सरकार ने पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को स्टेशनरी देने के लिए हर छात्र पर 70 रुपए खर्च करने का प्रावधान चलाया था. छात्रों को स्टेशनरी तो दी गई, लेकिन अगर बात क्वालिटी की करी जाए तो स्टेशनरी की क्वालिटी बेहद घटिया थी.
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झाबुआ: शिक्षा का अधिकार मानव अधिकारों में से एक महत्वपूर्ण अधिकार है. शिक्षा ही अशिक्षा के अंधकार को मिटा सकती है, इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले का एक मामला जिसे जी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ द्वारा प्रमुखता से उठाया गया था. जिसके बाद भ्रष्टाचार के इस मामले पर जिला पंचायत सीईओ ने जांच के आदेश दिए गए.
दरअसल सरकार ने पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को स्टेशनरी देने के लिए हर छात्र पर 70 रुपए खर्च करने का प्रावधान चलाया था. छात्रों को स्टेशनरी तो दी गई, लेकिन अगर बात क्वालिटी की करी जाए तो स्टेशनरी की क्वालिटी बेहद घटिया थी. मेघनगर ब्लॉक के स्कूलों में बच्चों को खराब क्वालिटी और तय कीमत से आधी कीमत का सामान दिया गया जा रहा था. जी मीडिया द्वारा इस खबर को प्रमुखता देने के बाद इस पूरे भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ और खबर का बड़ा असर भी देखने को मिला. सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम के संचालक और जिला पंचायत सीईओ ने जांच के आदेश दे दिए हैं. मामले में जिला पंचायत सीईओ संदीप शर्मा ने 2 सदस्यीय टीम का गठन कर 7 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी है साथ ही सीईओ ने जांच के दौरान गड़बड़ी पाए जाने पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है.