Exclusive: मानवाधिकार कार्यकर्ता की चिट्ठी ने खोले कई राज, कश्मीरी अलगाववादियों से भी जुड़े हैं नक्‍सलियों के तार
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Exclusive: मानवाधिकार कार्यकर्ता की चिट्ठी ने खोले कई राज, कश्मीरी अलगाववादियों से भी जुड़े हैं नक्‍सलियों के तार

जी मीडिया के पास दो ऐसी चिट्ठियां हैं जो मानवाधिकारों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाली एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज द्वारा लिखी गई बताई जा रही हैं.

एक चिट्ठी कामरेड प्रकाश के नाम लिखी गई तो दूसरी कामरेड सुरेन्द्र के नाम

अंकुर त्यागी, नई दिल्ली: भीमा-कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट ने भले ही बुधवार को सभी वामपंथी कार्यकर्ताओं को फिलहाल हाउस अरेस्ट रखने और मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को करने का आदेश दे दिया हो. लेकिन, जी मीडिया के हाथ दो ऐसी चिट्ठी लगी है जो काफी कुछ खुद-ब-खुद बयान करती है. जी मीडिया के पास दो ऐसी चिट्ठियां हैं जो मानवाधिकारों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाली एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज द्वारा लिखी गई बताई जा रही हैं. ये चिट्ठियां यह बताने के लिए काफी हैं कि कैसे शहरों में रह रहे लोग देश के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं और अपना नेटवर्क चला रहे हैं. दोनों ही चिट्ठियों में आर्थिक सहायता देने की बात भी कही गई है. एक चिट्ठी कामरेड प्रकाश के नाम लिखी गई तो दूसरी कामरेड सुरेन्द्र के नाम. इन चिट्ठियों से यह जानकारी भी निकल कर सामने आती है कि इन इनके तार कश्मीर के अलगाववादियों और पत्थरबाजों से भी जुड़े हुए हैं. चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है कि कामरेड अंकीत और कामरेड गौतम नवलखा कश्मीरी अलगाववादियों से सीधे संपर्क में हैं.

  1. पुलिस के पास करीब 225 डॉक्यूमेंट्स और 30टीबी डाटा
  2. एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज द्वारा लिखी गई चिट्ठी आई सामने
  3. दोनों ही चिट्ठियों में आर्थिक सहायता देने की बात भी कही गई

पुलिस के पास है करीब 30 टीबी डाटा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस के पास करीब 225 डॉक्यूमेंट्स और 30टीबी डाटा है. पुलिस को उम्मीद है इनमें कई सुराग छुपे हो सकते हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक यह डाटा पिछली बार हुई गिरफ्तारी के वक्त उन लोगों के कंप्यूटर और लैपटॉप से रिकवर किया गया था. उसी डाटा के आधार पर इन लोगों के देशद्रोही गतिविधियों में व्यापक स्तर पर लिप्त होने की जानकारी मिली और यह भी पता चला कि राज्यवार इनके तार किससे और कैसे जुड़े हुए हैं.

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letter of activist Sudha Bhardwaj

फंडिंग की बात आई है सामने
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच में यह भी सामने आया है कि ये लोग 18 फरवरी 2000 को आंध्र प्रदेश में पुलिस के हाथों मारे गए नक्सली नेता नवीन से भी जुड़ रहे हैं. जिसे लेकर जेएनयू में इन्होंने एक लेक्चर भी रखा था. जो दस्तावेज बरामद हुए हैं उससे साफ है कि कट्टरपंथी और वाम विचारधारा से प्रेरित लोग इस बात और योजना में लगे रहते थे कि किस तरह से एंटी नेशनल एक्टिविटी को बढ़ावा दिया जाए, और उसमें दूसरे लोगों को भी जोड़ा जाए. इन्हें फंड भी दिया जाता था. गौरतलब है कि रोना विल्सन के घर से 80 हजार कैश मिला था.

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सीपीआईएम ने एल्गार परिषद को दिए थे 15 लाख रुपये
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जो गिरफ्तार किए गए हैं और एल्गार परिषद से जुड़े कुछ लोग भी एंटी नेशनल मूवमेंट में शामिल हैं और प्रतिबंधित संगठनों से ताल्लुक रखते हैं, उसकी जांच की जा रही है. यही नहीं इन्हीं लोगो के मूवमेंट में दस्तावेजों के जरिये ये बातें सामने आ रही हैं कि जेएनयू जैसी संस्था को यही लोग प्रोवोग करते हैं. जून में हुई गिरफ्तारी मामले में मनी ट्रेल का भी एंगल है. सीपीआईएम द्वारा एल्गार परिषद को 15 लाख देने की बात भी सूत्रों के हवाले से पुष्टि की गई. वहीं कामरेड मंगलू दीपू और प्रकाश अब फरार हैं, उनकी तलाश की जा रही है.

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