Kedarnath Gold: केदारनाथ के गर्भगृह से कहां गया सोना? शंकराचार्य को मंदिर समिति ने दे दिया पूरा हिसाब!
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Kedarnath Gold: केदारनाथ के गर्भगृह से कहां गया सोना? शंकराचार्य को मंदिर समिति ने दे दिया पूरा हिसाब!

Kedarnath temple: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि केदारनाथ से 228 किलो सोना गायब है. इस पर अब तक कोई जांच शुरू नहीं हुई. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इसी आरोप पर मंदिर समिति ने जवाब दिया है. 

Kedarnath Gold: केदारनाथ के गर्भगृह से कहां गया सोना? शंकराचार्य को मंदिर समिति ने दे दिया पूरा हिसाब!

Avimukteshwaranand Saraswati Controversy: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह से 228 किलो सोना गायब होने का दावा किया है. इसके बाद अब इस मामले पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति प्रबंधन ने सफाई जारी की है. इसमें उन्होंने बताया कि सोना कब आया, उसे कहां चढ़ाया गया. साथ ही उसकी इंट्री का भी हवाला दिया. 

समिति ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

मंदिर समिति और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थक इस मामले पर अब खुलकर आमने-सामने आ गए हैं. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने गर्भगृह से सोने की चोरी के आरोपों को बेबुनियाद और तथ्यहीन बताते हुए आरोप लगाने वालों से विवाद खड़ा करने की बजाय सक्षम स्तर पर मामले की जांच की मांग कराने का अनुरोध किया. 

नियमों के मुताबिक ही सोना लिया गया...

अजय ने आरोपों को षड्यंत्र बताते हुए कहा कि दानदाता द्वारा केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की इच्छा प्रकट की गई थी. उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रख उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी गई. उन्होंने कहा कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानदाता से दान स्वीकारा गया. इसके लिए विधिवत प्रदेश शासन से अनुमति ली गई. मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने का कार्य किया गया. 

तांबे की प्लेटों पर सोने की परत चढ़ाई गई

अजय ने कहा कि गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य दानदाता ने स्वयं किया और उन्होंने ही अपने स्तर से स्वर्णकार से तांबे की प्लेटें तैयार करवाईं और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई गईं. उन्होंने कहा कि दानदाता ने अपने स्वर्णकार के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित भी कराया. मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा कि सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का पूरा काम दानी ने खुद कराया. मंदिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी. 

दानदाता ने नहीं मांगा प्रमाणपत्र

उन्होंने कहा कि कार्य होने के बाद दानदाता ने सभी आधिकारिक बिल एवं वाउचर मंदिर समिति को दे दिए थे, जिसके बाद नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया गया. दानी व्यक्ति अथवा किसी फर्म द्वारा मंदिर समिति के समक्ष किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई और न ही उन्होंने मंदिर समिति से आयकर अधिनियम की धारा-80 जी का प्रमाणपत्र मांगा. अजय ने कहा कि उक्त दानदाता ने 2005 में श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह को भी स्वर्ण जड़ित किया था लेकिन अब एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत विद्वेषपूर्ण आरोप लगाये जा रहे हैं. 

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तीर्थ पुरोहित ने भी सोने की जांच की मांग की 

दूसरी ओर, ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में हुई सोने की चोरी की जांच कराए जाने की मांग के समर्थन‌ में केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित भी आ गए हैं. केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने वीडियो संदेश जारी कर केदारनाथ सोना प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की. उन्होंने संदेश में कहा कि वे (तीर्थ पुरोहित) शुरुआती दौर से ही केदारनाथ धाम में चांदी और सोने की परत लगाए जाने का विरोध करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि विरोध के बावजूद मंदिर समिति प्रशासन की ओर से पहले चांदी और उसके बाद सोने की परत लगाई गई. 

सोने की 528 प्लेट और चांदी की 230 प्लेटें गायब 

केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष किशन बगवाड़ी ने आरोप लगाया कि गर्भगृह से सोने की 528 प्लेटों के साथ ही चांदी की 230 प्लेटें भी गायब हैं. उन्होंने मंदिर समिति से सवाल किया कि आखिर 230 किलो सोना कहां गया? इसके अलावा, उन्होंने पूर्व में लगी चांदी के बारे में भी मंदिर समिति से जवाब मांगा है. बगवाड़ी ने कहा कि तीर्थ पुरोहित शुरू से ही उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश से इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं लेकिन राज्य सरकार उसे अनसुना करती रही है. 

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गर्भगृह में लगे सोने की शुद्धता पर भी संदेह

उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा कि गर्भगृह में लगाए गए सोने की गुणवत्ता को लेकर भी उन्हें संदेह है और उनका सवाल यह है कि मंदिर में लगा सोना तांबे में कैसे बदल गया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व में गढ़वाल आयुक्त की अध्यक्षता में जांच समिति बनाने की बात कही थी लेकिन उसकी रिपोर्ट के बारे में अब तक पता नहीं चल पाया है. 

 

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