Joshimath Land Subsidence: उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात तेजी से बदलते जा रहे हैं. वहां पर अब तक 723 मकानों में दरार आ चुकी है. जो मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन्हें आज से ढहाने का अभियान शुरू होगा. इसी बीच मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
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Joshimath Latest Updates: उत्तराखंड के जोशीमठ में दरकते भवनों को जमींदोज करने का काम आज से शुरू हो जाएगा. इस अभियान के तहत उन होटल्स, घरों और भवनों को ढहाया जाएगा, जिन्हें रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया जा चुका है. कार्रवाई की शुरुआत दो होटल्स से होगी. सबसे पहले होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ढहाया जाएगा. इन दोनों में दरारें आ चुकी हैं. दोनों होटल पीछे की तरफ झुक रहे हैं. बुधवार से इन होटलों को गिराने का काम शुरू होगा. डीएम ने कहा कि बुधवार सुबह 9:30 बजे मीटिंग के बाद कार्रवाई तय होगी.
बेहतर मुआवजे की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतरे
वहीं जोशीमठ (Joshimath Land Subsidence) में पीड़ितों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है और स्थानीय लोग बेहतर मुआवजे की मांग पर अड़े हैं. दरअसल प्रशासन ने पूरी तरह क्षतिग्रस्त मकानों को ढहाने के लिए 1 लाख 30 हजार रुपये का मुआवजा तय किया है. जिंदगी भर की कमाई से बने मकान को ढहाने का मुआवजा केवल 1.3 लाख तय किए जाने से लोग उखड़ गए हैं और उन्होंने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि बुधवार को होटल तभी गिराने दिया जाएंगे, जब उनके लिए उचित मुआवजे की घोषणा हो जाएगी.
सीएम धामी ने अपना 1 महीने का वेतन दान दिया
लोगों ने कहा कि वे बचे रह गए लोगों, संघर्ष समिति के पदाधिकारियों और अधिकारियों के साथ बुधवार को बैठक करेंगे. जब तक सरकार मुआवजा तय नहीं कर देती, तब तक मकानों को ध्वस्त नहीं होने दिया जाएगा. उधर लोगों के बढ़ते विरोध के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ पीड़ितों की सहायता के लिए अपने एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जोशीमठ प्रभावितों के साथ है और उन्हें राहत पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं.
अब तक 723 मकानों में आ चुकी है दरार
वहीं जोशीमठ में दरार वाले भवनों (Joshimath Land Subsidence) की संख्या और बढ़ गई है. अब जोशीमठ के 723 भवनों में दरार हो चुकी है. उनमें से 131 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ़्ट किया जा चुका है. प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि जोशीमठ के किसी भी भवन पर बुलडोजर नहीं चलेगा. मजदूरों और ड्रिलर के जरिए ही भवनों को गिराया जाएगा. इसी बीच हालात की गंभीरता को देखते हुए नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी भी एक्टिव हो गई है. कमेटी की मंगलवार को हुई बैठक में तय किया गया कि प्रभावित इलाकों से पीड़ितों की सुरक्षित शिफ्टिंग पहली प्राथमिकता रहेगी. इसके बाद सुरक्षित तरीके से क्षतिग्रस्त भवनों को ढहाने का काम शुरू होगा.
आईआईटी के प्रोफेसर ने सरकार को चेताया
आईआईटी कानपुर के भू वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा ने हालात को लेकर सरकार को चेताया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के जोशीमठ में दरारों के बाद इसे दोबारा बसाना खतरनाक हो सकता है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ (Joshimath Land Subsidence) के हालात बेहद खराब हैं और हल्का सा भूकंप भी बड़ी तबाही ला सकता है. प्रोफेसर सिन्हा ने हाल में ही वहां पर ड्रोन सर्वे किया हैं. वह जल्द ही सरकार को अपनी रिपोर्ट दे देंगे. प्रोफेसर सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ लैंड स्लाइडिंग जोन में है. यहां दशकों से स्लाइडिंग होने से पत्थर कमजोर हो गए हैं. अधिकतर घर और होटल इसके मलबे पर खड़े हैं. पहाड़ अपलिफ्ट हो रहे हैं, जिससे मलबा खिसक रहा है. यह कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि बिना भूकंप, बाढ़ या बारिश के ही जमीन धंस रही है. इस वक्त अगर बारिश होती या भूकंप आता तो त्रासदी बहुत भयावह हो सकती है.
सीएम के आश्वासन के बावजूद चल रहा काम
बताते चलें कि बीते शनिवार को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी जोशीमठ के दौरे पर आए थे और कहा था कि सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है. लेकिन उसके बावजूद भी जोशीमठ से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर बद्रीनाथ हाईवे पर बड़ी बड़ी मशीनों से काम चल रहा है. ड्रिल मशीनें पहाड़ काट रास्ता तैयार कर रही है. आईआईटी-रोपड़ के सहायक प्रोफेसर डॉ. रीत कमल तिवारी का दावा है कि जोशीमठ को लेकर हमारे अध्ययन के बाद की गई हमारी भविष्यवाणी सच साबित हो रही है.
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