करतारपुर कॉरिडोर अच्छी पहल, लेकिन पाकिस्तान से सतर्क रहना जरूरी: जी पार्थसारथी
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करतारपुर कॉरिडोर अच्छी पहल, लेकिन पाकिस्तान से सतर्क रहना जरूरी: जी पार्थसारथी

भारत को पाकिस्तान के इरादों के प्रति सचेत एवं सजग रहने की जरूरत है क्योंकि वह पंजाब में ‘खालिस्तान’ को उकसाने का लगातार प्रयास करता रहा है.

फोटो साभारः facebook

भारत को पाकिस्तान के इरादों के प्रति सचेत एवं सजग रहने की जरूरत है क्योंकि वह पंजाब में ‘खालिस्तान’ को उकसाने का लगातार प्रयास करता रहा है.

  1. नई दिल्ली: भारत ने डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक एक कॉरिडोर बनाने की घोषणा की है ताकि सिख श्रद्धालु गुरु नानक देव की कर्मस्थली पाकिस्तान स्थित करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन कर सकें. वहीं पाकिस्तान ने भी सीमा से लगे अपने क्षेत्र में ऐसा ही एक कॉरिडोर विकसित करने की घोषणा की है. पेश है इस मुद्दे पर पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त रहे जी पार्थसारथी से ‘‘भाषा के पांच सवाल’’ और उनके जवाब : 
  2. प्रश्न : करतारपुर कॉरिडोर विकासित करने पर भारत और पाकिस्तान सरकारों की सहमति को आप कैसे देखते हैं ?
    उत्तर: इस विषय से धार्मिक और कूटनीतिक दो पहलू जुड़े हैं. करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन सुगम बनाने के लिये कॉरिडोर विकसित किए जाने की पहल स्वागतयोग्य है. गुरु नानक देव ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष वहां गुजारे थे और इस दृष्टि से सिख श्रद्धालुओं के लिये यह पहल अहम है, लेकिन जहां तक कूटनीतिक पहलू की बात है एवं यह विदेश नीति से जुड़ा विषय है, तो भारत को पाकिस्तान के इरादों के प्रति सचेत एवं सजग रहने की जरूरत है क्योंकि वह पंजाब में ‘खालिस्तान’ को उकसाने का लगातार प्रयास करता रहा है.
  3. प्रश्न: क्या यह पहल भारत-पाक के बीच रुकी बातचीत और तल्ख रिश्तों की दिशा में नयी शुरुआत के तौर पर देखी जायेगी ?
    उत्तर : देश के बंटवारे से पहले सिख तीर्थयात्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में दर्शन करने जाते थे. बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने इस पर रोक लगा दी. पाकिस्तान स्थित दूसरे गुरुद्वारे दर्शन के लिये खोल दिए गए, लेकिन पड़ोसी देश ने करतारपुर साहिब के सीमा के पास होने का हवाला देते हुए यहां रोक लगाए रखी. मैं बतौर राजनयिक, अपने अनुभव से यह कह सकता हूं कि जो सिख तीर्थयात्री पवित्र गुरुद्वारों के दर्शन के लिये जाते हैं, वहां पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि इनकी (तीर्थयात्रियों) मुलाकात कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया से संबंध रखने वाले खालिस्तान समर्थकों से करायी जाए. पाकिस्तान का प्रयास हमेशा खालिस्तान के मुद्दे को हवा देने का रहता है और पिछले दिनों भी ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं. ऐसे में हमें अपने लोगों एवं तीर्थयात्रियों को इन बातों से अवगत कराने और उन्हें ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार रखने की जरूरत है. 
  4. प्रश्न: आतंकवाद, सीमापार घुसपैठ का विषय भारत-पाक के बीच एक अहम मुद्दा है. ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि पाकिस्तान इस कॉरिडोर का इस्तेमाल आतंकी घुसपैठ जैसे कृत्यों को अंजाम देने के लिये कर सकता है. इस पर आपकी क्या राय है?
    उत्तर : पाकिस्तान पिछले चार दशकों से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहा है. निश्चित तौर पर आतंकवाद एवं सीमापार घुसपैठ दोनों देशों के संबंध में महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन जहां तक इस कॉरिडोर से घुसपैठ की बात है, तो ऐसे कॉरिडोर पर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध होते हैं और यहां से घुसपैठ की संभावना कम होती है, लेकिन पाकिस्तान का निरंतर प्रयास रहता है कि वह अवैध तरीके से आतंकियों की घुसपैठ कराए. ऐसा उदाहरण हमें पठानकोट में देखने को मिला चुका है.
  5. प्रश्न : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करतारपुर कॉरिडोर के संदर्भ में बर्लिन की दीवार गिरने का उदाहरण दिया है. आप इस बयान को कैसे देखते हैं ?
    उत्तर : भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सामान्य बनाने के मद्देनजर करतारपुर कॉरिडोर के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बर्लिन की दीवार गिरने का उदाहरण देना अच्छी बात है. लेकिन ऐसे प्रयासों को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि उसे अच्छे एवं नेक इरादे के साथ आगे बढ़ाया जाए. पाकिस्तान के साथ अब तक के अनुभव को देखते हुए ऐसे नेक इरादे की कल्पना नहीं की जा सकती. पाकिस्तान अपने क्षेत्र में लगातार खालिस्तान समर्थक दुष्प्रचार चलाता रहा है. हमें सजग एवं सचेत रहने की जरूरत है.
  6. प्रश्न : पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने तथा वार्ता को आगे बढ़ाने का रास्ता क्या होना चाहिए ? क्या धार्मिक कूटनीति एक कोशिश हो सकती है ? 
    उत्तर : कूटनीति में पड़ोसी देश के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिये सम्पर्क में रहना जरूरी होता है, ऐसे में पाकिस्तान के साथ भी सम्पर्क में रहना चाहिए, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में पाकिस्तान जिस तरह के समग्र संवाद की बात कर रहा है, वह अभी संभव नहीं दिखता. धर्म को कूटनीति से नहीं जोड़ा जा सकता. धर्म केवल लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का माध्यम हो सकता है. 

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