Trending Photos
सोल : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास के मुद्दे पर 48 देशों के इस समूह के पूर्ण सत्र में आज रात रात्रिभोज के बाद विशेष बैठक में चर्चा की जाएगी। समूह का दो दिवसीय पूर्ण सत्र आज शुरू हो रहा है।
भारत जैसे देश जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, उन्हें शामिल किए जाने के बारे में चर्चा एजेंडा में शामिल नहीं है। लेकिन समझा जाता है कि जापान और कुछ अन्य देशों ने शुरूआती सत्र में यह मुद्दा उठाया। जानकारी सूत्रों ने बताया कि इसके बाद यह सहमति बनी कि भारत के आवेदन सहित विभिन्न गैर निर्धारित मुद्दों पर रात्रि भोज के बाद विशेष सत्र में चर्चा की जाएगी।
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि भारत की सदस्यता के मुद्दे पर चर्चा अनौपचारिक रूप से या औपचारिक तरीके से होगी। चीन और कुछ अन्य देश भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं। विदेश सचिव एस. जयशंकर की अध्यक्षता में भारतीय राजनयिक लॉबिंग के लिए यहां हैं। हालांकि भारत के सदस्य नहीं होने के कारण वे पूर्ण सत्र में प्रतिभागी नहीं हैं।
भारतीय दल में अमनदीप गिल शामिल हैं जो विदेश मंत्रालय में निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रकोष्ठ के प्रमुख हैं। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय के अनुसार 48 देशों के करीब 300 प्रतिनिधि पूर्ण सत्र में भाग ले रहे हैं। इसके पहले अधिकारी स्तरीय सत्र हुआ था जो 20 जून से शुरू हुआ था।
एक ओर अमेरिका और फ्रांस ने पूर्ण सत्र के पहले बयान जारी कर भारत के दावे का पूरा समर्थन किया है और सदस्यों से नयी दिल्ली का समर्थन करने का आह्वान किया है। वहीं चीन का विरोध लगातार जारी है और वह भारत जैसे गैर-एनपीटी देशों के लिए मानदंड की आवश्यकता पर बल दे रहा है। वह भारत के मामले को पाकिस्तान के साथ भी जोड़ रहा है और वह पाकिस्तान के लिए वकालत कर रहा है।
करीब 20 देश पूरी तरह से भारत के दावे का समर्थन कर रहे हैं लेकिन एनएसजी में फैसला सर्वसम्मति से होता है। ऐसे में भारत के सामने एक कठिन काम है। भारत एनएसजी की सदस्यता की मांग कर रहा है ताकि वह परमाणु प्रौद्योगिकी का निर्यात और इसका कारोबार कर सके।
परमाणु प्रौद्योगिकी के वैश्विक व्यापार का नियमन करने वाली एनएसजी तक पहुंच से ऊर्जा की जरूरत वाले भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने की संभावना है। भारत एक महत्वाकांक्षी ऊर्जा उत्पादन कार्यक्रम पर काम कर रहा है। भारत का प्रयास 2030 तक परमाणु कार्यक्रम से 63,000 मेगावाट ऊर्जा जरूरत को हासिल करना है।