दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए लीडार सर्वेक्षण ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ है. इस मौके पर अत्याधुनिक एरियल लीडार (Aerial LiDAR) और इमेजरी सेंसरों (Imagery sensors) से लैस एक हेलीकॉप्टर ने पहली उड़ान भरी और जमीनी सर्वेक्षण से संबंधित आंकड़ों को कैप्चर किया.
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नई दिल्लीः दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए लीडार सर्वेक्षण ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ है. इस मौके पर अत्याधुनिक एरियल लीडार (Aerial LiDAR) और इमेजरी सेंसरों (Imagery sensors) से लैस एक हेलीकॉप्टर ने पहली उड़ान भरी और जमीनी सर्वेक्षण से संबंधित आंकड़ों को कैप्चर किया. नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सर्वे (LIDAR) तकनीक को अपना रहा है, जो 3-4 महीनों में सभी जमीनी विवरण और डेटा मुहैया करती है, जबकि सामान्य रूप से इस कार्य में 10-12 महीने लगते हैं.
जमीनी सर्वेक्षण किसी भी रैखिक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. क्योंकि सर्वेक्षण संरेखण के आसपास के क्षेत्रों का सटीक विवरण प्रदान करता है. यह तकनीक सटीक सर्वेक्षण डेटा देने के लिए लेजर डेटा, जीपीएस डेटा, उड़ान मापदंडों और वास्तविक तस्वीरों के संयोजन का उपयोग करती है. हवाई लीडार सर्वेक्षण (LiDAR Survey) के दौरान, सर्वेक्षण के उद्देश्य के लिए प्रस्तावित संरेखण के आसपास के 300 मीटर (दोनों ओर 150 मीटर) क्षेत्र पर सर्वेक्षण किया जा रहा है. ऊर्ध्वाधर (Vertical) और क्षैतिज (Horizontal) संरेखण, संरचनाओं, स्टेशनों और डिपो का स्थान, गलियारे के लिए भूमि की आवश्यकता, परियोजना प्रभावित भूखंडों / संरचनाओं की पहचान, राइट ऑफ़ वे आदि के लिए आंकड़ों के संग्रह के बाद, 1: 2500 के पैमाने पर प्रस्तावित संरेखण के दोनों ओर 50 मीटर कॉरिडोर के तीन आयामी (3 डी) स्थलाकृतिक मानचित्र उपलब्ध होंगे.
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इस क्षेत्र में भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा निर्धारित 9 मानक बेंचमार्क के अनुसार, 86 मास्टर नियंत्रण बिंदु और 350 माध्यमिक नियंत्रण बिंदु स्थापित किए गए हैं और ये निर्देशांक दिल्ली-वाराणसी एचएसआर कॉरिडोर संरेखण पर विमान को उड़ाने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं. संरचनाओं, पेड़ों और अन्य छोटे ग्राउंड विवरणों की स्पष्ट तस्वीरें प्रदान करने के लिए, लीडार सर्वेक्षण (LiDAR Survey) के लिए 60 मेगापिक्सल कैमरों का उपयोग किया जा रहा है.
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एनएचएसआरसीएल (National High Speed Rail Corporation Limited) को 7 हाई स्पीड रेल कॉरिडोरों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है और सभी गलियारों में जमीनी सर्वेक्षण के लिए लीडार सर्वेक्षण (LiDAR Survey) तकनीक का उपयोग किया जाएगा. दिल्ली वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट 29 अक्टूबर 2020 को रेल मंत्रालय को सौंप दी गई है.
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दिल्ली वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की प्रस्तावित योजना दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) को मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगी. दिल्ली से वाराणसी (लगभग 800 किमी) तक का मुख्य गलियारा भी अयोध्या से जुड़ जाएगा. हाई स्पीड रेल (एचएसआर) मार्ग उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के जेवर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी जोड़ेगा.