लाल बहादुर शास्त्री को RSS से बैर नहीं था, गोलवलकर से विचार-विमर्श करते थे: आडवाणी
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लाल बहादुर शास्त्री को RSS से बैर नहीं था, गोलवलकर से विचार-विमर्श करते थे: आडवाणी

शास्त्री को ‘समर्पित कांग्रेसी’ करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि अपने निजी गुणों की वजह से उन्होंने देश का विश्वास जीता.

लाल कृष्‍ण आडवाणी (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ वैचारिक रूप से कोई वैमनस्य नहीं रखते थे और प्रधानमंत्री रहते हुए वह गुरू गोलवलकर को अक्सर विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया करते थे. शास्त्री को ‘समर्पित कांग्रेसी’ करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि अपने निजी गुणों की वजह से उन्होंने देश का विश्वास जीता.

  1. ऑर्गनाइजर के संपादकीय में यह बात कही
  2. आडवाणी ने शास्‍त्री की तारीफ की
  3. शास्‍त्री को समर्पित कांग्रेसी कहा

उन्होंने आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ के 70 साल पूरा होने के अवसर पर आए संस्करण में छपे एक संपादकीय यह बात कही है. इस लेख में आडवाणी ने कहा, ‘‘नेहरू से उलट, शास्त्री ने जनसंघ और आरएसएस को लेकर किसी तरह का वैमनस्य नहीं रखा. वह श्री गुरूजी को राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया करते थे.’’ आडवाणी का यह लेख उनकी जीवनी ‘माई कंट्री, माई लाइफ’ से लिया गया है. ‘ऑर्गनाइजर’ से 1960 में बतौर सहायक संपादक जुड़ने वाले आडवाणी ने कहा कि वह इस साप्ताहिक के प्रतिनिधि के तौर पर शास्त्री से कई बार मिले.

उन्होंने कहा, ‘‘हर मुलाकात में मुझ पर इस छोटे कद, लेकिन बड़े हृदय वाले प्रधानमंत्री की सकारात्मक छाप पड़ी.’’ भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘ धोती-कुर्ता एक नेता का पहनावा है. यह पत्रकारों को नहीं भाता. मेरे साथियों ने मुझसे यह बात कही थी. मैंने अपने साथियों की ओर से दी गई सलाह में कुछ उचित पाया और फिर से पतलून पहनने लगा.’’

आडवाणी ने लिखा कि 1977 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहते हुए वह ख्वाजा अहमद अब्बास और पृथ्वी राज कपूर से मिले और वे दोनों यह जानकर हैरान रह गए कि ‘हमारे यहां एक मंत्री है जो पहले फिल्म आलोचक हुआ करता था.’ शास्त्री 1964 से 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी पिछले साल शास्त्री की तारीफ की थी.

भाजयुमो की बुकलेट में नेहरू पर विवादित टिप्‍प्‍णी
इस बीच मध्‍य प्रदेश में भारतीय जनता युवा मोर्चा(बीजेवाईएम) की एक बुकलेट में पंडित नेहरू पर आपत्तिजनक टिप्‍पणी के कारण विवादित शुरू हो गया है. दरअसल मध्‍य प्रदेश की बीजेवाईएम ने पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय पर एक 'अंतरराष्‍ट्रीय सामान्‍य ज्ञान प्रतियोगिता' का आयोजन मंगलवार को किया था. पूरे राज्‍य से 26 लाख से अधिक छात्रों ने इसमें हिस्‍सा लिया था. इसकी तैयारी के लिए 49 पेज की एक बुकलेट भाजयुमो ने जारी की थी. इसमें पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय की विचारधारा, उनके समग्र मानवता के दर्शन, धर्म और अंत्‍योदय पर चैप्‍टरों के साथ 230 बहुविकल्‍पीय प्रश्‍न थे. इन्‍हीं में से एक चैप्‍टर में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को सत्‍ता का लालची बताया गया.  

MP: भारतीय जनता युवा मोर्चा की बुकलेट पर बवाल, नेहरू को बताया 'सत्‍ता का लालची'

द इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस बुकलेट के चैप्‍टर अखंड भारत में लिखा है, ''पंडित दीनदयाल का स्‍पष्‍ट मत था कि भारतमाता को खंडित किए बिना भी भारत की आजादी प्राप्‍त की जा सकती है...किंतु पंडित नेहरू और जिन्‍ना के सत्‍ता लालच और अंग्रेजों की चाल में आ जाने से भारतवासियों का ये सपना पूरा नहीं हुआ और खंडित भारत को आजादी मिली.''

इस बुकलेट में अधिकांश सवाल बीजेपी, आरएसस और केंद्र और राज्‍य की बीजेपी सरकार की नीतियों से संबंधित थे. मसलन, बीजेपी से देश का पहला प्रधानमंत्री कौन था? आरएसएस का मुख्‍यालय कहां है? कुछ ऐसे भी सवाल पूछे गए जो कांग्रेस से ताल्‍लुक रखते थे. मसलन, जब भोपाल गैस त्रासदी हुई उस वक्‍त मध्‍य प्रदेश का मुख्‍यमंत्री कौन था?

(इनपुट एजेंसी से भी)

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