आर्टिकल 370: 'मैंने मजबूरी में घर छोड़ा था, मरने से पहले कश्मीर जाना चाहती हूं'
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आर्टिकल 370: 'मैंने मजबूरी में घर छोड़ा था, मरने से पहले कश्मीर जाना चाहती हूं'

शरणार्थी महिला ने कहा, "मरने से पहले, मैं अपने पहले घर में लौटना चाहती हूं जो अब एक मुस्लिम परिवार के अवैध कब्जे में है." "प्रत्येक कश्मीरी पंडित को एक दिन स्वदेश लौटने की उम्मीद है.

आर्टिकल 370: 'मैंने मजबूरी में घर छोड़ा था, मरने से पहले कश्मीर जाना चाहती हूं'

जम्मू: अपने ही राज्य में तीन दशकों से अधिक समय से शरणार्थी बनकर रह रहे कश्मीरी पंडितों में अभी भी अपनी मातृभूमि कश्मीर घाटी लौटने की लालसा कम नहीं हुई है. 1990 के दशक से कश्मीर की शीतकालीन राजधानी श्रीनगर में रहने वाली एक महिला शोभा कौल ने कहा, "मैं अभी भी उस मिट्टी पर पैर रखने के लिए उत्सुक हूं, जिसे हमें लंबे समय तक छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था." 1990 के दशक में आतंकी हमलों के कारण घाटी में तनाव अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया. इस समय कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बने माहौल के बाद वह अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुई थी.


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