Mukhtar Ansari: AK-47 से 500 राउंड फायरिंग, वो हत्याकांड जिसने देश को हिला डाला; आया था मुख्तार का नाम
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Mukhtar Ansari: AK-47 से 500 राउंड फायरिंग, वो हत्याकांड जिसने देश को हिला डाला; आया था मुख्तार का नाम

Krishnanand Rai Death:  मामला है 29 नवंबर 2005 का. यानी करीब 18 साल पहले का. तब गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से कृष्णानंद राय बीजेपी विधायक थे. वह सियाड़ी गांव में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने पहुंचे थे. इस दौरान वह अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ियां लेकर नहीं आए थे. 

Mukhtar Ansari: AK-47 से 500 राउंड फायरिंग, वो हत्याकांड जिसने देश को हिला डाला; आया था मुख्तार का नाम

Ansari Brothers Convicted: अतीक अहमद और अशरफ अहमद के बाद अब दो और माफिया भाइयों पर कोर्ट का डंडा चला है. गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई है. उन पर 5 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है. जबकि उनके भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी को भी कोर्ट ने दोषी ठहराया. अफजाल को 4 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना लगाया गया है. उनकी सांसदी भी जाना तय है. आइए आपको उस हत्याकांड की कहानी सुनाते हैं.

मुख्तार बंधुओं पर जो गैंगस्टर एक्ट के तहत ये मामले हैं, वे मोहम्मदाबाद और करंडा थाने के आपराधिक मुकदमे से बने गैंगचार्ट पर बेस्ड हैं. इसमें कारोबारी नंदकिशोर रूंगटा का किडनैपिंग केस और कृष्णानंद राय मर्डर केस शामिल है. कृष्णानंद राय बीजेपी विधायक थे. दिनदहाड़े उनकी हत्या से पूरे देश में सनसनी फैल गई थी.

क्या है पूरा मामला

यह मामला है 29 नवंबर 2005 का. यानी करीब 18 साल पहले का. तब गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से कृष्णानंद राय बीजेपी विधायक थे. वह सियाड़ी गांव में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने पहुंचे थे. इस दौरान वह अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ियां लेकर नहीं आए थे. जब वह वापस लौट रहे थे, तब बसनिया चट्टी के पास हमलावरों ने एके-47 से उनके काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी. 

पूरा इलाका कई मिनटों तक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजता रहा. कहा जाता है कि इस हत्याकांड में 500 राउंड फायरिंग हुई थी. कृष्णानंद राय के शरीर में 60 गोलियां लगी थीं. उनके काफिले में शामिल 7 लोगों की भी इस हमले में मौत हो गई थी. 

इस हत्याकांड का आरोप लगा मुख्तार और उनके भाई अफजाल अंसारी पर. दोनों को आरोपी बनाया गया. दरअसल मोहम्मदाबाद सीट पर अफजाल और मुख्तार का दबदबा था. लेकिन साल 2002 के चुनाव में कृष्णानंद राय इस सीट से जीत गए. उन्होंने अफजाल को बड़े अंतर से मात दी. कहा जाता है, उसी दिन के बाद से दोनों ने कृष्णानंद राय को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया था. जब यह हत्याकांड हुआ, उस वक्त मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे था.  गौरतलब है कि मुख्तार पिछले 18 साल से जेल की हवा खा रहा है. सलाखों के पीछे रहते हुए भी उनके खिलाफ आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, गाजीपुर के थानों में हत्या के 8 केस दर्ज थे. 

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