जानें Whatsapp के जरिये कैसे की जाती थी जासूसी, कैसे होता था ये पूरा खेल?
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जानें Whatsapp के जरिये कैसे की जाती थी जासूसी, कैसे होता था ये पूरा खेल?

स्पाइवेयर Pegasus के जरिये WhatsApp की जासूसी ने पूरी दुनिया को हैरान और परेशान कर दिया. अब आपको ये जानना ज़रूरी है कि आखिर Whatsapp के जरिए ज़ासूसी का ये पूरा खेल होता कैसे था.

आरोप है कि इजरायली फर्म के स्पाइवेयर Pegasus के जरिए Whatsapp पर भारतीय पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की जासूसी कराई गई.

नई दिल्ली: स्पाइवेयर Pegasus के जरिये WhatsApp की जासूसी ने पूरी दुनिया को हैरान और परेशान कर दिया लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी कि जिन लोगों की जासूसी हुई, उसमें भारत के नागरिक भी शामिल हैं. ये नागरिक राजनेता हैं, पत्रकार हैं, सामाजिक कार्यकर्ता हैं, प्रोफेसर हैं, वकील हैं. विपक्ष का आरोप है कि Pegasus कंपनी सिर्फ सरकारों को ये स्पाइवेयर बेचती है तो फिर सवाल ये कि भारत में ये कैसे पहुंचा और किसने इसे खरीदा?

आरोप है कि इजरायली फर्म के स्पाइवेयर Pegasus के जरिए Whatsapp पर भारतीय पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की जासूसी कराई गई. ख़तरनाक स्पाइवेयर के जरिए एक मिस्ड कॉल के जरिए किसी भी मोबाइल डिवाइस में मौजूद सब कुछ सीज कर सकता है.  NSO Group ने लोगों की जासूसी के लिए जो विशेष प्रकार के Spyware का निर्माण किया था. उसका नाम है Pegasus (पेगासस)...Pegasus एक ऐसा Spyware है जो कई रास्तों से आपके Smart Phone में प्रवेश कर सकता है...इस Spyware की कीमत 180 से 200 करोड़ रुपये के बीच बताई जाती है. 

मामले का खुलासा पहली बार इसी साल मई में हुआ जब कैलिफोर्नियो के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वॉट्सऐप ने Peagasus डिवेलप करने वाले फर्म NSO Group के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई...इजरायल के इस मैलवेयर ने वॉट्सऐप के विडियो कॉलिंग फीचर के माध्यम से अटैक किया जिसने करीब 1400 लोगों को निशाना बनाया. इस मैलवेयर के सामने आने के बाद वॉट्सऐप ने 13 मई को तत्काल अपडेट की घोषणा की.  

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अब आपको ये जानना ज़रूरी है कि आखिर Whatsapp के जरिए ज़ासूसी का ये पूरा खेल होता कैसे था. ये जानना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि आप ऐसे किसी हथियार का शिकार होने से अपने आपको बचा सकें. Whatsapp के जरिए जासूसी करने के लिए NSO ने एक Spyware का निर्माण किया और इसी Spyware की मदद से Whatsapp यूजर्स के मोबाइल फोन हैक किए गए. इसके लिए Whatsapp यूजर को एक वीडियो कॉल की जाती थी. ये कॉल ज्यादातर उत्तरी यूरोप के देशों से आती थी. 

मोबाइल फोन पर ये कॉल आने के बाद एक मैलवेयर यानी एक प्रकार का खतरनाक सॉफ्टवेयर मोबाइल फोन के सिस्टम में प्रवेश कर जाता था और लोगों के डेटा को अपने कब्जे में ले लेता था...खास बात ये है कि ये Spyware अपना काम कॉल रिसीव नहीं होने पर भी बखूबी करता है. यानी अगर आपके मोबाइल फोन पर आये वीडियो कॉल को रिसीव नहीं किया जाता और उस कॉल को डिस्कनेक्ट भी कर दिया जाता था तो भी Malware मोबाइल फोन में प्रवेश कर जाता था. 

कॉल डिस्कनेक्ट होते ही जेलब्रेक तकनीक की मदद से ये Spyware मोबाइल फोन में पहुंच जाता था. जेलब्रेक का मतलब है फोन में सुरक्षा की दृष्टि से मौजूद पाबंदियों को बायपास कर लेना..मोबाइल फोन की सुरक्षा को बायपास करने के बाद ये Spyware स्मार्ट फोन के कैमरा, माइक्रोफोन, गैलरी, स्टोरेज और लोकेशन जैसे महत्वपूर्ण फीचर को अपने नियंत्रण में ले लेता था. Whatsapp ने भी माना, "हमने उस साइबर हमले का पता लगाकर उसे ब्लॉक कर दिया जो हमारे विडियो कॉलिंग फीचर में शामिल हो गया था। यह यूजर को विडियो कॉल के रूप में दिखाई देता, लेकिन यह सामान्य कॉल नहीं होती थी."

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