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भोपाल: केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बीच इस बात की संभावना है कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) भी मोदी सरकार के सदस्य बन सकते हैं. सिंधिया के मंत्री बनने की संभावना ने कई नेताओं की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि उन नेताओं का प्रभाव कम हो सकता है.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिराकर भाजपा की सरकार बनाने में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की अहम भूमिका रही है. सिंधिया को भाजपा ने राज्य सभा में भेजा है और आने वाले दिनों में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें भी शपथ दिलाई जा सकती है.
सिंधिया ग्वालियर-चंबल इलाके से आते हैं और यह वह इलाका है, जहां से भाजपा के कई कद्दावर नेता हैं. इनमें प्रमुख रूप से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, राज्य सरकार में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री और सिंधिया राजघराने के प्रखर विरोधी जयभान सिंह पवैया के अलावा राज्य सरकार में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया भी इसी इलाके से आती हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के बाद इस इलाके की सियासत में उथल-पुथल मचना तय माना जा रहा है, क्योंकि सिंधिया का यह पुराना प्रभाव वाला इलाका है.
इसके अलावा राज्य सरकार में प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिसोदिया- सिंधिया कोटे से शिवराज सरकार में मंत्री हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिंधिया का भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद लगातार प्रभाव और कद बढ़ रहा है. इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया भाजपा की संस्थापकों में रही हैं. साथ ही, उनकी संघ से नजदीकियां भी रही हैं.
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अब ज्योतिरादित्य भी भाजपा में रचने और बसने लगे हैं तो वहीं संघ से भी उनकी मेल-मुलाकात बढ़ गई है. आने वाले दिनों में सिंधिया के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनका अधिकार संपन्न होना तय है और यही बात कई नेताओं के लिए परेशानी का कारण भी बन जाएगी.
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