MP Election: मध्य प्रदेश की इन 10 सीटों पर 1 हजार से कम वोटों से हुआ था हार-जीत का फैसला, इस बार भी सबकी नजरें
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MP Election: मध्य प्रदेश की इन 10 सीटों पर 1 हजार से कम वोटों से हुआ था हार-जीत का फैसला, इस बार भी सबकी नजरें

MP Election: मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर हार जीत का फैसला 1 हजार से भी कम वोटों से हुआ था. इस बार भी इन सीटों पर सबकी नजरें हैं. 

MP की 10 सीटों पर सबकी नजर

MP Election: मध्य प्रदेश में इस बार के विधानसभा चुनाव में 2018 के चुनावों से ज्यादा मतदान हुआ है. खास बात यह कि पिछली बार प्रदेश में 10 सीटें ऐसी थी, जिन पर हार जीत का अंतर 1 हजार से भी कम रहा था. इस बार इन 10 सीटों में से कई सीटों पर ज्यादा वोटिंग हुई है, जबकि कई सीटों पर कम मतदान हुआ है. ऐसे में इन सीटों पर सबकी नजरें हैं. इन सीटों पर बदलाव भी होता दिख रहा है. 

इन सीटों पर हुआ था करीबी मुकाबला 

ग्वालियर दक्षिण सबसे कम मार्जिन वाली सीट 

ग्वालियर शहर की ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में हार जीत का फैसला महज 121 वोटों से हुआ था. इस सीट पर कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने बीजेपी के दिग्गज नेता और उस दौरान मंत्री रहे नारायण सिंह कुशवाह को हराया था. 2018 में इस सीट पर 58.18 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. जबकि इस बार यहां पर 63.77 प्रतिशत वोटिंग हुई है, ऐसे में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का फायदा किसे होगा यह देखने वाली बात होगी. 

राजनगर पर क्लोज मुकाबला 

छतरपुर जिले की राजनगर विधानसभा सीट पर भी बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर हुई थी. 2018 में इस सीट पर हार और जीत का फैसला महज 732 वोटों से हुआ था. इस सीट पर कांग्रेस के विक्रम सिंह नातीराजा ने बीजेपी के अरविंद पटैरिया को हराया था. इस बार भी दोनों प्रत्याशी आमने-सामने थे. 2018 में इस सीट पर 66.36 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जबकि 2023 में यहां पर 73.30 प्रतिशत वोटिंग हुई है, यानि 6 प्रतिशत मतदान बढ़ गया है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों की बीच विवाद की खबर भी सामने आई है. 

दमोह में फंस गया था मामला 

बुंदेलखंड अंचल की दमोह विधानसभा सीट पर पिछली बार सबसे आखिर में नतीजा आया था. यहां बीजेपी के दिग्गज नेता जयंत मलैया और कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी के बीच चुनाव हुआ था. जहां राहुल सिंह लोधी ने जयंत मलैया को 798 वोटों से चुनाव हराया था. 2018 में दमोह में 75.27 वोटिंग हुई थी. जबकि 2023 में 74.22 प्रतिशत वोटिंग हुई है. यानि इस बार इस सीट पर 1 प्रतिशत तक कम मतदान हुआ है. दमोह में बीजेपी के जयंत मलैया और कांग्रेस के अजय टंडन के बीच चुनावी मुकाबला है. बीजेपी ने इस बार यहां 75 साल उम्र के फॉर्मूले को दरकिनार करते हुए जयंत मलैया को टिकट दिया था. 

कोलारस में करीबी लड़ाई

शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट पर भी हार जीत का फैसला 720 वोटों से हुआ था. 2018 में यहां कांग्रेस के महेंद्र सिंह यादव को बीजेपी के वीरेंद्र सिंह रघुवंशी ने हराया था. 2018 में यहां 76.03 वोटिंग हुई थी. जबकि 2023 में 79.01 वोटिंग हुई है. यानि 3 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई है. खास बात यह है कि इस बार महेंद्र सिंह यादव यहां बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े हैं. 

जबलपुर उत्तर 

संस्कारधानी की जबलपुर उत्तर विधानसभा सीट पर 2018 में बीजेपी के शरद जैन को कांग्रेस के विनय सक्सेना ने 578 वोटों से चुनाव हराया था. खास बात यह है कि इस सीट पर 2013 में 64.64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, तब जीत बीजेपी को मिली थी. लेकिन 2018 में यहां 68.68 वोटिंग हुई थी. यानि 4 प्रतिशत वोटिंग बढ़ने से सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई थी. 2023 में इस बार इस सीट पर 72.12 वोटिंग हुई है, यानि एक बार फिर से 4 प्रतिशत वोटिंग बढ़ी है, ऐसे में इस सीट पर इस बार क्या नतीजा होगा यह देखना होगा. बीजेपी ने इस बार यहां अभिलाष पांडेय को उतारा है, जबकि कांग्रेस की तरफ से विनय सक्सेना ही मैदान में थे. 

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बीना 

सागर जिले की बीना विधानसभा सीट पर हार जीत 632 वोटों से हुई थी, यहां बीजेपी के महेश राय ने कांग्रेस के शशि केथोरिया को हराया था. 2018 में यहां तीन प्रतिशत ज्यादा वोटिंग होने से बीजेपी ने सीट बचा ली थी. इस बार भी यहां वोटिंग बढ़ गई है. 2018 में यहां 73.48 वोटिंग हुई थी, जबकि 2023 में 74.99 प्रतिशत वोटिंग हुई है. बीजेपी ने यहां सिटिंग विधायक महेश राय को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने यहां महिला चेहरे निर्मला सप्रे को टिकट दिया था. 

ब्यावरा 

राजगढ़ जिले की ब्यावरा सीट पर भी मामला बेहद नजदीक पहुंच गया था. यहां हार जीता का फैसला 826 वोटों से हुआ था. 2018 में इस सीट पर 80.78 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि इस बार यहां 84 प्रतिशत मतदान हुआ है. यानि चार प्रतिशत मतदान ज्यादा हुआ है. ऐसे में यहां बढ़े हुए वोटिंग प्रतिशत का असर नतीजों पर कितना दिखता है. यह देखने वाली बात होगी. इस बार यहां बीजेपी के  नारायण सिंह पंवार और कांग्रेस के पुरषोत्तम दांगी के बीच मुकाबला हुआ है. 

राजपुर में घट गई वोटिंग 

बड़वानी जिले की राजपुर विधानसभा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती है. लेकिन 2018 में यहां मामला बेहद चौंकाने वाला रहा था. इस सीट पर हार जीत का फैसला 932 वोटों से हुआ था. कांग्रेस के बड़े नेता बाला बच्चन ने यहां से जीत हासिल की थी. 2018 में राजपुर में 80.17 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. जबकि 2023 में 79.19 वोटिंग हुई है. यानि यहां पर 1 प्रतिशत के आसपास वोटिंग प्रतिशत घट गया. ऐसे में यहां भी दिलचस्प हो गया है. 

जावरा 

रतलाम जिले की जावरा विधानसभा सीट पर 2018 में बीजेपी के राजेंद्र पांडे को महज 511 वोटों से जीत मिली थी. 2018 में इस सीट पर 84.35 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि 2023 में यहां पर 85.29 प्रतिशत मतदान हुआ है. यानि यहां पर मतदान 1 प्रतिशत तक बढ़ा है. बता दें कि राजेंद्र पांडे बीजेपी के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण पांडे के पुत्र हैं, इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह सोलंकी से हुआ है. 

सुवासरा 

मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट की चर्चा भी खूब हो रही है. कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग को 350 वोटों से जीत मिली थी. बाद में डंग कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे और बीजेपी से उपचुनाव जीते थे. 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां पर 82.67 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि 2023 में 83.52 प्रतिशत मतदान हुआ है, यानि 1 प्रतिशत मतदान बढ़ गया है. ऐसे में बढ़ा हुआ मतदान यहां कितना खेल दिखाता है, यह देखने वाली बात होगी. बीजेपी ने इस बार यहां हरदीप सिंह डंग को प्रत्याशी बनाया था, जबकि कांग्रेस ने राकेश पाटीदार को मैदान में उतारा था. 

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