'मन की बात': PM नरेंद्र मोदी बोले- मेरा कभी राजनीति में जाने का मन नहीं था
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'मन की बात': PM नरेंद्र मोदी बोले- मेरा कभी राजनीति में जाने का मन नहीं था

PM नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में देशवासियों को संबोधित किया.

'मन की बात': PM नरेंद्र मोदी बोले- मेरा कभी राजनीति में जाने का मन नहीं था

नई दिल्ली: अयोध्या फैसले के बाद और महाराष्ट्र में चल रहे सियासी भूचाल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं. इस दौरान पीएम ने एनसीसी दिवस के मौके पर कैडेड्स को शुभकामनाएं दीं. दरअसल, नवंबर महीने का चौथा रविवार हर साल NCC Day के रूप में मनाया जाता है. इसी बीच, जब एक कैडेट ने उनसे बचपन के सपने के बारे में पूछा तो पीएम मोदी ने कहा कि वह राजनीति में नहीं आना चाहते थे. हालांकि अब आ गए हैं तो जी-जान से लोगों की सेवा करने में जुटे हैं. पीएम मोदी के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' का यह 59वां संस्करण है.

पीएम मोदी ने कहा:-
- मेरे प्यारे देशवासियों मन की बात में आप सबका स्वागत है. युवा देश के, युवा, वो गर्म जोशी, वो देशभक्ति, वो सेवा के रंग में रंगे नौजवान, आप जानते हैं ना. नवम्बर महीने का चौथा रविवार हर साल NCC Day के रूप में मनाया जाता है.
- आमतौर पर हमारी युवा पीढ़ी को Friendship Day बराबर याद रहता है. लेकिन बहुत लोग हैं जिनको NCC Day भी उतना ही याद रहता है. मैं NCC के सभी पूर्व और मौजूदा Cadet को NCC Day  की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं.
- NCC यानी National Cadet Corps. दुनिया के सबसे बड़े uniformed youth organizations में NCC एक है. यह एक Tri-Services Organization  है जिसमें सेना, नौ-सेना, वायुसेना तीनों ही शामिल हैं.
-  मेरा भी सौभाग्य रहा कि मैं भी बचपन में मेरे गांव के स्कूल में NCC Cadet रहा, तो मुझे ये अनुशासन, ये गणवेश मालूम है और उसके कारण आत्मविश्वास का स्तर भी बढ़ता है. ये सारी चीज़ें बचपन में मुझे एक NCC Cadet के रूप में अनुभव करने का मौका मिला था.
- 7 दिसंबर को Armed Forces Flag Day (सशस्त्र सेना झंडा दिवस) मनाया जाता है. ये वो दिन है जब हम अपने वीर सैनिकों को, उनके पराक्रम को, उनके बलिदान को याद तो करते ही हैं लेकिन योगदान भी करते हैं. आइये, इस अवसर पर हम अपनी Armed Forces के अदम्य साहस, शौर्य और समर्पण भाव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और वीर सैनिको का स्मरण करें.
- भारत में फिट इंडिया मूवमेंट (Fit India Movement) से तो आप परिचित होंगे ही. सीबीएसई ने एक सराहनीय पहल की है, Fit India सप्ताह की. इस सप्ताह में विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके शिक्षक और माता-पिता भी भाग ले सकते हैं.
- पीएम मोदी ने कहा, मैं अनुरोध करता हूं कि सभी school, Fit India ranking में शामिल हों और Fit India यह सहज स्वभाव बने. एक जनांदोलन बने. जागरूकता आए. इसके लिए प्रयास करना चाहिए
- मोदी ने आगे कहा, मैं अनुरोध करता हूं कि सभी स्कूल, फिट इंडिया रैंकिंग में शामिल हों और Fit India यह सहज स्वभाव बने. एक जनांदोलन बने. जागरूकता आए. इसके लिए प्रयास करना चाहिए.

पीड़ा मैं समझ सकता हूं
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''कुछ दिन पहले @mygovindia पर एक comment पर मेरी नजर पड़ी. असम(नौगांव) के रमेश शर्मा ने लिखा, ब्रहमपुत्र नदी पर एक उत्सव- ब्रहमपुत्र पुष्कर,4-16 नवंबर तक था पर इसकी कोई व्यापक चर्चा नहीं होती है, प्रचार नहीं होता है. आपकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं.''
- मोदी ने कहा, ''कुंभ की तरह ही ये उत्सव भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है और एक भारत श्रेष्ठ भारत के दर्शन कराता है. इस वर्ष यह ब्रह्मपुत्र नदी पर आयोजित हुआ और आने वाले साल तुंगभद्रा नदी आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में आयोजित होगा.''

अयोध्या फैसले पर बोले
- अयोध्या मामले पर प्रधानमंत्री ने कहा, ''9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो 130 करोड़ भारतीयों ने फिर ये साबित कर दिया कि उनके लिए देशहित से बढ़कर कुछ नहीं है. देश में, शांति, एकता और सदभावना के मूल्य सर्वोपरि हैं. राम मंदिर पर जब फ़ैसला आया तो पूरे देश ने उसे दिल खोलकर गले लगाया. पूरी सहजता और शांति के साथ स्वीकार किया.''

'परीक्षा पर चर्चा'
- उन्होंने कहा, ''मेरे युवा-साथी परीक्षाओं के समय हंसते-खिलखिलाते दिखें, अभिभावक तनाव मुक्त, शिक्षक आश्वस्त हों, इसी उद्देश्य को लेकर हम मन की बात के माध्यम से 'परीक्षा पर चर्चा' #ParikshaParCharcha Town Hall से, Exam Warrior’s Book के माध्यम से लगातार प्रयास कर रहे हैं.''

बोलियां पर जताई चिंता
प्रधानमंत्री ने कहा, ''हमारी भारत भूमि पर सैकड़ों भाषाएं सदियों से पुष्पित पल्लवित होती रही हैं. हालांकि, हमें इस बात की भी चिंता होती है कि कहीं भाषाएं, बोलियां ख़त्म तो नहीं हो जाएंगी. पिछले दिनों मुझे उत्तराखंड के धारचुला की कहानी पढ़ने मिली. मुझे काफी संतोष मिला. हमारी सभ्यता, संस्कृति और भाषाएं पूरे विश्व को, विविधता में, एकता का सन्देश देती हैं. पिथौरागढ़ के धारचूला में, रंग समुदाय के काफ़ी लोग रहते हैं, इनकी, आपसी बोल-चाल की भाषा रगलो है. ये लोग इस बात को सोचकर अत्यंत दुखी हो जाते थे कि इनकी भाषा बोलने वाले लोग लगातार कम होते जा रहे हैं- फिर क्या था, एक दिन इन सबने अपनी भाषा को बचाने का संकल्प ले लिया.''

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