LGBTQ Rights: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बीटल्स गाने से असहमत, कहा- प्यार से कुछ ज्यादा चाहिए
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LGBTQ Rights: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बीटल्स गाने से असहमत, कहा- प्यार से कुछ ज्यादा चाहिए

LGBTQ Rights: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि वे बीटल्स के गाने 'ऑल यू नीड इज लव' से असहमत हैं. उन्होंने कहा कि शायद हमें प्यार से कुछ ज्यादा चाहिए.

LGBTQ Rights: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बीटल्स गाने से असहमत, कहा- प्यार से कुछ ज्यादा चाहिए

LGBTQ Rights: एलजीबीटी (LGBTQ+) समुदाय के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि इस मामले की लड़ाई लंबी है. संरचनात्मक परिवर्तन के साथ-साथ व्यवहार में परिवर्तन भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि वो बीटल्स के गाने 'ऑल यू नीड इज लव' से असहमत हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'हर जगह संगीत प्रेमियों के पंख फड़फड़ाने के जोखिम पर मैं उनसे असहमत होने और कहने की स्वतंत्रता लेता हूं- शायद हमें प्यार से कुछ ज्यादा चाहिए.'

LGBTQ+ मूवमेंट पर रखी बात

मंगलवार को ब्रिटिश उच्चायोग ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने वाली धारा 377 को खत्म करने वाले ऐतिहासिक फैसले की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर एक स्वागत समारोह का आयोजन किया था. फैसला लिखने वाले पांच न्यायाधीशों में से एक जस्टिस चंद्रचूड़ ने 'बियॉन्ड नवतेज : द फ्यूचर ऑफ द एलजीबीटीक्यू प्लस मूवमेंट इन इंडिया' पर बात की.

'व्यवहार में परिवर्तन जरूरी'

उन्होंने कहा कि संरचनात्मक परिवर्तन के साथ-साथ व्यवहार में परिवर्तन भी जरूरी है. उन्होंने कहा, 'समानता केवल समलैंगिकता को अपराध से मुक्त करने के साथ हासिल नहीं की जाती, बल्कि इसे घर, कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में विस्तारित किया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि नवतेज में लिया गया फैसला महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है.

'काला अक्षर नहीं है ये कानून'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कतारबद्ध लोगों को ऐतिहासिक रूप से सार्वजनिक स्थानों तक पहुंचने के अधिकार से वंचित किया गया है, उनका आनंद लेने की तो बात ही छोड़िए और सार्वजनिक स्थानों पर कतारबद्ध व्यक्तियों की उपस्थिति अपवाद के बजाय आदर्श होनी चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस सरल लेकिन महत्वपूर्ण कार्य की सिद्धि नवतेज (2018 निर्णय) के निर्णय में प्राण फूंक देगी और यह केवल कानून का काला अक्षर नहीं है कि ये परिवर्तन होने चाहिए, बल्कि प्रत्येक भारतीय के दिल और आत्मा में होना चाहिए.

'यह आशा एक दिन सच होगी'

उन्होंने जोर देते हुए कहा, 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता यह चुनने की स्वतंत्रता है कि हम कौन हैं, हम किससे प्यार करते हैं और ऐसा जीवन जीने के लिए जो न केवल उत्पीड़न के डर के बिना, बल्कि पूरे दिल से खुशी के रूप में हमारे सबसे प्रामाणिक स्वयं के लिए सच है.' जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'जैसा कि हम नवतेज की चौथी वर्षगांठ के करीब हैं, यह मेरी सच्ची आशा है कि हम ऐसा जीवन जी पाएंगे - मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह आशा एक दिन सच होगी.'

(इनपुट- आईएएनएस)

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