उन्होंने मंगलवार को सदन के शुरू होने पर सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सदस्यों के समक्ष दो शर्ते रखीं.
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नई दिल्ली: लोकसभा में धक्का-मुक्की, रास्ता रोकने और एक दूसरे पर चिल्लाने की वजह से अध्यक्ष ओम बिरला को सोमवार को सदन को स्थगित करना पड़ा. उन्होंने मंगलवार को सदन के शुरू होने पर सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सदस्यों के समक्ष दो शर्ते रखीं. पहली शर्त उन्होंने सभी सदस्यों के सामने रखी कि यदि सत्तापक्ष के सदस्य विपक्ष की तरफ जाते हैं या विपक्ष के सदस्य ऐसा करते हैं और सत्तापक्ष की तरफ जाते हैं तो संबंधित सांसद को निलंबन का सामना करना होगा. सूत्रों का कहना है कि इस पर सभी पार्टियों ने सहमति जताई.
लेकिन असहमति का मुद्दा दूसरी शर्त है. बिरला ने साफ तौर पर सदन के अंदर तख्तियां लाने के खिलाफ चेतावनी दी. माना जाता है कि उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा करने में विफल रहने पर पार्टी की परवाह किए बिना उन्हें आसन की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. सत्तारूढ़ भाजपा व विपक्ष कांग्रेस सहित ज्यादातर पार्टियां इस पर सहमत हुई. सूत्रों ने कहा कि कुछ 'युवा सांसद' जो केरल से हैं, उन्होंने इस पर 'कड़ी आपत्ति' जताई.
इस प्रयास को जिसे बिड़ला द्वारा गतिरोध को समाप्त करने के लिए 'शांति पहल' के रूप में बताया जा रहा है, वह लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस व भाजपा के लोकसभा में हंगामा के बाद सामने आया है. इस हंगामे में कांग्रेस व भाजपा में धक्का-मुक्की भी हुई. यह सब तब हुआ जब कांग्रेस सदस्य, सत्ता पक्ष की तरफ गए. भाजपा के मुख्य सचेतक संजय जायवाल सदन में बोल रहे थे. इस पर भाजपा के सदस्य रमेश विधूड़ी, जायसवाल के बचाव में आ गए.
बाद में कांग्रेस सांसद राम्या हरिदास ने लोकसभा अध्यक्ष से भाजपा सांसद जसकौर मीणा के खिलाफ शिकायत की, जबकि भाजपा की दौसा से प्रतिनिधि ने भी कांग्रेस के खिलाफ शिकायत की.
(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस)