का निपटारा कर चुके हैं.
Environment स्वच्छ बनाने में मिलेगी मदद
यूएनईपी के इकोनॉमी डिवीजन में ऊर्जा और जलवायु शाखा के प्रमुख मार्क राडका (Mark Radka) ने कहा कि कृषि अवशेषों को जलाना दुनिया के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है और ‘टेकाचार’ की नवीन तकनीक किसानों की मदद करते हुए पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मददगार साबित हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि 2030 तक ‘टेकाचार’ बड़ी संख्या में किसानों को प्रभावित कर सकती है.
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