जम्मू कश्मीरः बेटे के मौत पर घर आए सेना के जवान को आतंकियों ने मारी गोली
Advertisement

जम्मू कश्मीरः बेटे के मौत पर घर आए सेना के जवान को आतंकियों ने मारी गोली

सेना के जवान अहमद मलिक के बेटे की मौत तीन दिन पहले सड़क हादसे में हुई थी.

जम्मू कश्मीरः बेटे के मौत पर घर आए सेना के जवान को आतंकियों ने मारी गोली

खालिद हुसैन, श्रीनगर: दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम ज़िले के शूरत गावों के भारतीय सेना के लांस नाइक मुख़्तार अहमद मलिक को सोमवार को आतंकियों ने उस वक्त गोली मारकर शहीद कर दिया था जब वह अपने बेटे की मौत की खबर मिलने पर घर लौटे थे. अहमद मलिक के बेटे की मौत तीन दिन पहले सड़क हादसे में हुई थी. सोमवार को घर में शोक सभा रखी गई थी. इस दिन अहमद मलिक के बेटे का रस्म-ऐ-चाहरम यानि चौथा था. करीब सुबह के 8 बजे थे जब चार आतंकी फेहरान पहनकर मलिक के घर पहुंचे.

चश्मदीदों के मुताबिक आतंकियों ने मलिक के घर पर शोक सभा में आए लोगों से अपना परिचय मीडियाकर्मियों के तौर पर दिया. उन्होंने मलिक के बारे में पूछा, लोगों ने आतंकियों से कहा कि वह ऊपर वाली मंज़िल पर है. आतंकी सीधा ऊपर वाली मंज़िल पर पहुंचे घर में भीड़ होने के वजह से किसी का ध्यान इनकी तरफ नहीं गया. ऊपरी मंज़िल के पहले ही कमरे में बैठे मलिक को आतंकियों ने देखा तो वह कमरे में घुसे और मलिक पर बन्दूक तान दी.

मलिक समझ गया कि सब कुछ ठीक नहीं है. मातम पसरे घर में अचानक खलबली मच गई. कमरे से सभी लोगों को आतंकियों ने बहार निकलने को कहा और कमरा खाली हो गया. चश्मदीदों के मुताबिक (जो कमरे के बाहर से सारा घटनाक्रम देख रहे थे) 'बन्दूक तानने के बाद आतंकियों और मलिक के बीच काफी तकरार हुई, ऐसा लग रहा था मलिक से कई सवाल पूछे जा रहे थे जिनका जवाब आतंकियों को ना में मिला रहा था. ऐसा लग रहा था शायद आतंकी कोई जानकारी चाहते थे. करीब 20 मिनट तक चल रही इस तकरार के बाद आतंकियों ने उसके सीने में अनगिनत गोलियां दागी और मलिक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.'

fallback

एक अन्य चश्मदीद के मुताबिक मलिक ने साफ़ तौर पर आतंकियों को कुछ बोलने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद आतंकी बौखला गए और उन्होंने मलिक पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी. 

मलिक टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती होने से पहले 1990 के दशक में प्रो इंडिया संगठन "इख्वान" का हिस्सा रह चुका था. इख्वान वो संगठन था जिसमें आतंक का रास्ता छोड़ आतंकी थे जो भारत के लिए काम कर रहे थे. मगर हालातों में सुधार के साथ ही सरकार ने इख्वान को डिस्बेंड किया था फिर इख्वान से जुड़े लोग अलग अलग सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े. मलिक टेरिटोरियल आर्मी से जुड़ा और वर्ष 2004 में इसे सेना में पुख्ता तौर पर भर्ती कर लिया गया. मलिक टेरिटोरियल सेना की 162 बटालियन में था और इस वक्त श्रीनगर के ओल्ड एयर फील्ड रंगरेठ में तैनात था. 

Trending news