यहां शुरू होने जा रहा है भारत का पहला वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट, जानें क्या होगा खास
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यहां शुरू होने जा रहा है भारत का पहला वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट, जानें क्या होगा खास

भारत के पहले वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट (India's First Water Metro Project) पर लगभग 819 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. ये वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट भारत के कोच्चि (Kochi) में जुलाई के महीने में शुरू होगा.

कोच्चि में शुरू होने जा रहा है भारत का पहला वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट

नई दिल्ली: भारत का पहला वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट कोच्चि में शुरू होने वाला है. ये प्रोजेक्ट अफोर्डेबल होने के साथ-साथ आलीशान होने वाला है. इस प्रोजेक्ट के जरिए 10 छोटे आइलैंड्स जोड़े जाएंगे और ये प्रोजेक्ट पायलट बेसिस (Pilot Basis) पर शुरू होगा. 

  1. भारत का पहला वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट
  2. जुलाई में होगी शुरुआत
  3. इस प्रोजेक्ट में बहुत कुछ है खास

वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट एक गेम चेंजर

ये पोर्ट सिटी (Port City) 44 नदियों और कई बैकवॉटरों से संपन्न है. इसके कारण लोगों का आना-जाना मुश्किल होता है और उन्हें रोजाना कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई जगहों पर जाने के लिए लोगों को जरूरत से ज्यादा समय लगता है. ऐसे में वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट एक गेम चेंजर साबित हो सकता है. अधिकारियों ने कहा कि इस इंटेग्रेटेड प्रोजेक्ट के जरिए रेल, सड़क और पानी को जोड़ा जा सकेगा.

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कितना काम हो चुका है?

अधिकारियों के अनुसार इस प्रोजेक्ट का ट्रायल रन (Trial Run) शुरू किया जा चुका है. इसके अलावा मेन टर्मिनल का काम पूरा हो चुका है. कोच्चि मेट्रो मैनेजिंग डायरेक्टर लोकनाथ बेहरा के मुताबिक 15 मार्ग सुव्यवस्थित किए गए हैं जोकि 75 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard) इलेक्ट्रिसिटी से चलने वाली हाइब्रिड नाव (Hybrid Boat) बना रहा है.

प्रोजेक्ट के सामने कई सारी चुनौतियां

इस प्रोजेक्ट के सामने कई सारी चुनौतियां हैं. पर्याप्त संख्या में नाव बनाना और बोट टर्मिनल्स (Boat Terminals) में पोंटून पुलों को बनाना भी एक बड़ी चुनौती है. वॉटर मेट्रो पर्यटन क्षेत्र (Tourism) की समस्याओं को सुलझा सकती है. इस प्रोजेक्ट पर लगभग 819 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है.

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कैसे होगी फंडिंग?

इस फंडिंग (Funding) का एक बड़ा हिस्सा भारत-जर्मन वित्तीय सहयोग (Indo-German Financial Cooperation) के तहत 579 करोड़ रुपये के लौंग टर्म लोन समझौते (Long Term Loan Agreement) के साथ जर्मन फंडिंग एजेंसी, केएफडब्ल्यू के साथ फाइनेंस किया जा रहा है. शेष लागत केरल सरकार (Kerala Government) वहन करेगी.

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