Jammu-Kashmir के सभी स्कूलों में अब हिंदी पढ़ाने की तैयारी, राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल
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Jammu-Kashmir के सभी स्कूलों में अब हिंदी पढ़ाने की तैयारी, राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल

जम्मू-कश्मीर में पहली से दसवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी भाषा को लागू करने के प्रस्तावित कदम ने नए विवाद को जन्म दे दिया है और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का कहना है कि इसे छात्रों पर नहीं थोपा जाना चाहिए.

Jammu-Kashmir के सभी स्कूलों में अब हिंदी पढ़ाने की तैयारी, राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल

Hindi in Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए स्कूल स्तर पर इसके प्रसार को लेकर कदम उठाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड के सभी स्कूलों में पहली कक्षा से दसवीं तक हिंदी पढ़ाने के लिए एक कमेटी का गठन कर सुझाव मांगे गए हैं. लेकिन, पहली से दसवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी भाषा को लागू करने के प्रस्तावित कदम ने नए विवाद को जन्म दे दिया है और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का कहना है कि इसे छात्रों पर नहीं थोपा जाना चाहिए.

सुझाव लेने के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन

जम्मू और कश्मीर स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (JKSCERT) ने स्कूलों में हिंदी भाषा को शामिल करने पर सुझाव लेने के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है. शिक्षा निदेशक ने एक आदेश में जम्मू और कश्मीर के स्कूलों में हिंदी भाषा का शिक्षण और इसे कैसे सिखाया जाए, इसके सुझाव के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है.

20 फरवरी तक समिति प्रस्तुत करेगी सिफारिशें

आदेश में कहा गया है, 'जम्मू कश्मीर के स्कूलों में कक्षा पहली से 10वीं तक हिंदी भाषा के शिक्षण और सीखने के तंत्र का सुझाव देने के लिए समिति के गठन को मंजूरी दी जाती है.' यह भी कहा कि समिति 20 फरवरी 2023 तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी. आदेश के अनुसार, समिति की अध्यक्षता जेकेबीओएसई के चेयरमैन करेंगे और इसके बाद सात अन्य सदस्य होंगे.

समिति में शामिल होंगे ये 8 लोग

समिति में जेकेबीओएसई के चेयरमैन के अलावा निदेशक स्कूल शिक्षा जम्मू, निदेशक स्कूल शिक्षा कश्मीर, परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा जेके, जेकेबीओएसई के निदेशक अकादमिक, संयुक्त निदेशक, एससीईआरटी मंडल कार्यालय जम्मू, संयुक्त निदेशक एससीईआरटी मंडल कार्यालय कश्मीर और संयुक्त निदेशक एससीईआरटी सेंट्रल जेके शामिल हैं.

इस कदम से राजनीतिक विवाद शुरू

एससीईआरटी के इस प्रस्तावित कदम ने क्षेत्र के राजनीतिक दलों के बीच एक विवाद पैदा कर दिया. हिंदी को अब तक एक वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता रहा है, जिसका अर्थ था कि छात्र अंग्रेजी के अलावा हिंदी या उर्दू के बीच चयन कर सकते हैं. क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने जम्मू और कश्मीर के लोगों पर हिंदी को थोपने के विचार का विरोध किया है, जबकि भाजपा ने इस कदम का स्वागत किया है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा कि जब वे (बीजेपी) हर तरह से विफल हो गए हैं, तो अब वे यह उठा रहे हैं कि वे केवल हिंदी क्यों देखते हैं. वे हमारी प्राथमिक भाषा कश्मीरी या जम्मू क्षेत्र की डोगरी भाषा की उपेक्षा क्यों करते हैं. दूसरी ओर बीजेपी ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह जम्मू कश्मीर को देश के बराबर लाएगा. इससे जम्मू कश्मीर के छात्रों को जम्मू कश्मीर से बाहर रहने में मदद मिलेगी.

छात्र और अभिभावक समुदाय का कहना है कि अगर इसे स्कूलों में जोड़ा जाता है तो यह अच्छा होगा, लेकिन अन्य भाषाओं को खत्म नहीं किया जाना चाहिए. पैरेंट्स ने कहा कि अगर वे हिंदी को बढ़ावा दे रहे हैं तो साथ ही कश्मीरी को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि ऐसा न लगे कि सरकार लोगों पर कुछ थोप नहीं रही है.

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