Madhya Pradesh News: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को सीडी कांड वाले मामले में क्लीन चिट दे दी है. पिछले साल जबलपुर हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद सरकार ने उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन यहां भी सर्वोच्च अदालत ने उन्हें राहत दी.
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MP News: साल 2013 में सामने आए पूर्व वित्त मंत्री राघवजी के सीडी कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. 11 साल पहले यौन शोषण के मामले में पूर्व वित्त मंत्री राघव जी को दोषी मानकर FIR की गई थी. राघवजी के द्वारा अपील करने पर जबलपुर उच्च न्यायालय ने पिछले साल जुलाई 2023 में उनके खिलाफ की गई FIR को रद्द कर दिया था. लेकिन मध्य प्रदेश शासन की ओर से दोबारा सर्वोच्च न्यायालय में राघवजी के खिलाफ याचिका दायर की गई. जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फिर रद्द करते हुए मध्य प्रदेश शासन को फटकार लगाई.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विदिशा शहर के कई समाजसेवियों, कई वरिष्ठ नागरिकों और अलग-अलग समाज के प्रतिनिधियों ने राघव जी के निवास पर पहुंचकर राघव जी का सम्मान किया. राघवजी के परिवार ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर इस फैसले पर खुशी जाहिर की. पूर्व वित्त मंत्री राघव जी का कहना है कि आखिर सत्य की विजय हुई, देर से ही सही 11 वर्ष के बाद बेदाग सावित हुये. उन्होंने कहा कि घोर राजनैतिक विरोधियों ने एक षड्यंत्र के तहत उन्हें फसाया था, किन्तु उनके मनसूबों पर पानी फिरा गया. हम यह कह सकते हैं कि सत्य प्रताड़ित हो सकता है, पराजित नहीं.
मर जाता तो यह कलंक कभी न मिटता: राघवजी
राघवजी ने कहा कि मुझे क्लीन चिट दी गई है मेरे खिलाफ एफआईआर रद्द की गई है. एक षड्यंत्र के तहत मुझे यौन शोषण के एक प्रकरण में फसाया गया था. जिससे मेरी सोशल लाइफ और 60 साल के राजनीतिक सामाजिक जीवन पर ग्रहण लगाया था. भारत के कानून पर मुझे विश्वास था और उस विश्वास की जीत हुई. यदि इस बीच में मर जाता तो यह कलंक कभी न मिटता.
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क्या था मामला?
पिछले साल कोर्ट से फैसला आने पर राघवजी के वकील ने कहा था कि फरियादी ने कभी भी यह नहीं कहा कि उसने यौन संबंधों का विरोध किया था. उसके पास भागने का भी मौका था, लेकिन वह उनका घर छोड़कर भी नहीं भागा. दोनों के संबंधों में उसकी सहमति थी. इस मामले में शिकायतकर्ता ने खुद कहा था कि उसने योजना बनाकर वीडियो रिकॉर्ड किया था. यानी वह जानबूझकर संबंध बनाने पहुंचा था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला आने के बाद 377 के तहत अपराध बनता ही नहीं है.
विदिशा से दिपेश साहू की रिपोर्ट
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