भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता, चीनी हैकर्स बना सकते हैं सरकारी वेबसाइट्स को निशाना
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भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता, चीनी हैकर्स बना सकते हैं सरकारी वेबसाइट्स को निशाना

न्याय विभाग की जांच में एक बार फिर ये मामला उठाया गया कि कैसे चीनी हैकर अन्य देशों सहित भारतीय कंप्यूटर नेटवर्क को हैक करने की साजिश रच रहे हैं. 

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: भारतीय सुरक्षा एजेंसियां चीनी हैकर्स के मामले को लेकर चिंतित हैं. इस बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के न्याय विभाग ने कहा है कि जिन पांच चीनी हैकर्स पर आरोप लगाया गया था, वे भारत सरकार के नेटवर्क को निशाना बनाने और विदेशी सरकारी कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े थे. अमेरिकी सरकार ने आरोप लगाया कि हैकर्स ने अमेरिका और विदेशों में 100 से अधिक पीड़ित कंपनियों को निशाना बनाया.

  1. चीनी हैकर्स से भारतीय कंप्यूटर नेटवर्क को खतरा
  2. चीनी हैकर्स दुनिया भर में चिंता का विषय
  3. साजिशकर्ताओं ने पहले भी किया था सर्वर हैक
     

इसमें सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियां, कंप्यूटर हार्डवेयर निर्माता, दूरसंचार प्रदाता, सामाजिक मीडिया कंपनियां, वीडियो गेम कंपनियां, गैर-लाभकारी संगठन और विश्वविद्यालय, शामिल हैं. इसके साथ ही विदेशी सरकारों और हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को भी निशाना बनाया गया.

चीनी हैकर्स से भारतीय कंप्यूटर नेटवर्क को खतरा
न्याय विभाग की जांच में एक बार फिर ये मामला उठाया गया कि कैसे चीनी हैकर अन्य देशों सहित भारतीय कंप्यूटर नेटवर्क को हैक करने की साजिश रच रहे हैं. Zee Media को एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया, 'चीनी और उत्तर कोरियाई हैकर्स के खिलाफ भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को तत्काल जांच शुरू करनी होगी. इसके साथ ही इनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करना होगा.' 

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साजिशकर्ताओं ने पहले भी किया था सर्वर हैक
अधिकारी ने बताया कि साल 2019 में साजिशकर्ताओं ने भारत सरकार की वेबसाइटों के साथ-साथ वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (virtual private network) और डेटाबेस सर्वर्स से भारत सरकार का समर्थन किया. साजिशकर्ताओं ने भारत सरकार के स्वामित्व वाले नेटवर्क को एक ओपन वीपीएन (VPN) से जोड़ने के लिए वीपीएस प्रोवाइडर सर्वर (VPS PROVIDER servers) का उपयोग किया. साजिशकर्ताओं ने कोबाल्ट स्ट्राइक (Cobalt strike) मैलवेयर (malware) भारत सरकार के खास कंप्यूटर्स में इंस्टॉल किए. 

शोधकर्ताओं ने जुटाई जानकारी
जांच के अनुसार सुरक्षा शोधकर्ताओं ने 'APT41,' 'Barium,' 'Winnti,' 'Wicked Panda,' और 'Wicked Spider' जैसे थ्रेट लेबेल का उपयोग किया. इसके प्रयोग से सोर्स कोड, सॉफटवेयर कोड साइनिंग सर्टिफिकेट, ग्राहक खाता डेटा और व्यापार से जुड़ी जानकारियों की चोरी का पता लगाया गया. ये जानकारी न्याय विभाग ने साझा की है. इन हैकर्स ने रैंसमवेयर (ransomware) और क्रिप्टो-जैकिंग (crypto-jacking scheme) के गलत प्रयोग से कई निजी कंप्यूटर्स में फीड जानकारी हासिल की.

गलत रास्ते पर चीन
डिप्टी अटॉर्नी जनरल जेफरी ए रोसेन (Deputy Attorney General Jeffrey A. Rosen) ने कहा कि न्याय विभाग ने इन चीनी नागरिकों को अवैध तरीके से कंप्यूटर डेटा की चोरी और साइबर हमले करने से रोकने के लिए उपलब्ध हर उपकरण का उपयोग किया है. वे आगे कहते हैं कि अफसोस की बात है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन को सुरक्षित बनाने के लिए गलत रास्ता चुना है. वे चीन के बाहर कंप्यूटर्स पर साइबर हमला कर बौद्धिक संपदा की चोरी करते हैं. 

बीते महीनों में कई मामले आए सामने
भारत में, पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें पीपुल्स लिबरेशन ऑफ आर्मी (पीएलए) से जुड़े चीनी हैकर्स ने साइबर जासूसी के जरिए देश की संवेदनशील जानकारी जुटाने का प्रयास किया. इन हैकर्स ने साइबर जासूसी के लिए मैलवेयर उपकरण का प्रयोग करके दुनिया भर में एक विशेष कंप्यूटर प्रोग्राम भेजने का प्रयास किया है. Icebug, Hidden Lynx और APT-12  का उपयोग चीनी हैकर्स द्वारा सरकार और औद्योगिक संगठनों पर हमला करने के लिए किया गया है.

चीनी हैकर्स दुनिया भर में चिंता का विषय
2014 में अमेरिका ने जासूसी के लिए पांच पीएलए (PLA) सैन्य अधिकारियों पर आरोप लगाया था और वे यूनिट '61398' का हिस्सा थे. अमेरिकी एजेंसियों का मानना है कि यूनिट '61398' की तरह चीन में कई ऐसे समूह है, जिन्हें पीएलए का समर्थन मिल रहा है. ये दुनिया भर में साइबर जासूसी में लगे हुए हैं. जानकारों का मानना है कि चीन के पास अब युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सफलतापूर्वक लक्षित करने की क्षमता है. यह भी चिंता की बात है कि चीनी हैकर साइबर हमलों के माध्यम से इलेक्ट्रिक ग्रिड और बैंकिंग प्रणाली को बाधित कर सकते हैं

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