महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और फारूक अब्दुल्ला ( Farooq Abdullah) जैसे कई अलगाववादियों की बोली बोलने वाले नेताओं को नजरबंद किया गया था. लेकिन 14 महीने 19 दिन बाद इन नेताओं की बोली वही की वही है.
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नई दिल्ली: 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के दामन पर लगा 370 का दाग धुल गया जिसके बाद से ही घाटी विकास की राह पर बढ़ चली है. लेकिन अलगाववाद का जहर फैलाकर अपनी सियासत की दुकान चला रहे क्षेत्रीय दलों को ये सब रास नहीं आ रहा है. महबूबा मुफ्ती ने पहले 370 (Article 370) की बहाली का राग अलापा और अब देश के तिरंगे का अपमान कर डाला लेकिन कश्मीर के नागरिक उन्हें असली कश्मीर की सच्ची तस्वीर दिखा रहे हैं. ये कश्मीर के आवाम की आवाज है. ये कश्मीर में अलगाववाद के खिलाफ आजादी की ललकार है.
नया और बदला हुआ कश्मीर
हंदवाड़ा के रहने वाले जावीद अहमद कुरैशी, फारूक अब्दुल्ला ( Farooq Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की 370 (Article 370) की बहाली वाली मांग पर अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सके. जावीद का कहना है कि नया और बदला हुआ कश्मीर, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को रास नहीं आ रहा है. 370 की मांग इन्होंने जारी रखी तो इन्हें धक्के देकर कश्मीर से निकाला जाएगा
महबूबा के घर गुपकार गठबंधन की बैठक
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था. महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला जैसे कई अलगाववादियों की बोली बोलने वाले नेताओं को नजरबंद किया गया था. लेकिन 14 महीने 19 दिन बाद इन नेताओं की बोली वही की वही है. शुक्रवार को महबूबा मुफ्ती ने 370 की बहाली का राग अलापा, तिरंगे के खिलाफ बात कही तो शनिवार को भी महबूबा के घर गुपकार गठबंधन की बैठक हुई जिसमें फारूक अब्दुल्ला को गठबंधन का चेयरमैन चुना गया. फारूक ने भी वही कहा कि 370 की बहाली तक चैन से नहीं बैठेंगे लेकिन अब कश्मीर के लोग भी गुपकार गठबंधन को आईना दिखा रहे हैं.
महबूबा ने भारत के तिरंगे का अपमान किया
गुपकार गठबंधन का चेयरमैन चुने जाने के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि 370 को हटाना असंवैधानिक था. वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने महबूबा मुफ्ती को जवाब दिया कि एक देश दो निशान अब नहीं चलेगा. कानून मंत्री ने महबूबा के राष्ट्र विरोधी बयान पर तथाकथित सेक्युलर लॉबी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए.
करीब 14 महीने की हिरासत के बाद रिहा हुईं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए बैठी तो उनके सामने जम्मू-कश्मीर का पुराना झंडा था और ज़ुबान पर देश विरोध का एजेंडा. महबूबा ने भारत की भूमि पर बैठकर भारत के तिरंगे का अपमान किया.
कश्मीर की आवाम क्या चाहती है?
महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला कश्मीर के दोनों ऐसे नेता हैं, जो खुलेआम आतंकियों की पैरवी करते थे. दोनों ने अनुच्छेद 370 की और अब जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद का एजेंडा चलाने वाली दोनों पार्टियों के इरादे क्या हैं? ये नजरबंदी से रिहाई के बाद दोनों नेता जता चुके हैं लेकिन कश्मीर की आवाम क्या चाहती है, ये हंदवाड़ा के रहने वाले जावीद अहमद कुरैशी दुनिया को दिखा दिया है. कश्मीर ने भारत के साथ चलकर विकास के रास्ते को चुन लिया है.
कुल मिलाकर अगले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद की जगह राष्ट्रवाद लेगा. देश की एकता एवं अखंडता का माहौल समृद्ध होगा. जम्मू-कश्मीर विकास की राह पर नया इतिहास लिखेगा और ये सब कश्मीर में देशविरोधी एजेंडा चलाने वाले नेताओं को रास नहीं आ रहा है.
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