MP: रतलाम में किराए पर बिकता बचपन, मोटी रकम देकर उठाए जाते हैं नाबालिग
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MP: रतलाम में किराए पर बिकता बचपन, मोटी रकम देकर उठाए जाते हैं नाबालिग

होटलों में काम करते इन नाबालिग बच्चों ने काउंसलिंग में बताया कि उनके माता-पिता को 1 या 2 साल के लिए मोटी रकम देकर रतलाम के संस्थानों पर ही रखा जाता है. 24 घंटे के इन बंधक बच्चों को घर-परिवार से दूर कर इनसे सुबह से देर रात तक काम करवाया जाता है और कभी-कभी तो खाना भी नहीं दिया जाता है. 

रतलाम में कलेक्टर द्वारा बनाई चाइल्ड लाइन स्पेशल टास्क फोर्स

रतलाम: रतलाम में कलेक्टर द्वारा बनाई चाइल्ड लाइन की स्पेशल टास्क फोर्स की रेस्क्यू कार्रवाई में एक बड़ा खुलासा हुआ है. स्पेशल टास्क फोर्स की रेस्क्यू कार्रवाई में 15 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है.

होटलों में काम करते इन नाबालिग बच्चों ने काउंसलिंग में बताया कि उनके माता-पिता को 1 या 2 साल के लिए मोटी रकम देकर रतलाम के संस्थानों पर ही रखा जाता है. 24 घंटे के इन बंधक बच्चों को घर-परिवार से दूर कर इनसे सुबह से देर रात तक काम करवाया जाता है और कभी-कभी तो खाना भी नहीं दिया जाता है. 

जिला प्रशासन की बाल श्रम मुक्त मुहिम
रतलाम कलेक्टर रुचिका चौहान ने एक बाल श्रम मुक्त अभियान चलाया है जिसके लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई है, जो बाल श्रमिकों का रेस्क्यू करेगी. इस स्पेशल टास्क फोर्स में चाइल्ड लाइन के साथ बाल श्रम विभाग के अधिकारी कर्मचारी व पुलिस भी शामिल हैं.

स्पेशल टास्क फोर्स पहले चाइल्ड लाइन बाल श्रमिकों के बारे में जानकरी जुटा रही है और फिर पूरी टीम इन बाल श्रम बच्चों का रेस्क्यू कर रही है. कार्रवाई के दौरान भारी विरोध के चलते रेस्क्यू टीम को पुलिस की मदद भी लेनी पड़ रही है, लेकिन कार्रवाई में रेस्क्यू किए गए बच्चों की काउंसलिंग में बड़े खुलासे सामने आए हैं. स्कूल जाने और खेल कूद की उम्र में ये बच्चे मजदूरी बेड़ियों में बंधक बने हुए हैं. 

बाल श्रम दंडनीय अपराध
रतलाम चाइल्ड लाइन की स्पेशल टास्क फोर्स की कार्रवाई में अब तक करीब 15 बच्चों का रेस्क्यू किया जा चुका है, सभी का मेडिकल करवाया गया और काउंसलिंग की जा रही. रेस्क्यू किए नाबालिग बच्चों से होटल और सीवरेज के कार्य मे मजदूरी कार्रवाई जा रही थी.

बाल श्रम अधिनियम कानून में नाबालिग बच्चों से मजदूरी व खतरनाक कार्य करवाना दंडनीय अपराध है, लेकिन बावजूद इसके खुले आम नाबालिगों से न सिर्फ मजदूरी करवाई जा रही है बल्कि 1 या 2 साल की कीमत देकर इन बच्चों को होटल व अन्य संस्थानों पर किराए पर ले जाकर सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत मजदूरी करवायी जा रही है.  

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