माने जाते हैं पैगंबर मोहम्‍मद के वंशज, हिजाब से लेकिन बना रखी है दूरी
Advertisement
trendingNow11093233

माने जाते हैं पैगंबर मोहम्‍मद के वंशज, हिजाब से लेकिन बना रखी है दूरी

Hijab Row: हिजाब पहनने की मांग पर शुरू हुआ विवाद (Hijab Row) जारी है. वो पाकिस्तान भी इस मामले में बयानबाजी कर रहा है जहां हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार की कहानियां किसी से छिपी नहीं है. दोहरे मापदंड सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं हैं. यहां भी एक खास विचारधारा के लोग धर्म की गलत व्याख्या करते हैं.

माने जाते हैं पैगंबर मोहम्‍मद के वंशज, हिजाब से लेकिन बना रखी है दूरी

नई दिल्ली: कर्नाटक (Karnataka) में उडुपी में कुछ मुस्लिम छात्राओं के कॉलेज में हिजाब पहनने की मांग के बाद शुरू हुआ विवाद (Hijab Row) चरम पर है. इस मुद्दे पर जमकर सियासत हो रही है. मामला हाई कोर्ट में है इसके बावजूद नेताओं की बयानबाजी इस मामले को गरमा रही है. प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) और ओवैसी से लेकर कई नेता इस पर ट्वीट करके लगातार राजनीति कर रहे हैं. 

  1. हिजाब संयोग नहीं 'सियासी प्रयोग'
  2. स्कूलों में 'कट्टरता' का एडमिशन ?
  3. कर्नाटक में किसका कट्टर प्रयोग ?

धर्म की गलत व्याख्या क्यों?

कुछ लोगों का कहना है कि प्रियंका गांधी को ये नहीं भूलना चाहिए कि साल 1985 में जब देश में उनके पिता राजीव गांधी की सरकार थी, तब उन्होंने शाहबानो मामले में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए, देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को उनके हक से वंचित कर दिया था. इस मामले में पाकिस्तान की एंट्री हो चुकी है. वो पाकिस्तान भी इस मामले में कूदकर बयानबाजी कर रहा है जहां अल्पसंख्यक हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार की हजारों कहानियां किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में कहा जा सकता है कि दोहरे मापदंड सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं हैं. हमारे देश में भी एक खास विचारधारा के लोग संविधान के नाम पर धर्म की गलत व्याख्या करते हैं.

भविष्य में और क्या क्या होगा? 

आज एक बड़ा सवाल ये भी है कि अगर इन मुस्लिम छात्राओं की हिजाब पहनने की मांग मान ली जाती है तो भविष्य में और क्या क्या होगा? इसके बाद स्कूलों में नमाज़ पढ़ने की मांग की जाएगी. आपको याद होगा, कर्नाटक के कोलार में 21 जनवरी को कुछ मुस्लिम छात्रों ने नमाज़ भी पढ़ी थी. लेकिन बाद में जब इस पर विवाद हुआ तो इसे बंद करा दिया गया. लेकिन हमें लगता है कि अगर स्कूलों में हिजाब पहनने की मांग को स्वीकार कर लिया गया तो फिर दूसरी मांग होगी, स्कूलों में नमाज पढ़ने की इजाजत देना.

कल्पना कीजिए कि अगर इस मांग को भी मान लिया गया तो फिर क्या होगा. फिर ये मुस्लिम छात्र स्कूलों में नमाज पढ़ने के लिए अलग से जगह देने की मांग करेंगे. और नमाज के दौरान क्लास और पढ़ाई से छूट मांगी जाएगी.

और सोचिए अगर ये मांगें भी मांग ली गईं तो फिर रविवार की जगह, शुक्रवार को जुमे की नमाज के दिन छुट्टी के लिए मुहिम चलाई जाएगी. और ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा. ये खत्म नहीं होगा.

'अलग व्यवस्था की मांग'

स्कूलों में अप्रैल और मई महीने की जगह रमजान के महीने में छुट्टियां देने के लिए कहा जाएगा, कॉलेज की कैंटीन में अलग से हलाल काउंटर लगाने की मांग होगी और पाठ्यक्रम से अलग अलग भगवान के नाम हटाने के लिए कहा जाएगा. और मुस्लिम छात्र ये कहेंगे कि वो तो अल्लाह को मानते हैं, फिर श्री राम और श्री कृष्ण के बारे में वो क्यों पढ़ेंगे? इसलिए ये मत सोचिए कि ये मामला हिजाब की मांग को मान लेने से समाप्त हो जाएगा.

मुस्लिम देश जॉर्डन के राज परिवार से सीखने की जरूरत

अब आपको जॉर्डन (Jordan) के किंग अब्दुल्लाह द्वितीय (Abdullah II) और उनके परिवार के बारे में बताते हैं जिनकी रॉयल फैमिली को पैगम्बर मोहम्मद साहब का वंशज माना जाता है. लेकिन ये परिवार हिजाब और बुर्के की परम्परा और पहनावे का पालन नहीं करता. किंग अब्दुल्लाह II ने अमेरिका (US) और ब्रिटेन (UK) में रह कर पढ़ाई की है. वो शुरुआत से कट्टरपंथी इस्लामिक सोच के खिलाफ रहे हैं.

आपको बता दें कि जॉर्डन में लगभग 90% आबादी मुसलमानों की है. लेकिन इसके बावजूद वहां का राज परिवार हिजाब और दूसरी मान्यताओं को नहीं मानता. लेकिन भारत के स्कूलों में हिजाब पहनने की मांग की जा रही है.

भारत के मुसलमान किसे चुनेंगे?

अब देश के मुसलमानों को ये तय करना है कि वो डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानते हैं, जिन्होंने भारत को परमाणु सम्पन्न देश बनाने के लिए अपने धर्म को नहीं देखा, या वो उन मुस्लिम नेताओं को अपना आदर्श मानते हैं, जो इस देश के स्कूलों में धार्मिक कट्टरवाद का जहर घोलना चाहते हैं. क्या हमारे देश के मुसलमान, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को अपने लिए प्रेरणा मानते हैं जिन्होंने 1985 के शाहबानो मामले में मुस्लिम तुष्टिकरण के खिलाफ राजीव गांधी की सरकार में मंत्री होते हुए उनका विरोध किया था या वो ऐसे मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं को अपना नायक मानते हैं, जो भारत को धर्म के नाम पर तोड़ने की बातें करते हैं. ये सिर्फ और सिर्फ उन्हीं को तय करना है.

ये भी देखे

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news