कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन लोगों पर रूप बदल-बदलकर हमला कर रहा है. कोटा में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसने डॉक्टरों को भी हैरानी में डाल दिया है.
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जयपुर: कोरोना (Coronavirus) के नए स्ट्रेन रूप बदल-बदलकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. राजस्थान के कोटा (Kota) शहर में ऐसा ही एक विचित्र मामला सामने आया है. कोरोना संक्रमित होने के 24 घंटे के अंदर ही एक 32 साल की महिला के दोनों फेफड़े खराब हो गए.
जानकारी के मुताबिक कोटा (Kota) में 32 साल की महिला की सीने में दर्द की शिकायत थी. जिस पर उसने 9 अप्रैल को अपना एक्सरे कराया. उस समय हुई जांच में उसके फेफड़े और बाकी अंग ठीक ढंग से काम करते हुए मिले. महिला के ऑक्सीजन लेवल और बीपी भी ठीक काम कर रहे थे. 12 अप्रैल तक महिला के सारे अंग ठीक काम कर रहे थे लेकिन उसी रात को महिला को अचानक कुछ घबराहट महसूस हुई. अगले दिन उसने उठने की कोशिश की तो उसे चक्कर आ गए और सांस लेने में भी दिक्कत हुई. चेक करने के बाद पता चला कि उसमें ऑक्सीजन लेवल 94 था. इस पर महिला का उसी दिन अस्पताल में CT स्कैन करवाया गया. उसमें पता चला कि महिला के दोनों फेफड़े करीब 80 प्रतिशत तक संक्रमित हो चुके थे.
महिला का यह हाल देखकर कोटा (Kota) के डॉक्टर के के डांग हैरान रह गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि केवल 24 घंटे में दोनों फेफड़े इतने खराब कैसे हो गए. इंदौर के डॉक्टरों को दिखाने पर पता चला कि यह कोरोना का नया स्ट्रेन (Corona New Strain) है, जिसके चलते ऐसा हुआ. जांच करने वाले डॉक्टर ने कहा कि यह कोरोना का नया स्ट्रेन युवाओं में बहुत तेजी से फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के लक्षण दिखते ही लोगों को तुरंत जांच करा लेनी चाहिए.
सिर्फ इतना ही नहीं डॉक्टरों के मुताबिक इस बार कोरोना का एक नया लक्षण सामने आया है. इसमें इंसान की जीभ का रंग सफेद पड़ने लगता है और जुबान के ऊपर हल्के धब्बे पड़ने लगते हैं. मुंह के अंदर से लार बननी बंद हो जाती है. जिससे भोजन को पचाने और हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने में दिक्कत आती है.
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राजस्थान के कोटा (Kota) शहर की बात करें तो वहां पर कोरोना (Coronavirus) संक्रमण के लिहाज से अप्रैल का महीना ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है. कोटा में बीते 6 दिन से हर रोज कोरोना के 600 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में मेडिकल इंतजाम भी अब जवाब देने लगे हैं. कोटा में पहले रोजाना 300 से 400 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होती थी. अब यह खपत बढ़कर 1400 पर जा पहुंची है यानी पहले से चार से पांच गुना ज्यादा.
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चिंता की बात ये है कि कोटा (Kota) के मेडिकल कॉलेज में केवल 1500 ऑक्सीजन सिलेंडरों का स्टॉक रहता है, जो अब जवाब देने वाला है. ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी भी टेंशन बढ़ा रही है. दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि अस्पताल में जितने बेड है, उनमें सब पर ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम नहीं है. ऐसे में नए भर्ती होने वाले मरीजों की जान को खतरा बढ़ रहा है. कोटा मेडिकल कॉलेज में तीसरी सबसे बड़ी चुनौती पर्याप्त मात्रा में रेमिडिसिविर इंजेक्शनों का न होना बनी हुई है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ विजय सरदाना का कहना है कि इन टीकों की आपूर्ति हो तो रही है लेकिन वह मांग के मुताबिक नहीं है.
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